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कैसे मिला श्री कृष्ण को अपना नाम
अक्सर हम से हमारे नाम के बारे में पूछा जाता है कि किसने हमारा नाम रखा है। जाहिर सी बात है हमे हमारा नाम हमारे ही परिवार के किसी सदस्य ने दिया होगा या फिर ऐसे किसी व्यक्ति ने जो हमसे अत्यंत प्रेम करता हो। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे पूजनीय देवी देवताओं का नाम किसने रखा होगा और उनके नाम का अर्थ क्या है। जी हाँ हम अपने इस लेख में बात कर रहे है श्री कृष्ण की जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते है।
जैसा की हम सब जानते है कि श्री कृष्ण को उनके जन्म देने वाले माता पिता ने नहीं बल्कि गोकुल के नन्द बाबा और माता यशोदा ने पालपोस कर बड़ा किया था। कहतें है न जन्म देने वाले से पालने वाला ज़्यादा बड़ा होता है ठीक उसी प्रकार श्री कृष्ण को भी अपने पालनकर्ता से ज़्यादा लगाव था।
वैसे तो श्री कृष्ण की बालवस्था से लेकर किशोरवस्था तक ऐसी कई लीलाएं जिनके बारे में हमने पढ़ा या सुना होगा। लेकिन बहुत कम लोग इस बात से अवगत होंगे कि आखिर भगवान को कृष्ण नाम दिया किसने। तो आइए जानते है कैसे मिला भगवान को यह नाम।
श्री
कृष्ण
के
मामा
कंस
कन्हैया
के
मामा
यानी
देवकी
का
भाई
कंस
एक
बहुत
ही
अत्याचारी
राजा
था।
उसके
अत्याचार
से
समस्त
मथुरा
के
लोग
परेशान
थे।
कहतें
है
एक
बार
आकाशवाणी
हुई
कि
उसकी
बहन
देवकी
की
आठवीं
संतान
ही
उसकी
मृत्यु
का
कारण
बनेगी।
इस
आकाशवाणी
के
भय
से
कंस
ने
देवकी
और
उसके
पति
वासुदेव
को
बंदी
बनाकर
कारागार
में
डाल
दिया
था।
जिसके
पश्चात
एक
एक
कर
कंस
ने
देवकी
के
सात
संतानों
की
हत्या
कर
दी
थी।
जब
श्री
कृष्ण
का
हुआ
जन्म
कहतें
है
देवकी
की
संतानों
को
मारने
के
पश्चात
कंस
को
और
भी
अभिमान
हो
गया
था
कि
उसे
समस्त
संसार
में
कोई
भी
नहीं
हरा
पाएगा।
वह
सोचने
लगा
कि
जिस
प्रकार
उसने
सात
नवजात
बच्चों
की
हत्या
की
है
ठीक
उसी
प्रकार
वह
देवकी
की
आठवीं
संतान
को
भी
मार
डालेगा
और
अमर
हो
जाएगा।
किन्तु
ईश्वर
का
लेखा
कोई
नहीं
टाल
सकता
इसलिए
भविष्यवाणी
के
अनुसार
देवकी
के
आठवें
पुत्र
के
रूप
में
श्री
कृष्ण
का
जन्म
हुआ।
कहा जाता है कि जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ तब काली अंधियारी रात थी और कारागार में मौजूद सैनिक अपने आप ही निद्रावस्था में चले गए। यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि प्रभु की लीला थी ताकि वासुदेव उन्हें कुशल पूर्वक गोकुल में नन्द बाबा और माता यशोदा के पास पहुंचा सकें।
वासुदेव नन्द की पुत्री को लेकर वापस लौटें
वासुदेव ने समस्त बाधाओं को पार कर, भारी वर्षा के बीच शेषनाग की सहायता से श्री कृष्ण को नन्द बाबा के घर पहुंचा दिया और उनकी पुत्री जिसे यशोदा ने जन्म दिया था उसे अपने साथ ले आए। जब कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म के बारे में पता चला तब वह फ़ौरन उसकी हत्या करने कारागार में पहुँच गया किन्तु वहां पहुँच कर उसने देखा कि देवकी को पुत्र नहीं बल्कि पुत्री की प्राप्ति हुई है। किन्तु फिर भी उसने उस नवजात बच्ची को मारने का मन बना लिया था क्योंकि वह उस आकाशवाणी से भयभीत था।
जैसे ही कंस ने उस बच्ची को मारने का प्रयास किया उस नवजात ने देवी का रूप धारण कर लिया और एक बार फिर कंस को उसकी आने वाली मृत्यु के बारे में चेतावनी देकर वह देवी अंतर्ध्यान हो गयी।
नन्द बाबा और यशोदा कंस से भयभीत रहतें
जब कंस उस कन्या का वध नहीं कर पाया तो उसने गोकुल के समस्त बच्चों का वध करने की योजना बनायी। इस बात से नन्द बाबा और यशोदा बड़े परेशान रहने लगे। जहाँ एक ओर वो इस बात से प्रसन्न थे कि उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई है वहीं दूसरी ओर उन्हें हमेशा कंस का भय सता रहता इसलिए नन्द बाबा ने न सिर्फ कृष्ण को कंस से छुपा कर रखा बल्कि अपने भतीजे बलराम के जन्म को भी कंस से गुप्त रखा।
नामकरण को लेकर थे चिंतित
कहतें है नन्द बाबा और यशोदा को इस बात की चिंता रहती कि किस प्रकार दोनों बच्चों का नाम करण होगा। जब आचार्य गर्ग पहुंचे नन्द बाबा के घर आचार्य गर्ग प्राचीन काल के बड़े ही महान विद्वान थे। एक दिन वे मथुरा जा रहे थे तभी रास्ते में उन्हें नन्द बाबा से मिलने का ख्याल आया। जब वे नन्द बाबा के यहाँ पहुंचे तो उन्हें दोनों बच्चों के नाम करण को लेकर दुविधा के विषय में पता चला। तब आचार्य ने दोनों बच्चों के भविष्य के बारे बताते हुए कहा कि जब जब धरती पर पाप और अत्याचार बढ़ा है तब तब भगवान ने अलग अलग रूप में धरती पर जन्म लेकर समस्त संसार को पापियों से मुक्त कराया है।
ठीक उसी प्रकार इन दोनों बालकों का जन्म भी इसी उद्देश्य से धरती पर हुआ है आचार्य ने नन्द बाबा के भतीजे को बलराम नाम दिया और कहा कि यह बालक बहुत ही बलवान और शक्तिशाली होगा। इसके पश्चात आचार्य ने नन्द बाबा के पुत्र के विषय में बताते हुए कहा की यह बालक स्वयं भगवान विष्णु का अवतार है जिसका जन्म संसार के कल्याण हेतु हुआ है। पूर्व में भगवान ने कभी, लाल, कभी सफ़ेद या कभी पीले रंग रूप में जन्म लिया था किन्तु इस बार उन्होंने काला रंग धारण किया है इसलिए इस बालक नाम नाम कृष्ण होगा। इस प्रकार भगवान विष्णु के इस अवतार में उनका रंग काला होने की वजह से उन्हें कृष्ण नाम दिया गया।