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मां बनने की क्षमता से वंचित कर सकता है पीसीओएस
(आईएएनएस)| अत्यधिक गतिशील जीवनशैली एवं पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती समस्या और खान-पान में संयम न रख पाने की वजह से किशोरियां 'पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस)' से ग्रसित हो जाती हैं।
अगर समय पर इसका इलाज न कराया जाए तो यह बीमारी मां बनने की क्षमता से वंचित कर सकता है। यद्यपि यह प्रजनन आयु में होने वाली एक आम समस्या मानी जाती रही है लेकिन पिछले एक दशक में छोटी उम्र की लड़कियां भी इस समस्या से अछूती नहीं रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक, आजकल हर 10 में से एक लड़की पीसीओएस की समस्या से जूझ रही है। वास्तव में यह किशोर लड़कियों के बीच एक आम समस्या बन गई है।
मुंबई के लीलावती अस्पताल और नई दिल्ली फोर्टिस ला-फेम अस्पताल में स्त्री रोग और बांझपन विशेषज्ञ डॉ ऋषिकेश पाई बताते हैं कि पीसीओएस मुख्यत: एक ओवेरियन सिंड्रोम है जो अंडाशय को प्रभावित करता है। सामान्य भाषा में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन का मतलब अंडाशय के अंदर बहुत सारे छोटे अल्सर का पाया जाना है।
उन्होंने कहा कि ज्यादा मात्रा में चीनी और अत्यधिक परिष्कृत काबोर्हाइड्रेट का सेवन करने वालों में, कम उम्र में ही पीसीओएस की संभावना बढ़ जाती है। ज्यादा मात्रा में चीनी और काबोर्हाइड्रेट इंसुलिन के स्तर को बढ़ा देता है, जो हार्मोन को प्रभावित करता है। प्राकृतिक रूप से ठीक करें हार्मोन असंतुलन
डॉ. पाई ने कहा कि इसके प्रमुख लक्षणों में - वजन का बढ़ना, गर्दन और अन्य क्षेत्रों पर धब्बे पड़ना, पीरियड में अनियमितता, अनचाहे बालों का आना और मुंहासे शामिल हैं। पीसीओएस से ग्रसित लड़कियों में, अंडाशय सामान्य से ज्यादा मात्रा में एण्ड्रोजन विकसित करता है, जो एग के विकास को प्रभावित करता है।
डॉ. पाई बताते हैं कि इस समस्या का ठीक से इलाज न किया जाना, एक लड़की को मां बनने की क्षमता से वंचित कर सकता है। साथ ही यह प्रजनन आयु में परेशानियां भी पैदा करता है। PCOS से लड़ने के लिये खाएं ये खाघ पदार्थ
सही समय पर पीसीओएस का सही इलाज, गंभीर प्रभाव और जोखिम को कम करने में मदद करता है, स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम के जरिये भी इस समस्या से पार पाया जा सकता है। इसके अलावा साल में एक बार मधुमेह अथवा ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट अवश्य कराएं। साथ ही एक स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखने के लिए आप चिकित्सक या आहार विशेषज्ञ से भी परामर्श ले सकते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।