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Navratri Day 6: मां कात्यायनी की इस विधि से करें पूजा, मिलेगा मनचाहा जीवनसाथी
कल यानि 1 अक्टूबर को नवरात्रि का छठा दिन है। नवरात्रि के नौ दिनों तक बहुत धूम- धाम से लोग ये त्योहार मनाते है। नवरात्रि के दौरान दुर्गा मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन दुर्गां मा के सभी स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का छठां दिन देवी दुर्गां के छठें स्वरूप मां कात्यायनी का होता है। इस दिन मां कत्यायनी की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त मां कात्यायनी की विधि विधान से पूजा करते हैं, उनका सब काम आसानी से पूरा हो जाता है। सभी तरह की बुराईयों का विनाश हो जाता है। मां कात्यायनी को मन की शक्ति की देवी भी माना जाता है। इसलिए मां की पूजा करने से आप अपनी सभी इंद्रियों को अपने वश में कर सकते हैं।
मां
कात्यायनी
की
पौराणिक
कथा
शास्त्रों में मौजूद पौराणिक कथाओं के मुताबिक महर्षि कात्यायन ने मां जगदम्बा को एक बेटी के रूप में पाने के लिए बहुत मुश्किल तपस्या की थी। महर्षि के कठिन तपस्या से खुश होकर मां जगदम्बा ने महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया। जिससे उनका नाम मां कात्यायनी कहलाया। मां कात्यायनी ने कई असूरों का सर्वनाश किया, दुनिया में फैल रहे डर के माहौल को खत्म किया।
पूजा
विधि
मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन लें। पूजा स्थान पर बैठकर मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद मां कात्यायनी को लाल रंग के कपड़े और फूल अर्पित करें। मां को रोली, कुमकुम, लॉन्ग का जोड़ा, इलाइची चढ़ाएं। साथ ही मां को 5 तरह के फल और मिठाई का भोह भी लगाएं। मां कात्यायनी को शहद काफी प्रिय है, इसलिए मां को शहद का भोग जरुर लगाएं। अब मां की कथा पढ़कर, मां की आरती उतारें।
पूजा
का
महत्व
मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा करने से किसी भी लड़की या लड़कें की शादी में आ रही रुकावट दूर हो जाती है। मां कात्यायनी की विधि से पूजा करने से भक्त को सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ती होती है। साथ ही दुश्मनों का भय भी उनके मन से खत्म होता है। मां कात्यायनी के आशीर्वाद से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
मां
का
स्वरूप
मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं, जिनमें अस्त्र शस्त्र और कमल का फूल है, मां का वाहन सिंह है। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी हैं, श्री कृष्ण की प्राप्ति के लिए गोपियों ने मां कात्यायनी की ही पूजा-अर्चना की थी। मां कात्यायनी देवी का स्वरूप सोने की तरह चमकीला होता है।
मां
कात्यायनी
मंत्र
ओम
देवी
कात्यायन्यै
नम:
महामंत्र
चन्द्रहासोज्जवलकरा
शार्जलवरवाहना।
कात्यायनी
शुभं
दद्याद्
देवी
दानवघातिनी।।
मां कात्यायनी का बीज मंत्र
क्लीं
श्री
त्रिनेत्रायै
नम:।
मां कात्यायनी का कवच मंत्र
कात्यायनौमुख
पातु
कां
स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे
विजया
पातु
मालिनी
नित्य
सुन्दरी।।
मां
कात्यायनी
का
स्तुति
मंत्र
या
देवी
सर्वभूतेषु
मां
कात्यायानी
रूपेण
संस्थिता।
नमस्तस्यै
नमस्तस्यै
नमस्तस्यै
नमो
नम:।।
मां
कात्यायनी
की
आरती
जय
जय
अम्बे
जय
कात्यायनी।
जय
जग
माता
जग
की
महारानी॥
बैजनाथ
स्थान
तुम्हारा।
वहावर
दाती
नाम
पुकारा॥
कई
नाम
है
कई
धाम
है।
यह
स्थान
भी
तो
सुखधाम
है॥
हर
मन्दिर
में
ज्योत
तुम्हारी।
कही
योगेश्वरी
महिमा
न्यारी॥
हर
जगह
उत्सव
होते
रहते।
हर
मन्दिर
में
भगत
है
कहते॥
कत्यानी
रक्षक
काया
की।
ग्रंथि
काटे
मोह
माया
की॥
झूठे
मोह
से
छुडाने
वाली।
अपना
नाम
जपाने
वाली॥
बृहस्पतिवार
को
पूजा
करिए।
ध्यान
कात्यानी
का
धरिये॥
हर
संकट
को
दूर
करेगी।
भंडारे
भरपूर
करेगी॥
जो
भी
माँ
को
भक्त
पुकारे।
कात्यायनी
सब
कष्ट
निवारे॥