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पहली बार ब्रेस्टफीड करवाते समय महिला को कुछ ऐसी होती हैं फीलिंग्स
मां बनने के साथ ही एक स्त्री के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ जाती है। उसे अपने बच्चे की हर छोटी से छोटी जरूरत का ध्यान रखना होता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है ब्रेस्टफीड करवाना। यह मातृत्व की शुरुआत का प्रतीक है। हर महिला को ब्रेस्टफीड करवाने की सलाह अवश्य दी जाती है। यह बच्चे को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और उसकी इम्युनिटी को मजबूत बनाता है। नवजात को प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करने के लिए कोलोस्ट्रम की आवश्यकता होती है, जो उसे मां के दूध मिलता है। इतना ही नहीं, ब्रेस्टफीडिंग के अन्य भी कई अनगिनत लाभ मिलते हैं। ब्रेस्टफीडिंग एक ऐसा तरीका है, जिसके जरिए मां और नवजात शिशु एक स्पेशल बॉन्ड शेयर करते हैं। लेकिन एक सच यह भी है कि जब बच्चे को स्तनपान कराया जाता है, तो मां कई तरह की भावनाओं के रोलरकोस्टर से गुजरती हैं। कई बार तो उसे खुद समझ नहीं आता है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। तो चलिए जानते हैं इन इमोशन्स के बारे में-
रिलीज होते हैं हार्मोन
बच्चे को स्तनपान करवाना मां को शारीरिक रूप से ही प्रभावित नहीं करता है, बल्कि इसका भावनात्मक असर भी देखने को मिलता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब मां अपने बच्चे को स्तनपान करा रही होती है, तो दो रसायन हार्मोन निकलते हैं- ऑक्सीटोसिन और प्रोलैक्टिन। ऑक्सीटोसिन को हैप्पी हार्मोन के रूप में जाना जाता है, जो रिलीज होने पर मां को खुश और संतुष्ट करता है। लेकिन वहीं जब प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन संयुक्त हो जाते हैं, तो वे स्तन के दूध के रूप में जाने जाते हैं।
होता है खुशी का अहसास
मां अपने बच्चे को दूध पिलाते समय एक संतुष्टि और खुशी का अहसास करती है। चूंकि यह एक मां और बच्चे के बीच पहली तरह का बाहरी संपर्क है। यह अनुभव मां के लिए और भी खास है क्योंकि यह उसे अपने बच्चे के साथ संबंध स्थापित करने की अनुमति देता है। एक मां के लिए अपने बच्चे को अपनी बाहों में पकड़ना और दूध पीते समय उसे दुलारना इससे ज्यादा खुशी की बात नहीं है। हम मनुष्य प्रकृति की ऐसी अद्भुत घटना का अनुभव कर सकते हैं, एक ऐसा सुंदर एहसास जो सचमुच अपरिभाषित है।
आत्मविश्वास की भावना होती है प्रबल
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे को स्तनपान करवाते समय एक मां मनोवैज्ञानिक रूप से आत्मविश्वास की मजबूत भावना का अनुभव करती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वह जानती है कि वह एक विरासत को आगे बढ़ा रही है। जैसे ही वह अपने बच्चे को स्तनपान करवाती है, उसका बच्चा अधिक स्वस्थ, मजबूत और बुद्धिमान बनता जा रहा है। ऐसे में वह अपने परिवार के आधार को मजबूत बना रही है। बच्चे की बेहतर सेहत होने का अहसास ही नहीं, उसके आत्मविश्वास को प्रबल बनाता है।
हो सकता है डिप्रेशन
यूं तो स्तनपान करवाने पर अधिकतर महिलाओं को खुशी का अहसास होता है। लेकिन हर महिला ऐसा ही सोचे, यह जरूरी नहीं है। कई महिलाएं एक मनोवैज्ञानिक स्थिति से पीड़ित होती हैं जिसे पोस्टपार्टम डिसऑर्डर या आमतौर पर पोस्टपार्टम ब्लूज़ के रूप में जाना जाता है। यह एक अस्थायी स्थिति है जिसमें महिलाओं को चिंता, तनाव और अवसाद जैसी नकारात्मक भावनाओं का बहुत अधिक सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में, माताओं को मूड स्विंग्स, रोना, भूख न लगना, अनिद्रा जैसे लक्षण नजर आते हैं। इससे मां को अपने बच्चे के साथ संबंध बनाने में कठिनाई का अहसास होता है।
अंततः यह कहा जा सकता है कि एक मां के लिए बच्चे को पहली बार ब्रेस्टफीड करवाना एक अलग अनुभव हो सकता है। यह जरूरी नहीं है कि हर महिला को एक ही तरह का अहसास हो। लेकिन यह अनुभव बेहद अलग होता है।