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दशहरा 2018: प्रभु श्री राम से जुड़े ये रहस्य कर देंगे आपको हैरान
अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को प्रत्येक वर्ष दशहरा मनाया जाता है। दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन प्रभु श्री राम ने लंकापति रावण का वध कर देवी सीता को उसके चंगुल से मुक्त कराया था।
साथ ही समस्त संसार को उसके अत्याचारों से भी बचाया था इसलिए बुराई पर अच्छाई की जीत का लोग इस दिन जश्न मनाते हैं।
इसके अलावा नवरात्रि के नौ दिनों का अंत भी इसी दिन होता है। पूरे नौ रात महिषासुर से युद्ध करने के बाद दसवे दिन देवी दुर्गा ने इस राक्षस का वध किया था इसलिए इस त्योहार को विजयदशमी भी कहा जाता है यानी विजय प्राप्ति का उत्सव।
दशहरा पर लोग रावण के साथ साथ मेघनाद और कुंभकरण का भी पुतला दहन करते हैं। दशहरा के इस ख़ास मौके पर आज हम प्रभु श्री राम से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य आपको बताएंगे जिनके बारे में शायद ही आपने कभी सुना होगा।
1. श्री राम का जन्म
चैत्र मास की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है यानि इस दिन लोग श्री राम के जन्म का उत्सव मनाते हैं लेकिन कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार श्रीराम का जन्म 7323 ईसा पूर्व में हुआ था।
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2. श्री राम की बहन
आपने श्री राम से जुड़ी कई कहानियां सुनी होंगी जिनमें उनके भाइयों के बारे में ज़िक्र किया गया होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्री राम की एक बड़ी बहन भी थी जिसका नाम शांता था। रानी कौशल्या ने एक पुत्री को भी जन्म दिया था और वो थी शांता। रानी कौशल्या की बहन रानी वर्षिणी और उनके पति रोमपद जो अंगदेश के राजा थे उनकी कोई संतान नहीं थी इसलिए राजा दशरथ ने अपनी पुत्री शांता को उन्हें गोद दे दिया था।
3. श्री राम का वनवास
कहते हैं श्री राम का वनवास अयोध्या से आरंभ हुआ था और श्रीलंका में जाकर यह समाप्त हुआ था। इस दौरान उनके साथ अलग अलग स्थानों पर कई घटनाएं घटी जिनमें से तकरीबन 200 से अधिक स्थानों के बारे में पता लगाया जा चुका है। इसमें इलाहाबाद, चित्रकूट, सतना (मध्य प्रदेश) आदि जैसे स्थान शामिल हैं।
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4. श्री राम ने ली थी जल समाधि
कहा जाता है वनवास से लौटने के पश्चात प्रभु श्री राम ने कुछ समय तक अपना राज पाट संभाला किन्तु कुछ समय बाद उन्होंने संसार को छोड़ने का मन बना लिया इसलिए उन्होंने जल समाधि ले ली थी। पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्रीराम ने सरयू नदी में समाधि ली थी। एक कथा के अनुसार यमराज यह भली भांति जानते थे कि बिना अपनी इच्छा के न तो श्री राम अपने प्राण का त्याग करेंगे और न ही उनके भाई लक्ष्मण इसलिए उन्होंने एक एक चाल चली और दोनों भाइयों को अपने वचन और कर्त्वय का पालन करने के लिए मजबूर कर दिया।
5. श्री राम के चरणों में था कमल के फूल का चिन्ह
कहा जाता है कि धरती पर जब भी कोई दिव्य अवतार का जन्म होता था तब उसके शरीर पर कोई न कोई ऐसा निशान या चिन्ह बना होता था जो इस बात की पुष्टि करता था कि वह साधारण मनुष्य नहीं है। इसी प्रकार जब श्री राम का जन्म हुआ तो उनके चरणों में कमल के फूल का चिन्ह बना हुआ था। कहते हैं ऐसा ही चिन्ह भगवान श्री कृष्ण के पैरों में भी था।