Just In
- 2 hrs ago बीपी और कॉलेस्ट्रॉल के मरीज थे सीईओ ध्रुव अग्रवाल, 71 किलो वेटलॉस कर अब हैं एकदम फिट
- 3 hrs ago April 2024 Love Rashifal: रोमांस का मीटर कितना रहेगा हाई, लव राशिफल से जानें सभी 12 राशियों का हाल
- 4 hrs ago ईद पर दिखना है बला सी खुबसूरत, हानिया आमिर के ये 5 खूबसूरत शरारा सेट आपके हुस्न पर लगा देंगे चार-चांद
- 5 hrs ago रास्ते में मिल जाये भंडारा तो खाना चाहिए या नहीं, जानें प्रेमानंद जी महाराज के विचार
Don't Miss
- News जानिए कौन है दीपक सक्सेना, जिन्होंने थामा भाजपा का दामन, CM यादव और कैलाश विजयवर्गीय ने दिलाई सदस्यता
- Movies पोता होने की खुशी में शर्मिला टैगोर ने बहू अमृता सिंह को दिया था ये कीमती तोहफा खास तोहफा
- Finance Share Bazar News: Sensex में लौटी बहार, सीधे 526 अंक बढ़ा, जानिए टॉप 5 गेनर शेयर
- Automobiles Animal फिल्म की चर्चित एक्ट्रेस Tripti Dimri ने खरीदी Range Rover SUV, जानें क्या है खासियत
- Technology Poco C61 vs Redmi A3 में से कौन सा फोन आपके लिए होगा बेस्ट ऑप्शन ? यहां जानें सबकुछ
- Education JEST 2024 Result OUT: भौतिकी परीक्षा के लिए JEST 2024 का परिणाम जारी; स्कोरकार्ड डाउनलोड करने के चरण
- Travel फूल नहीं कांटों से था रतलाम के इस राजा को लगाव, बना डाला 'कैक्टस गार्डन'
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
अष्टसिद्धि के लिए अक्षय तृतीया पर करे अष्टलक्ष्मी स्त्रोत का जप
अष्टलक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने के कुछ नियम होते हैं। आइये जानते हैं उन नियमों के बारे में।
माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये मां लक्ष्मी के अष्टरुपों का नियमित स्मरण करना शुभ फलदायक माना गया है। अष्टलक्ष्मी स्त्रोत कि विशेषता है की इसे करने से व्यक्ति को धन और सुख-समृ्द्धि दोनों की प्राप्ति होती है। घर-परिवार में स्थिर लक्ष्मी का वास बनाये रखने में यह विशेष रुप से शुभ माना जाता है। अगर कोई भक्त यदि माता लक्ष्मी के अष्टस्त्रोत के साथ श्री यंत्र को स्थापित कर उसकी भी नियमित रुप से पूजा-उपासना करता है, तो उसके व्यापार में वृद्धि व धन में बढोतरी होती है।
यह माना जाता है कि जो लोग मां के अष्टरुपों की पूजा करते हैं उन्हें धन और संबृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर पूजा के स्थान पर अष्टलक्ष्मी स्तोत्र की किताब रखी जाए तो घर में सकारात्मक ऊर्जाओं का वास होता है। इसके साथ ही अगर लक्ष्मी जी के श्री यंत्र की स्थापना की जाए और उसकी नियमित पूजा की जाए तो घर में धन की कमी नहीं होती है। इस अक्षय तृतीया के दिन करे श्री यंत्र की स्थापन और करें माँ को खुश। आइये जानते हैं माँ के आठ स्वरूपों के बारे में जो इस प्रकार हैं - देवी लक्ष्मी को आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, गाजा लक्ष्मी, संताना लक्ष्मी, विजया लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी और धना लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने के कुछ नियम होते हैं। आइये जानते हैं उन नियमों के बारे में।
अक्षय तृतीया के दिन श्री लक्ष्मी जी की पूजा में विशेष रुप से श्वेत वस्तुओं का प्रयोग करना शुभ कहा गया हैं। पूजा में श्वेत वस्तुओं का प्रयोग करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती है। इसे करते समय शास्त्रों में कहे गये सभी नियमों का पालन करना चाहिए और पूर्ण विधि-विधान से करना चाहिए। दिन से इसे आरंभ करते हुए जब तक हो सके करें। प्रात: जल्दी उठकर पूरे घर की सफाई करनी चाहिए। जिस घर में साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता है, उस घर-स्थान में देवी लक्ष्मी निवास नहीं करती है।
