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एक महीनें में दूसरी बार हो गया पीरियड, क्या सच में घबराने की जरुरत है?
दो पीरियड के बीच की औसत अवधि 28 दिनों की होती है, लेकिन ये 21 से 35 दिनों के अंतर्गत होने वाले पीरियड को सामान्य ही माना जाता है। हर महिला की पीरियड साइकल में फर्क होता है। लेकिन जब किसी महिला को एक या दो महीने में केवल एक बार पीरियड्स होने लगें या फिर एक महीने में दो-तीन बार हों, तो उसे इररेगुलर पीरियड कहा जाता है। यह उस महिला के लिए बहुत ही सीरियस समस्या है। इस समस्या से आगे चल कर नई शादीशुदा लड़कियां आसानी से मां नहीं बन पाती। इसके अलावा कई और भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सामने आ सकती हैं। जितनी जल्दी हो सके इस समस्या से छुटकारा पाना चाहिए। कुछ महिलाओं में नियमित रूप से दो सप्ताह का मासिक चक्र होता है, जबकि कुछ महिलाओं के लिए ये एक अस्थाई समस्या है। अगर आप अपने पीरियड्स में आकस्मिक बदलाव का अनुभव कर रहे हैं, तो जितना जल्दी संभव हो सकें अपनी डॉक्टर यानि गाइनोलॉजिस्ट से मिलें।
महीने में 2 बार पीरियड्स आने के कारण
अगर आपके पास फाइब्रॉएड, अल्सर या जल्द मेनोपॉज का पारिवारिक इतिहास है तो यह सभी बातें एक महीने में दो बार पीरियड्स होने का खतरा बढ़ा सकती हैं। साथ ही अगर महिला को अनियमित ब्लीडिंग का इतिहास है तो उसके पीरियड्स को ट्रैक करने से किसी अन्य समस्या को अधिक तेजी से पहचानने में मदद मिल सकती है। यह उसके पीरियड्स की जानकारी को डॉक्टर के साथ शेयर करना भी आसान बना सकता है। अधिक और लगातार ब्लीडिंग का एक स्वास्थ्य प्रभाव एनीमिया के रूप में देखने को भी मिलता है जो उसके ब्लड में आयरन की कमी के कारण होता है।
अल्सर भी हो सकता है कारण
पीरियड्स के दौरान अल्सर की समस्या भारी ब्लीडिंग का कारण बन सकती है। इस ब्लीडिंग को अक्सर गलती से मासिक चक्र की ब्लीडिंग समझा जाता है क्योंकि ये एक नियमित अवधि तक हो सकती है और इसमें रक्त के थक्के भी निकल सकते है।
प्रेगनेंट तो नहीं हैं
हमें लगता है प्रेगनेंसी का अर्थ है पीरियड का रुक जाना। मगर प्रेगनेंट होने के बाद बीच-बीच में ब्लीडिंग होती रहना आम बात है। खासकर शुरुआत के तीन महीनों में। ये सेक्स या कसरत करने के बाद हो जाता है।
मिसकैरेज तो नहीं हो गया
गर्भाशय में किसी कारण भ्रूण का अपने आप अंत हो जाना ही गर्भपात कहलाता है। लगभग 15 से 18 प्रतिशत गर्भावस्था गर्भपात में समाप्त होती है। गर्भावस्था के पहले त्रिमास में वैजाइनल ब्लीडिंग का अनुभव होना आम है मगर ये गर्भपात का एक संकेत भी हो सकता है। ऐसे में ज़रूरी है कि आप अपने डाक्टर से परामर्श लें। ऐसे संकेत को नज़रअंदाज़ करना आपके और आपके अजन्मे शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है।
ज्यादा स्ट्रेस लेना
यदि कोई महिला अधिक तनाव में हो, तब भी इसका सीधा पीरियड पर पड़ता है। तनाव की वजह से खून में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है और इस कारण या तो पीरियड बहुत लंबे या बहुत छोटे हो सकते हैं। सन् 2015 में मेडिकल स्टूडेंट्स ने 100 महिलाओं पर एक रिसर्च की थी और जिसमें पाया कि हाई स्ट्रेस लेवल इररेगुलर पीरियड्स से सीधे तौर पर जुड़ा है। यदि आप स्टेस में हैं, तो आपको हेवी ब्लीडिंग हो सकती है, आप अपने पीरियड्स मिस कर सकती हैं या फिर महीने में दो बार पीरियड्स भी सकते हैं।