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साल में सबसे पुण्यदायिनी मानी जाती है निर्जला एकादशी, पानी की एक बूंद ग्रहण किए बिना रखा जाता है व्रत

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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है। इन सब में निर्जला एकादशी को खास महत्ता दी गयी है। हिंदू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। सभी एकादशी में निर्जला एकादशी को सबसे कठिन माना जाता है। इससे जुड़े कई नियम भी हैं जिनका पालन इस दौरान किया जाता है। इस व्रत में जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है इसलिए इसे निर्जला व्रत कहा जाता है। पौराणिक शास्त्रों में निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी और भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है।

निर्जला एकादशी व्रत की तिथि और मुहूर्त

निर्जला एकादशी व्रत की तिथि और मुहूर्त

इस साल 21 जून (सोमवार) को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि 20 जून को शाम 04 बजकर 21 मिनट से ही शुरू हो जाएगी जिसका समापन 21 जून को दोपहर 01 बजकर 31 मिनट पर होगा। व्रत का पारण अगले दिन यानी कि 22 जून (मंगलवार) को होगा।

इस दिन रखा जाएगा निर्जल व्रत

इस दिन रखा जाएगा निर्जल व्रत

साल में आने वाली सभी एकादशी में व्रती को पानी पीने की मनाही नही होती है। मगर निर्जला एकादशी का व्रत निर्जल किया जाता है। व्रत के प्रारंभ होने से लेकर पारण के समय तक जल ग्रहण नहीं किया जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि

निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि

इस दिन व्रती सुबह जल्दी उठ जाए। स्नानादि करके साफ़ वस्त्र पहनें। पूजाघर की सफाई करें और व्रत का संकल्प लें। अब भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनकी पूजा करें। पूजा के बाद भी दिनभर उनके नाम का स्मरण करते रहें। इस दिन निर्जल व्रत करें। अब अगले दिन सुबह स्नान कर लें। श्रीहरि को भोग लगाएं। ब्राह्मणों या किसी जरुरतमंद को दान करें। इसके बाद आप स्वयं व्रत का पारण करें।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व

निर्जला एकादशी को बड़ा फलदायी बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से जातक को साल में पड़ने वाली सभी एकादशी व्रतों के समान फल मिल जाता है। इस व्रत को करने से सृष्टि के पालनकर्ता श्रीहरि का आशीर्वाद मिलता है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा

निर्जला एकादशी व्रत कथा

निर्जला एकादशी की व्रत कथा के अनुसार, महाभारत काल में एक बार पांडु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा कि हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं और मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है।

भीम द्वारा ऐसा अनुरोध किए जाने पर वेद व्यास जी ने कहा- पुत्र! तुम ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जल व्रत करो। इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है। जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती है उन सब एकादशी का फल इस एक व्रत को करने से मिल जाता है। तब भीम ने व्यास जी की आज्ञा का पालन कर निर्जला एकादशी का व्रत किया था।

English summary

Nirjala Ekadashi 2021: Date, Shubh Muhurat, Significance, Puja Vidhi, Vrat Katha in Hindi

Know about the 2021 Nirjala Ekadashi date, time, shubh muhurat,importance, vrat katha and puja vidhi in Hindi.
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