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वनवास के दौरान माता सीता पारिजात के फूलों से करती थीं श्रृंगार, जानें इन फूलों का धार्मिक महत्व

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के पूजन के साथ ही परिसर में पारिजात का पौधा लगाया। इसके बाद से ही लोगों में ये जानने की जिज्ञासा बढ़ गयी है कि आखिर पारिजात के पौधे की क्या खासियत है। पारिजात के पौधे में कई औषिधीय गुण है और इसके साथ धार्मिक दृष्टि से भी इसका बहुत महत्व है। आज इस लेख के माध्यम से जानते हैं पारिजात के दिव्य पौधे और इसके फूलों का धार्मिक महत्व क्या है।

भगवान विष्णु की पूजा में प्रयोग

भगवान विष्णु की पूजा में प्रयोग

पारिजात के फूल बेहद खुशबूदार, छोटे पखुड़ियों वाले और सफेद रंग के होते हैं। फूल के बीच में चमकीला नारंगी रंग होता है। इसका पेड़ बहुत ही सुंदर होता है। भगवान श्री हरि के श्रृंगार और पूजा के लिए पारिजात के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से इन मनमोहक फूलों को हरसिंगार भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में पारिजात वृक्ष को खास स्थान दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इसके स्पर्श से ही व्यक्ति की थकान छूमंतर हो जाती है।

टूट के गिरे फूलों का ही इस्तेमाल

टूट के गिरे फूलों का ही इस्तेमाल

पूजा पाठ के लिए पारिजात के उन फूलों का प्रयोग किया जाता है जो पेड़ से टूटकर गिर चुके हों। पूजा-पाठ के लिए पारिजात के पेड़ से फूल तोड़ना पूरी तरह से निषिद्ध है।

मां सीता पारिजात के फूलों से करती थीं श्रृंगार

मां सीता पारिजात के फूलों से करती थीं श्रृंगार

ऐसा माना जाता है कि 14 वर्षों के वनवास के दौरान माता सीता हरसिंगार के फूलों से ही अपना श्रृंगार किया करती थीं। ऐसा भी कहा जाता है कि लक्ष्मी माता को पारिजात के फूल बेहद प्रिय हैं और उनकी पूजा के दौरान ये फूल चढ़ाने से वो प्रसन्न होती हैं।

समुद्र मंथन से हुई थी पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति

समुद्र मंथन से हुई थी पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति

अमृत पाने के लिए जब देव और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर में समुद्र मंथन किया था तब उसमें से कई रत्न भी निकले थें। पारिजात का वृक्ष भी मंथन के दौरान निकला था और इंद्र ने इसे स्वर्ग में अपनी वाटिका में लगाया था।

पारिजात को ही कहा जाता है कल्पवृक्ष

पारिजात को ही कहा जाता है कल्पवृक्ष

हरिवंश पुराण के अनुसार पारिजात को ही कल्पवृक्ष बताया गया है। ऐसी भी मान्यता है कि स्वर्गलोक में सिर्फ उर्वशी अप्सरा को इस वृक्ष को छूने का अधिकार था। उर्वशी इस वृक्ष को स्पर्श करके तुरंत अपनी थकान मिटा लिया करती थीं।

इसलिए कहा जाता है रात की रानी

इसलिए कहा जाता है रात की रानी

पारिजात वृक्ष में रात के समय भारी मात्रा में फूल लगते हैं। दिन के समय इसके वृक्ष से कितने भी फूल तोड़ लिए जाएं, अगले दिन पेड़ पर फिर से फूलों की भारी मात्रा दिखती है। ये फूल रात में ही खिलते हैं इसलिए इन्हें रात की रानी भी कहा जाता है। आपको इस बात की जानकारी होगी कि हरसिंगार का फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है।

English summary

Parijat Tree: History, Importance, Religious Significance in Hindi

Here we talking about parijat tree history, religious significance and importance in Hindi.
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