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हिन्दू मान्यता के अनुसार ग्रह प्रवेश का महत्व

By Super
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हिन्दू धर्म में वास्तु और पूजा विधियों का काफी महत्व है। इंसान अपना घर बड़ी मेहनत और उम्मीदों से बनाता है। सोचिये कि आप अपने नए घर में रहने जाते हैं और वहां आपको दिक्कतों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, तब उस स्थिति से बचने के लिए ही वास्तु शास्त्र और हमारे वेदों में ग्रह-प्रवेश पूजा को बताया गया है।

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हिन्दू धर्म को मानने वाले जब भी कोई नया घर बनाने के बाद, उसमें प्रवेश करते हैं तो घर में प्रवेश से पहले जो पूजा विधि की जाती है उसे ग्रह-प्रवेश कहा जाता है।

 अपूर्व-

अपूर्व-

जब पहली बार बनाये गये नए घर में प्रवेश किया जाता है तब यह ‘अपूर्व' ग्रहप्रवेश होता है।

 सपूर्व-

सपूर्व-

जब हम किसी कारण वश, प्रवास पर होते हैं और अपने घर को कुछ समय के लिए खाली छोड़ देते हैं तब दुबारा वहां रहने से पहले जो पूजा विधि होती है उसे सपूर्व, ग्रह प्रवेश कहते हैं।

द्वान्धव-

द्वान्धव-

किसी परेशानी या किसी आपदा के कारण जब घर को छोड़ना पड़ता है और उस घर में दुबारा प्रवेश करते वक़्त जिस पूजा विधि को कराया जाता है उसे द्वान्धव, ग्रह प्रवेश कहा जाता है।

गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त

गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त

दिन, तिथि, वार एवं नक्षत्र को ध्यान मे रखते हुए, गृह प्रवेश की तिथि और समय का निर्धारण किया जाता है। ग्रह प्रवेश में ध्यान देने वाली एक मुख्य बात महूर्त का ध्यान रखना होता है। गृह प्रवेश के लिए ब्राह्मण की आवश्यकता होती है जो मंत्रो के अपने ज्ञान से इस विधि को सम्पूर्ण करता है।

वास्तु पूजा

वास्तु पूजा

वास्तु पूजा वास्तु देवता के लिए की जाती, जो घर में पहली बार प्रवेश करने से पहले घर के बाहर की जाती है। इसमें घर के मुख्य द्वार पर तांबे के कलश में पानी के साथ नौ प्रकार के अनाज और एक रुपये का सिक्का रखा जाता है। फिर एक नारियल को लाल कपड़े से लपेट कर और कलावे से उसे बांध कर उसके ऊपर रखा जाता है। उसके बाद पंडित जी पूजा करते हैं और पति पत्नी से कहते हैं कि वे दोनों इस कलश को उठा कर घर के अंदर हवन कुण्ड के पास रख दें।

वास्तु पूजा

वास्तु पूजा

वास्तु पूजा वास्तु देवता के लिए की जाती, जो घर में पहली बार प्रवेश करने से पहले घर के बाहर की जाती है। इसमें घर के मुख्य द्वार पर तांबे के कलश में पानी के साथ नौ प्रकार के अनाज और एक रुपये का सिक्का रखा जाता है। फिर एक नारियल को लाल कपड़े से लपेट कर और कलावे से उसे बांध कर उसके ऊपर रखा जाता है। उसके बाद पंडित जी पूजा करते हैं और पति पत्नी से कहते हैं कि वे दोनों इस कलश को उठा कर घर के अंदर हवन कुण्ड के पास रख दें।

वास्तु शांति

वास्तु शांति

वास्तु शांति या गृह शांति में हवन किया जाता है। हवन करने से ग्रहों के हानिकारक प्रभावों को रोक जाता है साथ ही किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव भी दूर रखते हैं, और घर में सुख और सम्बृद्धि की मनोकामना की जाती है। पूरी पूजा समाप्त होने के बाद पंडित जी को दक्षिणा दी जाती है और उन्हें भोजन कराया जाता है। इसके अलावा भी और कई तरह की पूजा होती हैं जैसे गणपति पूजा, सत्यनारायण और लक्ष्मी पूजा होती है।

गृह प्रवेश के समय क्या करें और क्या न करें

गृह प्रवेश के समय क्या करें और क्या न करें

  • गृह प्रवेश तब तक पूरा नहीं होता है जब तक
  • घर के मुख्य द्वार पर दरवाजे नहीं लग जाते हैं।
  • घर की छत पूरी तरह से बन नहीं जाती है।
  • वास्तु देवता की पूजा ना हो जाये।
  • पुजारियों को भोजन कराया जाए।
  • घर में अगर गर्भवती महिला है तो घर प्रवेश नहीं होता है।
  • ग्रह प्रवेश की पूजा न करने पर बुरा असर

    ग्रह प्रवेश की पूजा न करने पर बुरा असर

    अगर गृह प्रवेश करते वक़्त यह पूजा नहीं की जाती है तो इससे घर के लोगों की सेहत ख़राब रहती है और घर में लक्ष्मी का वास नहीं होता है। इसलिए नए घर में रहने से पहले ग्रह प्रवेश की पूजा जरूर कराएं। पूजा हो जाने के बाद कुछ दिनों तक मुख्य द्वार पर ताला नहीं लगाया जाता है इसे अशुभ मानते हैं।

English summary

Significance of Hindu House Warming Ceremony(Griha Pravesh)

Griha Pravesh is a ceremony performed on the occasion of one's first entry into a new house. Three types of griha pravesh have been mentioned in our ancient scriptures.
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