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अगर करना हो क्रिटिसाइज तो अपनाएं ये तरीके
दुष्यंत
कुमार
की
ये
पंक्तियां
देखें-
मत
कहो
आकाश
में
कुहरा
घना
है
यह
किसी
की
व्यक्तिगत
आलोचना
है
कई बार आपको लगता होगा कि कोई गलत कर रहा है, तो आप उसे सही बताते होंगे और सलाह देते होंगे। इसे ही आलोचना या समालोचना या क्रिटिसिज्म कहते हैं। देखा जाए तो किसी को क्रिटिसाइज करना कला से कम नहीं। अगर आप दो टूक किसी पर टिप्पणी करेंगे तो सामने वाला इसे किसी और रूप में ले सकता है। इससे कई बार तो दुश्मनी और भेदभाव की भी स्थिति पैदा हो जाती है। खासकर कार्पोरेट वर्ल्ड में तो किसी को क्रिटिसाइज करते वक्त सही तरीका अपनाना निहायत ही जरूरी है। जब भी आप किसी की आलोचना करें तो आपकी भाषा में शालीनता और विनम्रता होनी चाहिए।
एक अच्छा क्रिटिक होना काफी मुश्किल काम है। इसके लिए आपको पूरी स्थिति को अच्छे से समझना होगा। ऐसे कई तरीके हैं, जिससे आप बिना भावनाओं को आहत किए किसी को क्रिटिसाइज कर सकते हैं। आइए हम आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ तरीके:-
1. विनम्र रहें: अगर आप किसी को क्रिटिसाइज कर रहे हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि आप हर बार कठोर और रूखे रहें। ऐसा करने पर सामने वाले का मनोबल गिरता है और उन्हें लगता है कि उनका काम बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। वहीं अगर आप क्रिटिसाइज करते वक्त विनम्र रहते हैं और शब्दों का चयन अच्छे से करते हैं, तो सामने वाला इसे सकारात्मक रूप में लेता है और अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास करता है। साथ ही विनम्र रहने से व्यक्ति अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित होता है।
2.
परिस्थिति
को
समझना:
अगर
आप
किसी
के
काम
को
क्रिटिसाइज
कर
रहे
हैं
तो
पहले
उस
परिस्थिति
का
विशेषण
करें,
जिसमें
काम
किया
गया
है।
कई
बार
खराब
परिस्थिति
के
कारण
काम
अच्छा
नहीं
होता
है
या
समय
पर
पूरा
नहीं
हो
पाता
है।
इस
स्थिति
में
किसी
के
काम
को
क्रिटिसाइज
करते
समय
विनम्र
बने
रहें
और
परिस्थिति
के
हिसाब
से
ही
बताएं
कि
भविष्य
में
ऐसी
गलतियों
से
कैसे
बचा
जा
सकता
है।
3. धारणा: अगर आप एक अच्छा क्रिटिक बनना चाहते हैं तो कभी भी कोई धारणा न बनाएं। साथ ही आपका क्रिटिसिज्म कभी भी आधारहीन नहीं होना चाहिए। अगर आप किसी के काम पर टिप्पणी कर रहे हैं तो उसके पीछे उपयुक्त कारण होना चाहिए। अगर आप कठोर रहेंगे और आधारहीन टिप्पणी करेंगे तो फिर आप कभी भी एक अच्छे क्रिटिक नहीं बन पाएंगे। इसलिए काम को क्रिटिसाइज करने से पहले तथ्यों को लेकर आश्वस्त हो जाएं।
4. सीधी बात करें: किसी काम को क्रिटिसाइज करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप सीधी बात करें। घुमा फिरा कर बात करने के बजाय सीधे-सीधे मुद्दे की बात करें। आपकी बातों से अगर सामने वाला कंफ्यूज हो रहा है, तो आपकी बातें उन्हें उलझन भरी लगेगी। इसलिए क्रिटिसाइज करते समय हर बार टू द प्वाइंट बात करें। इस दौरान बस इस बात का ध्यान रखें कि कहीं आपका व्यवहार बहुत ज्यादा कठोर न हो जाए। इसे कभी भी सकारात्मक रूप से नहीं लिया जाएगा।
5. तारीफ करना भी न भूलें: क्रिटिसाइज के दौरान तारीफें भी बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए अगर आपको किसी आलेख को क्रिटिसाइज करना है तो आप उसके नकारात्मक बिंदू को लिखेंगे। पर ऐसे में आप आलेख की अच्छी बातों को बताना भी न भूलें। इससे सामने वाले को हौसला मिलता है और वह बेहतर करने की कोशिश करता है। इसलिए कभी भी क्रिटिसाइज करते वक्त सिर्फ नकारात्मक बातें ही न गिनाएं। कुल मिलाकर आपके क्रिटिसाइज करने का तरीका संतुलित होना चाहिए।