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हरियाली तीज पर ही मिले थे माता पार्वती को पति रूप में भगवान शिव

By Lekhaka
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हिंदू धर्म का बेहद खास त्योहार है हरियाली तीज। हर साल आने वाले तीज के त्योहारों में से एक है हरियाली तीज। हर साल हरियाली तीज का पर्व उत्तर भारत के सभी राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में मनाया जाता है।

इसके अलावा नेपाल में भी तीज का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार पर लड़कियां झूला झूलती हैं और बड़े उत्साह के साथ इसे मनाती हैं। आज हम आपको इसी खास पर्व के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।

Significance Of Hariyali Teej
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कब मनाते है हरियाली तीज का त्योहार
हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इस साल हरियाली तीज का पर्व 26 जुलाई को मनाया जाएगा।

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क्या होता है हरियाली तीज का मतलब
मॉनसून की शुरुआत की खुशी में हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। हरियाली शब्द का अर्थ है हरा-भरा इसलिए हरियाली तीज को हरे-भरे वातावरण और शांति के आगमन के लिए मनाया जाता है।

हरियाली तीज मनाने के पीछे एक और पौराणिक कथा भी छिपी है। किवदंती है कि अपनी इच्छा के विरुद्ध जाकर शादी ना करने के लिए माता पार्वती के एक मित्र ने उनका अपहरण कर लिया था। हरियाली शब्द दो शब्दों के मेल से बना है – हर का अर्थ है चोरी और अलिका का अर्थ है मित्र।

पौराणिक कथा
किवदंती है कि देवी सती की मृत्यु के पश्चात् महादेव शंकर अंर्तध्यान और गहन तपस्या में लीन हो गए थे। तपस्या में लीन महादेव संसार की सभी परेशानियों और जिम्मेदारियों से भी विमुख हो गए थे। इस समस्या के निवारण हेतु देवी सती ने पुर्नजन्म लिया और शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की।

लेकिन वो असफल रहीं। इसी क्रम में शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी सती ने 107 बार जन्म लिया लेकिन उनकी ये मनोकामना पूर्ण नहीं हुई। 108वें जन्म में देवी सती ने पर्वत राज की पुत्री के रूप में माता पार्वती के नाम से जन्म लिया और शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की।

इस दौरान पर्वत राज के पास नारद मुनि आए और उन्होंने भगवान विष्णु के लिए माता पार्वती के विवाह का प्रस्ताव रखा। पर्वत राज ने खुशी-खुशी इसे स्वीकार भी कर लिया। किंतु ये खबर सुनकर माता पार्वती को बहुत दुख हुआ और उन्होंने इस बात पर अत्यंत विलाप भी किया। माता पार्वती भगवान विष्णु से नहीं देवों के देव महादेव शिव से विवाह करना चाहती थीं।

अपनी इस मनोकामना की पूर्ति के लिए माता पार्वती ने कई हज़ार वर्षों तक तपस्या की और तब कहीं जाकर शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनके विवाह करने के लिए तैयार हो गए। इसके पश्चात् शिव-पार्वती ने बड़ी धूमधाम से शिव-पार्वती का विवाह हुआ। शिव-पार्वती के मिलन के उत्सव में ही हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है।

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भगवान कृष्ण और हरियाली तीज
ब्रज मंडल में भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रेम के प्रतीकात्मक उत्सव के रूप में हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। ब्रज के अनेक कृष्ण मंदिरों को बड़ी धूमधाम से सजाया जाता है और झूला भी डाला जाता है। इस मौके पर लोग नृत्य करते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं। श्रीकृष्ण की लीलाओं का कथन किया जाता है और उनकी पूजा का आयोजन किया जाता है।

श्रावण मास और हरियाली तीज का महत्व
गर्मी के मौसम के बाद श्रावण का बेहद सुहावना मौसम दस्तक देता है। पूरे भारत में श्रावण मास के महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस महीने में शांति का आगमन होता है।

कई क्षेत्रों में इस मौसम के दौरान खेत जोते जाते हैं और उनकी बुवाई का काम किया जाता है। वहीं इस मौसम में अच्छी बारिश होना बेहत फसल का संकेत देती है।

बारिश और शांति से लबरेज़ इस उत्सव को अच्छी फसल के लिए भी शुभ माना जाता है। अच्छी फसल की कामना करते हुए हरियाली तीज के दिन महिलाएं खूब नाचती-गाती हैं।

हरियाली तीज और वैवाहिक आशीर्वाद
पति के रूप में भगवान शिव को पाने की माता पार्वती की इच्छा हरियाली तीज के दिन ही पूर्ण हुई थी इसलिए इस दिन को वैवाहिक जोड़ों के लिए बेहद शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है।

एकसाथ इकट्ठा होकर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए कामना करती हैं। वहीं अविवाहित लड़कियां माता पार्वती की तरह उत्तम वर की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।

ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति हरियाली तीज की पूजा करता है उसका वैवाहिक जीवन सुख और प्रेम से भर जाता है।

English summary

Significance Of Hariyali Teej

Read to know what are the importance of hariyali teej and main reasons to celebrate hariyali teej.
Story first published: Monday, July 24, 2017, 15:02 [IST]
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