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क्‍या है इस रंग-रंगीले त्‍योहार बैसाखी का महत्व

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बैसाखी एक बड़ा ही खूबसूरत और रंग-रंगीला त्‍योहार है, जिसे पंजाब के साथ-साथ पूरे उत्‍तर भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। यह त्‍योहार किसानों के लिये जितना महत्‍व रखता है उससे कहीं ज्‍यादा यह सिख समुदाय के लोगों के लिये रखता है। यह खरईफ की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। इसी दिन को दसवें गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। पंजाब और हरियाणा सहित कई क्षेत्रों में बैसाखी मनाने के आध्यात्मिक सहित तमाम कारण हैं।

सौर नववर्ष या मेष संक्रांति के कारण पर्वतीय अंचल में इस दिन मेले लगते हैं। लोग श्रद्धापूर्वक देवी की पूजा करते हैं तथा उत्तर-पूर्वी सीमा के असम प्रदेश में भी इस दिन बिहू का पर्व मनाया जाता है। इस दिन खेत में खड़ी फसल पर हर्षोल्लास प्रकट किया जाता है।

Significance of Baisakhi

हिंदुओं के लिए यह त्योहार नववर्ष की शुरुआत है। हिंदु इसे स्नान, भोग लगाकर और पूजा करके मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हजारों साल पहले देवी गंगा इसी दिन धरती पर उतरी थीं। उन्हीं के सम्मान में हिंदू धर्मावलंबी पारंपरिक पवित्र स्नान के लिए गंगा किनारे एकत्र होते हैं।

खाइये एक से बढ़ कर एक पंजाबी डिश

बैसाखी का यह खूबसूरत पर्व अलग अलग राज्‍यो में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। केरल में यह त्योहार 'विशु' कहलाता है। बंगाल में इसे नब बर्षा, आसाम में इसे रोंगाली बिहू, तमिल नाडू में पुथंडू और बिहार में इसे वैषाख के नाम से पुकारा जाता है।

किसानों के लिये महत्‍वपूर्ण दिन
बैसाखी का संबंध फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। इसी दिन गेहूं की पक्की फसल को काटने की शुरूआत होती है। किसान इसलिए खुश हैं कि अब फसल की रखवाली करने की चिंता समाप्त हो गई है। इस दिन किसान सुबह उठ कर नहा धो कर किसान मंदिरों और गुरुदृारे में जा कर भगवान को अच्‍छी फसल होने का धन्‍यवाद देते हैं। किसान अपनी खुशी को नए कपड़े पहन कर तथा भांगड़ा और गिद्दा कर के जताते हैं। इस दिन गांवों में मेले भी लगते हैं।

English summary

Significance of Baisakhi

Vibrant Festival of Baisakhi is considered to be an extremely important festival in India for number of reasons. Apart from being important for the farmers as a harvest festival, the festival is of prime importance in Sikhism as a foundation day of Khalsa Panth.
Story first published: Monday, April 14, 2014, 10:35 [IST]
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