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लक्ष्मी पंचमी पर पूजा करने से होतें है ये लाभ

By Rupa Shah
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श्री पंचमी अर्थात लक्ष्मी पंचमी के दिन धन और वैभव की देवी, लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र दिन की गई आराधना कभी निष्फल नहीं होती और मनुष्य को अवश्य ही सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

Lakshmi Panchami Vrat and Puja date

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता लक्ष्मी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। यह व्रत हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है और इस पवित्र पर्व को भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। कहते है इस दिन माता लक्ष्मी अपने भक्तों की उपासना से प्रसन्न होकर उन पर कृपा बरसाती है।

आइये जानते हैं क्या है लक्ष्मी पंचमी की पूजा के पीछे की कहानी और इसकी विधि।

 लक्ष्मी पंचमी की कथा

लक्ष्मी पंचमी की कथा

एक बार मां लक्ष्मी देवताओं से रूठ गई और क्षीर सागर में जा मिली। मां लक्ष्मी के चले जाने से समस्त देवता श्री विहीन हो गये। तब देवराज इंद्र ने माता को पुन: प्रसन्न करने के लिये कठोर तपस्या कि और व विशेष विधि विधान से उनके लिए व्रत रखा। उनका अनुसरण करते हुए अन्य देवताओं ने भी मां लक्ष्मी का उपवास रखा, देवताओं की तरह असुरों ने भी लक्ष्मी जी की उपासना की। इस पूजा से देवी अत्यधिक प्रसन्न हुई और अपने भक्तों की पुकार सुनी। व्रत समाप्ति के पश्चात माता पुन: उत्पन्न हुई और उनका विवाह श्री हरी विष्णु के साथ सम्पन्न हुआ। देवता फिर से माता की कृपा पाकर धन्य हुए।

ऐसा मानना है कि यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। यही कारण था कि इस तिथि को लक्ष्मी पंचमी के व्रत के रूप में मनाया जाने लगा।

श्री पंचमी की पूजा विधि

श्री पंचमी की पूजा विधि

लक्ष्मी पंचमी का व्रत विशेष विधि से किया जाता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को स्नानादि के बाद साफ़ सुथरे कपडे पहनने चाहिये। रात्रि में दही व चावल भोजन के तौर पर ग्रहण करें । इसके पश्चात श्री पंचमी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करके उस पर कमल का पुष्प अर्पित करें। इसके अलावा अनाज, हल्दी, गुड़, अदरक आदि मां को अर्पित करने चाहिये।यदि हर महीने मां लक्ष्मी का व्रत रखते हैं तो विधिनुसार व्रत का उद्यापन भी करना चाहिये।

सात कल्पादि तिथियों में से चैत्र शुक्ल पंचमी की तिथि एक है इसलिए इसे बहुत ही सौभाग्यशाली दिन माना जाता है। श्रीपंचमी के दिन देवी के अनेक स्तोत्र जैसे कनकधारा स्तोत्र, लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी सुक्त का पाठ करना चाहिए।

करें इन मंत्रों का जाप

करें इन मंत्रों का जाप

इन मंत्रों का जाप करते हुए माता लक्ष्मी की पूजा करने से माता प्रसन्न होती है। ध्यान रहे मन्त्रों के साथ माता को पुष्प चढ़ाना न भूलें।

  • ऊँ चपलायै नम: पादौ पूजयामि।
  • ऊँ चन्चलायै नम: जानुनी पूजयामि।
  • ऊँ कमलवासिन्यै नम: कटि पूजयामि।
  • ऊँ ख्यात्यै नम: नाभिं पूजयामि।
  • ऊँ मन्मथवासिन्यै नम: स्तनौ पूजयामि।
  • ऊँ ललितायै नम: भुजद्वयं पूजयामि।
  • ऊँ उत्कण्ठितायै नम: कण्ठं पूजयामि।
  • ऊँ माधव्यै नम: मुखमण्डलं पूजयामि।
  • ऊँ श्रियै नम: शिर: पूजयामि।
  • श्री पंचमी व्रत से लाभ

    श्री पंचमी व्रत से लाभ

    कहते है अगर विधिपूर्वक श्री पंचमी के दिन व्रत और पूजा की जाए तो लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर अवश्य ही कृपा करती है। साथ ही व्रती अपने 21 कुलों के साथ लक्ष्मी लोक में निवास करता है। इसके अलावा स्त्रियों को यह व्रत सौभाग्य, संतान और धन की प्राप्ति कराता है। धन की परेशानी ही नहीं बल्कि माता अन्य दुःख और समस्यायों को भी दूर करतीं है। अगर आपको अपने व्यवसाय में या फिर अपनी नौकरी में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो यह व्रत करने से माता आपकी इक्च्छा ज़रूर पूरी करेंगी।

     माता लक्ष्मी के आठ स्वरूप

    माता लक्ष्मी के आठ स्वरूप

    महालक्ष्मी या आदिलक्ष्मी: माता के इस सबसे पहले अवतार को भृगुसुता या भृगु ऋषि की पुत्री के रूप में जाना जाता है।

    धन लक्ष्मी: कहते है, कि इनकी कृपा से विष्णु जी कुबेर से लिए हुए क़र्ज़ को चुका पाए थे।

    धान्य लक्ष्मी : धान्य लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति कभी क्षुधा तृष्णा से व्यथित नहीं होता।

    गज लक्ष्मी :गज, अश्व, गौ आदि चाहने वालों को गज लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। कहते है इन्होंने इंद्र के समुन्द्र में डूबे हुए धन को पुनः प्राप्त करने में सहायता की थी।

    संतान लक्ष्मी :इनकी पूजा वो लोग करतें है जो संतान की इक्च्छा रखतें है। अपने इस रूप में माता गोद में बच्चा लिए है।

    वीरा लक्ष्मी: वीरा माता के आशीर्वाद से मनुष्य को जीवन में सभी कठिनाईओं से लड़ने की और उस पर विजय पाने की शक्ति प्रदान करती है।

    विजय लक्ष्मी या जया लक्ष्मी: माता का यह स्वरूप जीत का प्रतीक माना जाता है। इनकी आठ भुजाएं है।

    विद्या लक्ष्मी: धन के साथ देवी का यह स्वरूप विद्या भी प्रदान करता है। अपने इस रूप में देवी लक्ष्मी ने सफ़ेद वस्त्र धारण किये हुए है और इनकी चार भुजाएं है।

English summary

Lakshmi Panchami Vrat and Puja date

Lakshmi Panchami which is also known as Shri Panchami and Shri Vrata is the day which is dedicated to Goddess Lakshmi.
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