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गर्भ में पल रहे बच्चे को भी हो सकती है किडनी से जुड़ी ये परेशानी
शारीरिक क्रियाएं प्रमुख तौर पर किडनी के कार्य पर निर्भर करती हैं। इसमें हल्का-सा कोई विकार आने पर शरीर के अन्य हिस्सों की कार्यप्रणाली पर असर पड़ सकता है। अगर किडनी स्वस्थ हो तो वो शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रित करती है। किडनी के सही तरह से कार्य करने के लिए शरीर में पानी की संतुलित मात्रा होना बहुत जरूरी है।
शरीर से अत्यधिक पानी की मात्रा को बाहर निकालने में किडनी एक महत्वपूर्ण अंग है और ये शरीर में पानी की जरूरत को भी नियंत्रित करती है। किडनी ट्रांस्प्लांट विशेषज्ञों की मानें तो “अगर आपकी किडनी ठीक तरह से काम करना बंद कर दे तो क्या हो। किडनी डिस्फंक्शन की स्थिति में शरीर के अंदर अपशिष्ट पदार्थ जमने लगते हैं जिससे केमिकल असंतुलन पैदा होता है। इस वजह से गुर्दे के रोग हो सकते हैं और आगे चलकर सेहत भी बुरी तरह से खराब हो सकती है।”

गुर्दे के रोग के कारण और प्रकार
क्या आप जानते हैं कि गर्भ में भ्रूण की भी किडनी खराब हो सकती है? आइए जानते हैं गुर्दे के रोग कुछ प्रकार के बारे में।
ईएसआरडी: इस स्थिति में किडनी काम करना बंद कर देती है और किडनी को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। कुछ गंभीर मामलों में किडनी ट्रांसप्लांट तक की जरूरत पड़ सकती है।
नेफ्राइटिस: इसमें किडनी में सूजन हो जाती है। डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर और धमनियों के सख्त होने पर ऐसा होता है।
मेटाबॉलिक किडनी विकार: ये दुर्लभ किडनी विकार है जो कि मां और पिता से बच्चे में आता है।
गुर्दे के रोग के कुछ सामान्य लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, पेशाब में खून आना और तेज बुखार रहना शामिल है। हालांकि, युवाओं या वयस्कों में ही ये समस्या नहीं पाई जाती है।

किडनी डिस्प्लाप्सिआ के बारे में
गर्भ में विकसित हो रहे भ्रूण में ये समस्या पाई जा सकती है। भ्रूण में किडनी डिस्प्लाप्सिआ होने की स्थिति में किडनी ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाती है। किडनी में मौजूद थैली में फ्लूइड भर जाता है जिसे सिस्ट कहते हैं। ये किडनी के स्वस्थ ऊतकों को हटाकर खुद अपनी जगह बना लेते हैं।
आमतौर पर किडनी डिस्प्लाप्सिआ किसी एक किडनी में होता है और इस समस्या से ग्रस्त भ्रूण का सही विकास होता है लेकिन कुछ सेहत से जुड़ी समस्याएं रहती हैं। जिन शिशुओं की दोनों किडनियां डिस्प्लाप्सिआ से ग्रस्त होती हैं वो गर्भावस्था को पूरा नहीं कर पाते हैं और अगर कोई कर भी ले तो उन्हें अपने जीवन के शुरुआती स्तर पर ही किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।

बच्चों में किडनी डिस्प्लाप्सिआ कैसे पहचानें
किडनी डिस्प्लाप्सिआ का सबसे सामान्य लक्षण जन्म के समय किडनी का आकार बढ़ना है। मूत्र मार्ग में आई असामान्यताओं के कारण मूत्र मार्ग में संक्रमण हो सकता है।
कुछ मामलों में किडनी डिस्प्लाप्सिआ से ग्रस्त बच्चों को हाई ब्लडप्रेशर हो सकता है। इस स्थिति से जूझ रहे बच्चे में थोड़ा किडनी कैंसर का भी खतरा रहता है। अगर मूत्राशय से जुड़ी किसी समस्या का असर स्वस्थ किडनी पर पड़े तो बच्चे में क्रॉनिक किडनी रोग और किडनी फेलियर तक हो सकता है। अगर बच्चे की एक किडनी में डिस्प्लाप्सिआ हो तो कोई लक्षण या संकेत नजर ना आने की समस्या देखी जा सकती है।