स्त्रोत का पाठ करने के लिए घर को गंगा जल से शुद्ध करना चाहिए तथा ईशान कोण की दिशा में माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर लगानी चाहिए। साथ ही श्री यंत्र भी स्थापित करना चाहिए श्री यंत्र को सामने रख कर उसे प्रणाम करना चाहिए और अष्टलक्ष्मियों का नाम लेते हुए उनका जप करना चहिए, इसके पश्चात उक्त मंत्र बोलना चाहिए। पूजा करने के बाद लक्ष्मी जी कि कथा का श्रवण भी किया जा सकता है। मां लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाना चाहिए और धूप, दीप, गंध और श्वेत फूलों से माता की पूजा करनी चाहिए। सभी को खीर का प्रसाद बांटकर स्वयं खीर जरूर ग्रहण करनी चाहिए।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र
आदिलक्ष्मी |
सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवी चन्द्र सहोदरीहेममये |
मुनिगणमंडित मोक्षप्रदायिनी मंजुलभाषिणीवेदनुते ||
पंकजवासिनी देवसुपुजित सद्रुणवर्षिणी शांतियुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी आदिलक्ष्मी सदापलीमाम ||१||
धान्यलक्ष्मी |
अहिकली कल्मषनाशिनि कामिनी वैदिकरुपिणी वेदमये |
क्षीरमुद्भव मंगलरूपिणी मन्त्रनिवासिनी मन्त्रनुते | |
मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पाद्युते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी धान्यलक्ष्मी सदा पली माम|| २||
धैर्यलक्ष्मी |
जयवरवर्णिनी वैष्णवी भार्गवी मन्त्रस्वरूपिणी मन्त्रम्ये |
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद ज्ञानविकासिनी शास्त्रनुते ||
भवभयहारिणी पापविमोचनि साधुजनाश्रित पादयुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी धैर्यलक्ष्मी सदापलेमाम ||३||
गजलक्ष्मी |
जयजय दुर्गतिनाशिनी कामिनी सर्वफलप्रद शास्त्रमये |
रथगज तुरगपदादी समावृत परिजनमंडित लोकनुते ||
हरिहर ब्रम्हा सुपूजित सेवित तापनिवारिणी पादयुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी गजलक्ष्मी रूपेण पलेमाम ||४||
संतानलक्ष्मी |
अहिखग वाहिनी मोहिनी चक्रनि रागविवर्धिनी लोकहितैषिणी
स्वरसप्त भूषित गाननुते सकल सूरासुर देवमुनीश्वर ||
मानववन्दित पादयुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी संतानलक्ष्मी त्वं पालयमाम || ५ ||
विजय लक्ष्मी |
जय कमलासनी सद्रतिदायिनी ज्ञानविकासिनी गानमये |
अनुदिनमर्चित कुमकुमधूसर-भूषित वासित वाद्यनुते ||
कनकधस्तुति वैभव वन्दित शंकर देशिक मान्य पदे |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी विजयलक्ष्मी सदा पालय माम ||६ ||
विद्यालक्ष्मी |
प्रणत सुरेश्वरी भारती भार्गवी शोकविनासिनी रत्नमये |
मणिमयभूषित कर्णविभूषण शांतिसमवृत हास्यमुखे ||
नवनिधिदायिनी कलिमहरिणी कामित फलप्रद हस्त युते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनीविद्यालक्ष्मी सदा पालय माम ||
धनलक्ष्मी
धिमिधिमी धिंधिमी धिंधिमी धिंधिमी दुन्दुभी नाद सुपूर्णमये |
घूमघूम घुंघुम घुंघुम घुंघुम शंखनिनाद सुवाद्यनुते ||
वेदपूराणेतिहास सुपूजित वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते |
जय जय हे मधुसुदन कामिनी धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम || ८||