Just In
- 36 min ago Good Friday के पवित्र दिन ईसाई क्यों खाते हैं मछली जबकि मांस खाना है मना, ये है वजह...
- 2 hrs ago Good Friday: इस दिन सूली पर चढ़ाए गए थे ईसा मसीह फिर क्यों कहा जाता है 'गुड फ्राइडे'
- 3 hrs ago Bengaluru Water Crisis : चिरंजीवी को सताई जल संकट की चिंता, एक्टर ने शेयर किए पानी बचाने के टिप्स
- 4 hrs ago First Surya Grahan 2024: साल 1970 में लगा था ऐसा सूर्य ग्रहण, यह अद्भुत घटना क्या भारत में आएगी नजर?
Don't Miss
- News केजरीवाल की गिरफ्तारी पर फिर बोला अमेरिका, भारत ने लगाई फटकार, कहा- विदेशी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं
- Movies Chamkeela Trailer: बुरी तरह रो पड़े दिलजीत दोसांझ, कुछ ही दिनों पहले जीता था नीता अंबानी का दिल
- Finance National Pension System में आधार वेरिफिकेशन हुआ अनिवार्य, अब इस तरह लॉग इन होगा अकाउंट
- Automobiles हो जाइए तैयार: 15 अगस्त को आ रही है Mahindra Thar 5-door SUV, पावरफुल इंजन के साथ मिलेंगी जबरदस्त फीचर्स
- Travel Good Friday की छुट्टियों में गोवा जाएं तो वहां चल रहे इन फेस्टिवल्स में भी जरूर हो शामिल
- Technology Samsung Galaxy M55 5G ट्रिपल कैमरा, 5000mAh बैटरी के साथ लॉन्च, जानिए कीमत
- Education SSC CPO 2024 Registration: 4187 सीपीओ पदों पर बंपर भर्ती के लिए आवेदन करें आज ही, देखें सीधा लिंक
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
महाशिवरात्रि 2022: भगवान शिव को तुलसी चढ़ाना है पूरी तरह से वर्जित, जानें इसका कारण
भोलेनाथ के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व सबसे बड़ा उत्सव होता है। वो पूरे साल इस दिन का इंतजार करते हैं और भोलेबाबा को प्रसन्न करने के लिए उनकी विशेष पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से जो भक्त भगवान शिव का स्मरण कर लेता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। यूं तो शंकर भगवान को एक लोटा जल चढ़ा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। मगर कुछ ऐसी चीजें हैं जो शिव पूजा में इस्तेमाल नहीं की जाती है और उनमें से एक है तुलसी। इस लेख में जानते हैं कि भगवान शिव को पूजा में तुलसी चढ़ाना क्यों वर्जित है।
भोलेनाथ को क्यों नहीं चढ़ाते हैं तुलसी के पत्ते
इससे जुड़ी एक प्रचलित कथा के अनुसार, जलंधर नामक एक अत्याचारी असुर था। उसकी पतिव्रता पत्नी का नाम था वृंदा। इनके अंश से ही तुलसी का जन्म हुआ जिसे बाद में भगवान श्रीहरि ने पत्नी के रूप में स्वीकार किया। कथा की मानें तो जलंधर नामक राक्षस से सभी बहुत परेशान थे। उसके कारण हर जगह हाहाकार मचा हुआ था। मगर कोई भी जलंधर को हानि नहीं पहुंचा पा रहा था और इसका कारण था वृंदा का पवित्र पतिव्रता धर्म।
ऐसी स्थिति में भगवान विष्णु ने वृंदा के पति का रूप धारण किया और छलपूर्वक उसका धर्म भ्रष्ट कर दिया। उधर भगवान शंकर ने जलंधर का वध कर दिया। इस घटना की जानकारी मिलने के पश्चात् पवित्र तुलसी ने भगवान शिव को अपने स्वरूप से वंचित कर दिया और श्राप देते ही कहा कि वो उनकी पूजन सामग्री का हिस्सा नहीं बनेंगी।