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खरमास में ये काम करने से बचें, शुभ के चक्कर में हो सकता है अशुभ
खरमास यानी पौष मास इसके बारे में तो आपने सुना ही होगा कि खरमास में शुभ कार्य किए जाना वर्जित होता है। उत्तर भारत में कई जगह खरमास को मलमास भी कहा जाता है। खरमास एक महीनें तक रहता है। मकर संक्राति के साथ ही खरमास की समाप्ति हो जाएंगी।
इस दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य प्रारंभ करना अशुभ माना गया है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य इस समय वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करते हैं। आइए जानते है खरमास में किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
क्या है खरमास और क्या होता है?
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन को संक्रान्ति कहते हैं। जब दो पक्षों में संक्रान्ति नहीं होती है, तब अधिक मास होता है। जिसे मलमास या फिर खरमास भी कहते है। यह स्थिति 32 महीने और 16 दिन में होती है यानि लगभग हर तीन वर्ष बाद मलमास पड़ता है।
क्या है मलमास?
खरमास लगने पर एक महीने तक के लिए सारे शुभ काम रोक दिए जाते हैं। सूर्य जब बृहस्पति की राशि धनु या फिर मीन में होता है तो ये दोनों राशियां सूर्य की मलीन राशि मानी जाती है।
दो बार आता है खरमास
साल में दो बार सूर्य बृहस्पति की राशियों के संपर्क में आता है। पहले 15-16 दिसंबर से 14-15 जनवरी और दूसरा 14 मार्च से 13 अप्रैल। दूसरी बार में सूर्य मीन राशि में रहते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
मलमास के आरम्भ के दिन श्रद्धा भक्ति से व्रत और उपवास रखना चाहिए। इस दिन पूजा-पाठ का बहुत महत्व होता है। मलमास के शुरुआत के दिन में शुभ काम करने का फल बहुत ज्यादा मिलता है। मलमास का व्रत करने वाले लोगों को पूरे महीने सादा और सात्विक जीवन जीना चाहिए। इस समय जमीन पर सोना चाहिए, शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन करना चाहिए, भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। इससे बुरे काम का फल समाप्त हो जाता है और धन सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
क्या करना चाहिए खरमास में
इस महीने में भगवत गीता, श्री राम जी की आराधना, कथा वाचन और विष्णु की उपासना करनी चाहिए। दान, पुण्य, जप और भगवान का ध्यान लगाने से कष्ट दूर हो जाते हैं। यह महीने भगवान शिव की आराधना के लिए फलदायी होता है। शिवजी के अलावा मलमास को भगवान विष्णु की पूजा के लिए भी अच्छा माना गया है।
इस मंत्र का करें जाप
पूजा के साथ धार्मिक ग्रंथों में खरमास में एक मंत्र भी जपना चाहिए।
मंत्र - गोवर्धनधरवन्देगोपालंगोपरूपिणम्.गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्.ऐसी मान्यता है कि इस मंत्र का जप करते समय पीले वस्त्र धारण करने चाहिए, बहुत फायदा मिलता है. इसके साथ ही पूजा और हवन के साथ दान करना भी फायदेमंद होता है.
खरमास में क्या न करें
मलमास में गृह प्रवेश, मुण्डन, यज्ञोपवीत, विवाह, घर बनाना, भूमि और प्रापर्टी में निवेश, नई गाड़ी, नया कारोबार जैसी चीजें नहीं करनी चाहिए। नए कपड़े पहनने से भी बचना चाहिए।
इसलिए कहा जाता है खरमास
इस महीने के खरमास नाम होने के पीछे एक रोचक काहानी है। खर मतलब खच्चर या गधा। ऐसी मान्यता है कि सूर्य अपने सातों घोड़ों के साथ घूम रहे थे, घूमते घूमते उनके घोड़े प्यास से व्याकुल हो गए। रास्ते में उन्हें एक तालाब दिखा सूर्य अपने घोड़ों को पानी पिलाने लगे। पानी पीने के बाद घोड़े थकावट की वजह से अकड़ने लगे। तभी सूर्य को इस बात का स्मरण हुआ की सृष्टि के नियम के अनुसार उन्हें निरंतर ऊर्जावान होकर चलते रहने का निर्देश है। सूर्य को तालाब के किनारे दो गधे दिखाई दिए। सूर्य देव् शीघ्र उन गधो को रथ में जोत कर वहां से चल दिए। इस तरह सूर्य देव पूरे महीने मंद गति से गधों की सवारी से चलते रहे। इस समय उनका तेज भी कम हो गया था। पुनः मकर राशि में प्रवेश करते समय मतलब एक माह बाद वे फिर से अपने सातों घोड़ों की रथ की सवारी शुरु की।
कब खत्म होगा खरमास
जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं तो सभी शुभ कार्य शुरु हो जाते है। मतलब मकर संक्राति के साथ ही खरमास की समाप्ति हो जाती है। शादी ब्याह के साथ सभी मांगालिक कार्य शुरु हो जाते हैं।