For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

बच्‍चों को डरा कर कभी मत सुलायें

By Ajay Mohan
|

Child
आपके बच्‍चे को सुबह स्‍कूल जल्‍दी जाने के लिए सुबह 6 बजे उठना होता है, जाहिर है उसके लिए बच्‍चे को रात में जल्‍दी सोना होगा। और अगर बच्‍चा दिन में सो चुका है, तो रात में जल्‍दी सुलाने में आपको कड़ी मशक्‍कत करनी पड़ती होगी। ऐसे में यदि आप उसे भूत-प्रेत की कहानियां या आवाज़ें सुना कर डराते हैं और सोने के लिए दबाव डालते हैं, तो आप गलत करते हैं। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो इससे बच्‍चे के मस्तिष्‍क पर बुरा असर पड़ता है।

दिल्‍ली के मयूर विहार की मनोचिकित्‍सक डा. रीना वशिष्‍ठ बताती हैं कि बच्‍चे जो भी सुनते हैं, या देखते हैं, वो सभी बातें रात में सोते वक्‍त सोचते हैं। ऐसे में अगर आप उन्‍हें भूत प्रेत या किसी खतरनाक जानवर की आवाज़ सुनाकर डराते हैं और जबर्दस्‍ती सोने को कहते हैं, तो उस वक्‍त तो बच्‍चा डर कर बिस्‍तर पर मुंह ढक कर लेट जाता है और आप निश्चिंत हो जाते हैं, लेकिन बच्‍चे के दिमाग में जो घूमता है, वह आप सोच भी नहीं सकते। आप जो भी डरावनी बातें करते हैं, उसे सोच कर बच्‍चा सोने से पहले सोचता रहता है और उससे खुद को जोड़ने लगता है। ऐसे में बच्‍चे सोने से पहले अचानक रोने लगते हैं या फिर सोते-सोते अचानक चौंक जाते हैं।

चौंक कर उठने पर बच्‍चा उसी चीज या जानवर का नाम लेगा, जिसका नाम लेकर आपने उसे डराया था। डा. वशिष्‍ठ कहती के मुताबिक बच्‍चे यही बातें बार-बार सोचते रहते हैं और उनकी इमेजिनरी दुनिया में वह चीज़ सबसे खतरनाक बन जाती है। बार-बार डराने से बच्‍चे खुलकर सोच नहीं पाते। उनके दिमाग में काल्‍पनिक सीमाएं बन जाती हैं और वह उसी में सीमित रह जाता है। इससे उसके मानसिक विकास पर भी असर पड़ता है।

Read more about: बच्‍चे children
English summary

Never horrify child before sleeping | बच्‍चों को डरा कर कभी मत सुलायें

If you want your child to sleep early in the night and for that you tried to horrify her or him then you are doing wrong. According to the psychiatrist this practice could affect the child's brain.
Story first published: Wednesday, December 7, 2011, 12:42 [IST]
Desktop Bottom Promotion