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गर्भपात के बाद होने वाली समस्याएं
गर्भपात होने के बाद कुछ समस्याएं सामान्य है जैसे - उल्टी आना, बुखार चढ़ना, ब्लीडिंग होना, पेट में दर्द आदि। लेकिन कई बार गर्भपात के बाद गंभीर समस्याएं भी पैदा हो जाती है जैसे - हीमोररेहेज, एंडोटॉक्सिक शॉक, कन्वलशन, गर्भाशय में चोट आदि। अगर गर्भपात में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई है तो थोड़ी सी ब्लीडिंग के बाद महिला का शरीर सामान्य हो जाता है। लेकिन कई बार गर्भपात के बाद समस्याएं बढ़ती जाती है और अगली बार गर्भधारण करने में भी दिक्कत आती है। अगर गर्भपात होने के बाद निम्म लक्षण शरीर में दिखाई देते है तो तुंरत डॉक्टर से सम्पर्क करें।
1)
योनि
से
बदबूदार
चिपचिपा
पदार्थ
निकलना।
2)
तेज
बुखार
चढ़ना।
3)
पेट
में
दिक्कत
या
दर्द।
4)
ज्यादा
और
लगातार
ब्लीडिंग
होना।
5)
भयानक
दर्द
होना।
गर्भपात के बाद की दिक्कतों को कभी इग्नोर नहीं करना चाहिए, कई बार यह जानलेवा भी साबित होता है। अध्ययन में यह बात खुलकर सामने आई है कि गर्भपात, महिलाओं की मृत्यु का एक बड़ा कारण है। इस हालात में किसी भी महिला को मानसिक सर्पोट बहुत जरूरी होता है।
सबसे
कठिन
दौर
:
1)
गर्भपात
के
बाद
का
समय
सबसे
कठिन
होता
है।
इस
बात
से
उभरकर
बाहर
आना
काफी
मुश्किल
होता
है
कि
आप
अपना
बच्चा
खो
चुकी
हैं।
इस
दौरान
महिलाएं,
भावनात्मक
रूप
से
टूट
जाती
है,
उन्हे
अपने
हर
काम
और
आदत
पर
भी
गुस्सा
आने
लगता
है
और
वह
इस
घटना
के
लिए
कई
बार
खुद
को
जिम्मेदार
मानने
लगती
हैं।
2) बच्चे को खो देना कोई सामान्य बात नहीं है, ऐसे में महिला का धैर्य टूट जाता है। गर्भपात के बाद औरत खुद को अकेला महसूस करने लगती है। इस दौरान, महिला को अकेला नहीं रहना चाहिए, उस दोस्तों और परिवारों के साथ समय बिताना चाहिए। पार्टनर को इस दौरान सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ती है।
3) गर्भपात से उभरने के लिए महिला को अपनी फीलिंग्स को एक पेपर या ब्लॉग पर लिखना चाहिए, उसे इस बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए कि गर्भपात किन कारणों से हुआ, अगर महिला सही कारण जान जाती है तो उनकी परेशानी आसानी से दूर हो जाएगी।
ज्यादा
ब्लीडिंग
होना
-
गर्भपात
के
बाद
सबसे
बड़ी
समस्या,
ज्यादा
ब्लीडिंग
होना
होती
है।
किसी
-
किसी
महिला
को
गर्भपात
के
बाद
इतना
ज्यादा
फ्लो
होता
है
कि
उसे
हर
दो
घंटे
में
एक
पैड
बदलना
पड़ता
है।
गर्भपात
के
बाद,
पीरियडस
में
भी
ज्यादा
ब्लीडिंग
होती
है।
लेकिन
अगर
आपको
समस्या
ज्यादा
लगे
तो
डॉक्टर
के
पास
जाने
में
देरी
न
करें।
द
डी
एंड
सी
-
अगर
गर्भपात
पूरी
से
नहीं
हो
पाता
है
तो
बच्चेदानी
में
कुछ
टिश्यू
रह
जाते
है।
इस
स्थिति
में
डी
एंड
सी
आवश्यक
होता
है।
अगर
बच्चेदानी
में
बच्चे
के
कुछ
खराब
टिश्यू
रह
जाते
है
तो
अगली
बार
फिर
से
गर्भपात
होने
का
खतरा
रहता
है।
इससे
बच्चेदानी
में
इंफेक्शन
होने
का
खतरा
भी
रहता
है।
यह
गर्भपात
के
बाद
की
सबसे
बड़ी
समस्या
होती
है
जो
10
में
से
7
महिलाओं
को
होती
है।
बार
-
बार
गर्भपात
का
होना
-
कई
महिलाओं
को
यह
समस्या
होती
है।
पहली
बार
उनका
गर्भपात
हो
जाने
के
बाद
लगातार
दो
से
तीन
बार
उनका
गर्भपात
होता
जाता
है।
ऐसे
में
उनका
शरीर
बेकार
हो
जाता
है।
संक्रमण
होना
-
गर्भपात
के
बाद
महिलाओं
की
योनि
और
बच्चेदानी
में
संक्रमण
बहुत
जल्दी
फैल
जाता
है।
गर्भपात
के
बाद
के
संक्रमण
घातक
होते
है।
संक्रमण
होने
पर
कतई
लापरवाही
न
करें
और
तुंरत
डॉक्टर
से
सम्पर्क
करें।
डिस्आर्डर
होना
-
कई
बार
गर्भपात
के
बाद
महिलाओं
के
शरीर
में
विकार
उत्पन्न
हो
जाते
है।
चिंता
का
स्तर
बढ़
जाता
है
और
पीटीएसडी
या
पोस्ट
-
ट्रामेटिक
स्टेस
डिस्आर्डर
आ
जाता
है,
इससे
महिलाएं
अवसाद
में
भी
चली
जाती
है।
एक्टोपिक
प्रेग्नेंसी
-
गर्भपात
के
बाद
महिला
में
एक्टोपिक
प्रेग्नेंसी
होने
के
चांस
काफी
बढ़
जाते
है।
यह
एक
प्रकार
की
गर्भावस्था
होती
है
जिसमें
अंडे,
महिला
की
बच्चेदानी
में
न
बढ़कर
फैलोपियन
ट्यूब
या
कहीं
और
पनपने
लगते
है।
इस
प्रकार
के
गर्भधारण
का
कोई
मतलब
नहीं
होता
है
लेकिन
फिर
से
शरीर
को
एबॉर्शन
आदि
की
दिक्कत
झेलनी
पड़
सकती
है।
बांझपन
-
गर्भपात
के
बाद
महिला
के
बांझ
बनने
के
चांस
काफी
बढ़
जाते
है।
गर्भपात
का
सीधा
असर
प्रजनन
क्षमता
पर
पड़ता
है,
हो
सकता
है
कि
अगली
बार
गर्भ
धारण
करने
में
समस्या
उत्पन्न
हो।
गर्भपात,
किसी
औरत
के
शरीर
पर
ही
बुरा
प्रभाव
नहीं
छोड़ता
है
बल्कि
इस
हादसे
से
उसके
पार्टनर
और
अन्य
परिवारीजनों
पर
भी
प्रभाव
पड़ता
है।
इस
बुरे
वक्त
में
आप
चाहें
तो
किसी
अच्छे
मनोचिकित्सक
से
भी
सलाह
ले
सकते
हैं।
इलाज
से
बेहतर
है
कि
आप
रोकथाम
कर
लें
और
हर
स्थिति
का
सामना
करने
के
लिए
खुद
को
तैयार
कर
लें।
ऐसे
वक्त
में
धैर्य
रखें
और
हिम्मत
से
काम
लें।