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इन कुंडली दोष के वजह से होती है विवाह में देरी...
कई लोग होते है जो कॅरियर में स्थापित होने के बाद भी सही उम्र में शादी नहीं कर पाते हैं, ऐसे कुंडली में उपस्थित कुछ दोषों के कारण होता है। कुंडली के कुछ ऐसे योग बताए गए हैं, जिनसे विवाह में देरी होती है। इन योगों के कारण सुयोग्य लड़के या लड़की की शादी में अकारण ही बाधाएं आती हैं और बहुत कोशिशों के बाद भी विवाह जल्दी नहीं हो पाता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में ऐसे कुछ दोषों के बारे में बताएंगे साथ ही इन दोषों का निवारण भी बहुत ही आवश्यक होता है। आइए जानते हैं-
शुक्र की महादशा के कारण
स्वाभाविक रूप से कमजोर शुक्र की वजह से शादी में देरी हो सकती है। शुक्र कुंडली में विवाह और अच्छे जीवन साथी का कारक है। शुक्र (वीनस) को शांत करके शादी की स्थिति में सुधार कर सकते हैं। शुक्र की भूमिका शादी के बाद खुशी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शक्र जीवन में भौतिक सुख नियंत्रित करता है और इसके प्रभाव से ही वैवाहिक जीवन में खुशी निर्धारित होती है ।बृहस्पति शादी के समय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बृहस्पति की शक्ति सही समय पर शादी और अच्छा परिणाम देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
1.
कुंडली के सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनों हो तो विवाह की बातें होती रहती हैं, लेकिन विवाह काफी समय के बाद होता है।
2.
चौथा भाव या लग्न भाव में मंगल हो और सप्तम भाव में शनि हो तो व्यक्ति की रुचि शादी में नहीं होती है।
3.
सप्तम भाव में शनि और गुरु हो तो शादी देर होती है।
4.
चंद्र से सप्तम में गुरु हो तो शादी देर से होती है।
5.
चंद्र की राशि कर्क से गुरु सप्तम हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
6.
सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो, कोई शुभ ग्रह योगकारक नही हो तो विवाह में देरी होती है।
7.
सूर्य, मंगल या बुध लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डालते हों और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति में आध्यात्मिकता अधिक होने से विवाह में देरी होती है।
8.
लग्न (प्रथम) भाव में, सप्तम भाव में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक न हो और चंद्रमा कमजोर हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
9.
महिला की कुंडली में सप्तमेश या सप्तम भाव शनि से पीड़ित हो तो विवाह देर से होता है।
10.
राहु की दशा में शादी हो या राहु सप्तम भाव को पीड़ित कर रहा हो तो शादी होकर टूट सकती है।