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इस तरह से बांटा जाता है कुर्बानी का गोस्त
बकरीद का त्योहार मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। बकरीद पैंगंबर इब्राहीम की याद में मनाई जाती है जिन्होने अल्लाह के हुक्म के लिए अपने अजीज बेटे इसमाइल की कुर्बानी करने का फैसला ले लिया था। जब इब्राहीम अपने बेटे को कुर्बान करने जा रहे थे तब अल्लाह के करम से वहां एक जन्नती दुम्बा प्रकट हो गया और इब्राहीम का छूरा उसपर चला और उनके बेटे का बाल भी बांका नहीं हुआ। तब से मुसलमानों के द्वारा अल्लाह के सामने कुर्बानी की जाने लगी जो। बकरीद के दिन कुर्बानी का गोस्त ही खाना चाहिए। चिकन या किसी और जानवर जैसे शुतुर्मुर्ग का गोस्त खाना इस दिन हराम माना जाता है।
इस
तरह
से
बांटा
दाता
है
कुर्बानी
का
गोस्त
बकरीद
में
जो
कुर्बानी
का
जाती
है
उसका
मतलब
ये
बिल्कुल
नही
होता
है
कि
हम
उसे
सिर्फ
अपने
लिए
ही
काटते
हैं।
अल्लाह
के
तरफ
से
ये
हुक्म
है
कि
कुर्बानी
का
गोस्त
तीन
भागों
में
बराबर
बांटा
जाए
जिसका
पहला
हिस्सा
गरीब
और
जरूरतमंद
को
जाता
है
और
दूसरा
आपके
परिवार
और
रिश्तेदारों
को
जाता
है
और
तीसरा
हिस्सा
आपका
होता।
इसलिए
बकरीद
में
नहीं
दी
जाती
मुर्गे
की
कुर्बानी
दरअसल
कुर्बानी
के
लिए
अल्लाह
के
तरफ
से
जानवरों
जैसे
भेड़,
बकरियां
आदि
को
ही
बकरीद
में
कुर्बान
करने
का
हुक्म
है।
ये
देखा
जाता
है
कि
बकरीद
में
सभी
मुसलमानों
के
घर
में
कुर्बानी
होती
और
सबके
फ्रिज
कुर्बानी
के
गोस्त
से
भरे
हुए
होते
है।
ऐसे
में
अगर
मुर्गे
का
या
किसी
अन्य
पक्षी
का
गोस्त
मार्केट
से
लाया
जाएगा
तो
कुर्बानी
का
गोस्त
बर्बाद
होगा।
चूंकि
कुर्बानी
का
गोस्त
अल्लाह
के
नाम
पर
होता
है
इसलिए
इसे
बर्बाद
करना
या
फेकना
गुनाह
माना
गया
है।
इसलिए
आप
मटन
से
ही
अपने
परिवारों
और
दोस्तों
को
लजीज
खाना
बनाकर
खिलाए।