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फैन्टम प्रेग्नेंसी में नहीं होता गर्भधारण, बस नजर आते हैं यह लक्षण
जब एक महिला गर्भवती होती है तो उसके शरीर में आने वाले संकेत उसे इस बात का इशारा देते हैं। मतली, थकान, स्तनों में सूजन आदि लक्षणों को गर्भधारण से जोड़कर देखा जाता है। जब किसी महिला को यह लक्षण नजर आते हैं तो उसे यही लगता है कि वह गर्भधारण कर चुकी है। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में ऐसा नहीं होता है। इसे ही फैंटम प्रेग्नेंसी या फॉल्स प्रेग्नेंसी भी कहा जाता है। वहीं क्लीनिकल टर्म में इसे स्यूडोसिसिस कहते हैं। यह एक असामान्य स्थिति है जिसमें
एक महिला को यह विश्वास होता है कि वह गर्भवती है। यहां तक कि उसे गर्भावस्था के कई क्लासिक लक्षण भी नजर आते हैं। वास्तव में यह गर्भपात होना नहीं है। बल्कि महिला को कोई गर्भाधान नहीं होता है और ना ही उसके गर्भ में कोई भ्रूण विकसित होता है। इसके बावजूद, महिला के शरीर में आने वाले बदलाव और लक्षणों के आधार पर सिर्फ महिला को ही नहीं, बल्कि उसके आस-पास के लोगों का भी यह मानना होता है कि वह उम्मीद से है। तो चलिए आज हम आपको फैन्टम प्रेग्नेंसी के कारणों, लक्षणों व उपचार के बारे में बता रहे हैं-
जानिए कारण
अभी तक इस बात का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है कि कुछ महिलाएं स्यूडोसिसिस या फैन्टम प्रेग्नेंसी का अनुभव क्यों करती है? लेकिन इसके तीन प्रमुख सिद्धांत हैं। कुछ मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह गर्भवती होने की तीव्र इच्छा या डर से संबंधित हो सकता है। यह संभव है कि यह महिला के एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करता है, जिसके कारण उन्हें गर्भावस्था के लक्षण नजर आने लगते हैं।
वहीं एक दूसरा सिद्धांत यह भी है। कुछ मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब एक महिला लंबे समय तक गर्भवती होने के लिए तरसती है, तो संभवतः वह कई गर्भपात या बांझपन का अनुभव करती है। ऐसे में वह अपने शरीर में कुछ बदलावों को गलत संकेत के रूप में समझ सकती है कि वह गर्भवती है।
तीसरा सिद्धांत तंत्रिका तंत्र में कुछ रासायनिक परिवर्तनों से संबंधित है जो अवसादग्रस्तता विकारों से संबंधित हैं। यह संभव है कि ये रासायनिक परिवर्तन फैन्टम प्रेग्नेंसी के लक्षणों के लिए जिम्मेदार हों।
यह होते हैं लक्षण
अगर स्यूडोसिसिस या फैन्टम प्रेग्नेंसी के लक्षणों की बात हो तो यह अक्सर हर तरह से गर्भावस्था से मिलती है, हालांकि इसमें महिला के गर्भ में बच्चे की उपस्थिति नहीं होती है। सभी मामलों में, महिला पूरी तरह से निश्चित है कि वह गर्भवती है। शारीरिक लक्षणों में, उसमें पेट में होने बदलाव शामिल है। फैन्टम प्रेग्नेंसी में महिला के पेट का विस्तार उसी तरह शुरू हो सकता है जैसे गर्भावस्था के दौरान होता है जब एक विकासशील बच्चा बढ़ता है। हालांकि, एक झूठी गर्भावस्था के दौरान, यह पेट का विस्तार एक बच्चे के होने या उसके विकास होने का परिणाम नहीं है। इसके बजाय, यह गैस, फैट व मूत्र के बिल्डअप के कारण माना जाता है। वहीं, एक महिला के मासिक धर्म चक्र की अनियमितता दूसरा सबसे आम शारीरिक लक्षण है। इतना ही नहीं, कुछ महिलाएं तो फैन्टम प्रेग्नेंसी में बच्चे के मूव होने यहां तक कि बच्चे के किक होने का भी अहसास किया। भले ही उनके गर्भ में कोई बच्चा मौजूद नहीं था। वहीं अन्य लक्षणों में मॉर्निंग सिकनेस, उल्टी, स्तनों में टेंडरनेस, स्तनों में परिवर्तन, लैक्टेशन होना, वजन बढ़ना, प्रसव पीड़ा का अहसास होना, भूख बढ़ना, यूट्रस का एनलार्ज होना, गर्भाशय ग्रीवा का नरम होना आदि शामिल हैं।
फैन्टम प्रेग्नेंसी में नजर आने वाले लक्षणों की खास बात यह होती है कि ये लक्षण इतने विश्वसनीय हो सकते हैं कि डॉक्टर भी धोखा खा सकते हैं और उन्हें भी ऐसा लगता है कि महिला गर्भवती है।
ऐसे कर सकती हैं इलाज
अगर एक महिला फैन्टम प्रेग्नेंसी या स्यूडोसिसिस का अनुभव करती है तो ऐसे में उसे इस अवस्था से बाहर लाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसे इस बात के सबूत दिखाए जाएं कि वह गर्भवती नहीं है। इसके लिए वास्तव में इमेजिंग तकनीक जैसे अल्ट्रासाउंड आदि का सहारा लिया जा सकता है। चूंकि स्यूडोसिसिस या फैन्टम प्रेग्नेंसी की स्थिति किसी फिजिकल या शारीरिक कारणों से नहीं होता, इसलिए इस समस्या के इलाज के लिए किसी तरह की दवा का सेवन नहीं किया जा सकता। हालांकि, अगर एक महिला मासिक धर्म में अनियमितता जैसे लक्षणों का अनुभव कर रही है, तो ऐसे में दवाओं के माध्यम से उनकी समस्या का इलाज किया जा सकता है। वहीं, कई बार महिलाएं मनोवैज्ञानिक अस्थिरता के कारण भी फैन्टम प्रेग्नेंसी का अनुभव करती हैं। ऐसे में वह उपचार के लिए मनोचिकित्सक की सलाह ले सकती हैं।