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स्कूल खुलने के बाद पैरेंट्स और स्कूल के लिए सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, सुरक्षा भी होगा बड़ा मुदृदा
देश में कोरोना वैक्सीन लगवाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद लोगों के मन में एक आशावादी दृष्टिकोण विकसित हुआ है। अब यह माना जा रहा है कि भारत में स्कूल एक बार फिर से वैसे ही दोबारा खुलेंगे। दरअसल, कोरोना वायरस ने सिर्फ दुकानों पर ही ताला नहीं लगा दिया था, बल्कि पिछले साल से स्कूलों की पढ़ाई भी ऑनलाइन ही हो रही है। ऐसे में अब जब दोबारा स्कूल खुलने की बात हो रही हैं तो अभिभावकों के मन में एक डर पैदा होना लाजमी है। स्कूल जब फिर से खुलेंगे तो उनके कंधों पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होगी। उनसे न केवल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की अपेक्षा की जाएगी, बल्कि उन्हें प्रत्येक छात्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता होगी। ऐसे में न्यू नार्मल का असर स्कूलों में भी देखने को मिलेगा। आइए एक नज़र डालते हैं कि स्कूलों के खुलने के बाद कोविड-19 के लिए क्या नया मानक दिखेगा-

फिजिकल डिस्टेसिंग
स्कूल खुलने के बाद बच्चे लंबे समय के बाद अपने दोस्तों से मिलेंगे तो ऐसे में उनसे हाथ मिलाना या मिलकर खेलना चाहेंगे। लेकिन स्कूल अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर समय उचित सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जाए। शुरुआती दिनों में छात्रों के लिए यह मुश्किल हो सकता है, लेकिन उन्हें थोड़ी देर बाद इसकी आदत हो जाएगी। इसलिए, पहले कुछ दिनों के दौरान शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों को अतिरिक्त सतर्क रहना होगा।

मेंटल हेल्थ पर अधिक फोकस करना
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोरोना महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर डाला है। ऐसे में यह जरूरी है कि स्कूल खुलने के बाद बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। यह लक्ष्य हॉटलाइन स्थापित करके पूरा किया जाएगा जहां छात्र किसी भी समय कॉल कर सकते हैं, अपनी समस्याएं साझा कर सकते हैं और सलाह प्राप्त कर सकते हैं।

समझदारी से पढ़ाई
भले ही स्कूलों को रि-ओपन कर दिया जाए, लेकिन फिर भी सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने और सतर्कता बरतने के लिए जरूरी है कि स्कूलों में समझदारी से पढ़ाई करवाई जाए। मसलन, आधे बच्चों को स्कूल में पढ़ाया जाए, जबकि अन्य बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त हो और यह क्रम स्विच होता रहे ताकि हर बच्चा घर व स्कूल से बराबर पढ़ाई कर सके। इस प्रकार, शिक्षा ऑफ़लाइन और ऑनलाइन सीखने का एक मिश्रण होगा।
स्कूल स्टाफ के लिए प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरणों में निवेश करना
स्कूल स्टाफ को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण दिशानिर्देश के अनुसार एक प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना होगा। उचित स्वच्छता और स्वच्छता मानकों को बनाए रखना स्कूलों के लिए प्राथमिकता होगी। इसके अलावा वे हैंड्स-फ्री सैनिटाइज़र डिस्पेंसर और हैंड्स-फ़्री वॉटर डिस्पेंसर जैसे सुरक्षा उपकरणों में भारी निवेश करेंगे।

शिक्षा प्रणाली में होंगे कई बदलाव
अब तक स्कूलों में छात्रों को सिर्फ कोर्स की किताबें पढ़ाई जाती थीं और उन्हें एग्जाम के लिए तैयार किया जाता था। लेकिन अब नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में कई बदलावों की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से बदल जाएगी। परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, स्कूल उन्हें जीवन के लिए तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। जिसमें कई शैक्षणिक परिवर्तन भी लागू होंगे, और छात्रों को परियोजना कार्य के माध्यम से विभिन्न अवधारणाओं को पढ़ाया जाएगा। यह शिक्षा को अधिक सहभागी बनाएगा और छात्रों को सहयोग करने के अवसर देगा। इस तरह छात्र सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होंगे, बल्कि वे जीवन जीने का सही सलीका सीख पाएंगे।