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हरियाली तीज 2018: अखंड सौभाग्य के लिए करें ऐसे व्रत और पूजा
सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लम्बी आयु की कामना करती हैं। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत सबसे पहले पर्वतराज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती ने रखा था जिन्हे स्वयं महादेव ने इस पवित्र अवसर पर पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था।
हिंदू धर्म में इस त्योहार का बड़ा ही महत्व है। ख़ास तौर पर उत्तर भारत में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुहागन औरतें पूरे सोलह श्रृंगार करती हैं और हाथों में मेहंदी लगाती हैं। साथ ही निर्जल व्रत भी रखती हैं।
यह व्रत बेहद कठिन होता है क्योंकि महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल के रहती हैं और दूसरे दिन सुबह स्नान करने के पश्चात पूजा पाठ करके ही अपना व्रत खोलती हैं। हरियाली तीज को श्रावणी तीज भी कहा जाता है।
आपको बता दें इस बार हरियाली तीज 13 अगस्त, सोमवार को है।
हरियाली तीज पर झूला झूलने की भी एक ख़ास परम्परा है। इस दिन जगह जगह पेड़ों पर झूले दिखायी पड़ेंगे जिस पर बैठकर महिलाएं खूब झूमती और गाती हैं। इसके अलावा कई स्थानों पर मेले भी लगते हैं और माता पार्वती की सवारी भी निकाली जाती है।
आइए हरियाली तीज के इस शुभ अवसर पर जानते हैं इससे जुड़ी कुछ और बातें।
माता पार्वती ने किया था शिव जी के लिए कठोर तप
कहते हैं शिव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने सैकड़ों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। ऐसा भी माना जाता है कि माता ने कुल 108 जन्म लिए थे तब जाकर भोलेनाथ ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। कहा जाता है कि देवी के 108वे जन्म में महादेव ने उनकी आराधना से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए थे और अपनी पत्नी बनाने का वरदान भी दिया था। वह दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया का दिन था तब से इसे हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है और सुहागन औरतें अपने सुहाग की रक्षा के लिए यह कठिन व्रत रखती हैं।
कुंवारी कन्याएं यदि इस व्रत को रखती और पूजा करती हैं तो उनके विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
हरियाली तीज व्रत और पूजन विधि
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। महिलाओं के लिए श्रृंगार का सारा सामान उनके मायके से आता है। हरियाली तीज पर सभी औरतें निर्जला व्रत रखती हैं। इस पूजा में माता पार्वती को चढ़ावे के रूप में श्रृंगार का सभी सामान चढ़ाया जाता है जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, आलता आदि।
व्रत के साथ साथ हरियाली तीज की कथा भी सुनी जाती है। इसके बाद महिलाएं पूरी रात जागरण कर नाचती गाती हैं फिर अगले दिन सुबह नहा धोकर पुनः पूजा पाठ करके ही अपना व्रत खोलती हैं।
कहते हैं जो भी स्त्री सच्चे मन से इस दिन व्रत और पूजन करती हैं उसे भोलेनाथ और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे उसका वैवाहिक जीवन हमेशा सुखी रहता है। साथ ही अन्य कई भौतिक सुखों की भी प्राप्ति होती है।
हरियाली तीज पर वरुण देव की भी पूजा की जाती है।
राजस्थान में है सिंजारा की परंपरा
जैसा कि हमने आपको बताया हरियाली तीज पर श्रृंगार का सारा सामान औरतों के मायके से आता है लेकिन राजस्थान में इसे लेकर एक ख़ास परंपरा है। जिन कन्याओं की सगाई हो चुकी होती है उन्हें अपने होने वाले सास ससुर से इस दिन भेंट मिलती है जिसे सिंजारा (श्रृंगार) कहते हैं। इसमें श्रृंगार का सारा सामान होता है जैसे लाख की चूड़ियां, कपड़े (लेहरिया), विशेष मिष्ठान घेवर, मेहंदी आदि।
शुभ मुहुर्त
तृतीया तिथि आरंभ - 13 अगस्त 08:36 बजे से।
तृतीया तिथि समाप्त - 14 अगस्त 05:45 बजे तक।