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डिलीवरी होने के बाद कब तक होती है ब्लीडिंग ?
प्रसव के बाद योनि से रक्तस्राव होना सामान्य बात है। प्रसव के बाद रक्तस्राव को लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। शिशु को जन्म देने की प्रक्रिया के बाद इस तरीके से हमारा शरीर वापिस स्वस्थ होता है। ये एक अन्य तरीका है।
शिशु
का
जन्म
योनि
से
हुआ
हो
या
सी-सेक्शन
द्वारा,
दोनों
ही
अवस्थाओं
में
शिशु
के
जन्म
के
बाद
रक्तस्राव
होता
ही
है।
लेकिन
ये
रक्तस्राव
कितना
लंबा
होगा?
शिशु
के
जन्म
के
बाद
रक्तस्राव
को
लेकर
आपको
ये
बातें
जरूर
पता
होनी
चाहिए।
प्रसव
के
बाद
रक्तस्राव
प्रसव
के
बाद
पहली
बार
होने
वाले
रक्तस्राव
को
लोचिया
या
कहते
हैं।
गर्भाश्य
को
पुन:
स्वस्थ
करने
के
लिए
ये
रक्तस्राव
होता
है।
लोचिया
में
गर्भाश्य
की
लाइनिंग,
सफेद
रक्त
कोशिकाएं
और
रक्त
के
टुकड़े
होते
हैं।
सी-सेक्शन में लोचिया कम होता है। अगर आप प्रसव के बाद पर्याप्त आराम नहीं करती हैं तो आपको अधिक रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। शिशु के जन्म के बाद अंदरुनी घावों को भरने और शरीर को स्वस्थ होने के लिए थोड़ा समय दें।
इसलिए रक्तस्राव की समयावधि को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम दीर्घकालीन रक्तस्राव की बात नहीं कर रहे हैं। प्रसव के बाद 6 सप्ताह तक योनि से रक्तस्राव होता है। कई महिलाओं में प्रसव के पहले सप्ताह में ही रक्तस्राव में कमी आने लगती है। जबकि कुछ महिलाओं में रक्तस्राव को पूरी तरह से बंद होने में कई हफ्तों का समय लग जाता है।
प्रसव के बाद शुरुआती दिनों में आपको अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। शुरुआती समय में खड़े होने पर रक्त के थक्के निकल सकते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे रक्तस्राव का रंग लाल और फिर गुलाबी हो जाता है। कुछ दिनों बाद इसका रंग हल्का होता रहता है।
आपको पीले रंग या सफेद रंग का स्राव होता है। इस दौरान आपको नियमित रूप से सेनेटरी पैड बदलते रहना चाहिए वरना इंफेक्शन का खतरा रहता है।
क्या डॉक्टर से बात करने की जरूरत है ?
अब तो आपको पता ही चल गया होगा कि योनि का रक्तस्राव कोई असामान्य बात नहीं है। कभी ज्यादा रक्तस्राव हो सकता है। शिुश को जन्म देने के 24 घंटे के भीतर ज्यादा रक्तस्राव होता है। उस समय आप अस्पताल में ही होती हैं। इसलिए अगर आपकी सेहत को कोई भी खतरा होता है तो उस समय आपके पास डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं।
अस्पताल से छुट्टी लेने के बाद आपको कुछ चीज़ों का खास ख्याल रखना चाहिए। अगर अचानक से रक्तस्राव बढ़ गसा है तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। अगर आधे से भी कम समय में आपका पैड खून से भर जाता है तो ये अत्यधिक रक्तस्राव का संकेत है।
बुखार,
पैरों
में
सूजन,
रक्तस्राव
में
से
बदबू
आना
और
पेट
में
दर्द
के
बढ़ने
पर
आपको
तुरंत
ही
अपने
डॉक्टर
से
संपर्क
करना
चाहिए।
मासिक
चक्र
में
वापिस
मासिक
चक्र
में
वापिस
आने
का
समय
हर
महिला
के
लिए
अलग-अलग
होता
है।
कुछ
महिलाओं
में
प्रसव
के
4
सप्ताह
के
बाद
ही
मासिक
चक्र
सामान्य
हो
जाता
है
जब
कुछ
महिलाओं
को
एक
साल
से
ज्यादा
का
समय
लग
जाता
है।
हालांकि, कई मामलों में अगर आप स्तनपान नहीं करवाती हैं तो आपका मासिक चक्र 4 से 9 सप्ताह में भी सामान्य हो सकता है। वहीं स्तनपान करवाने पर मासिक चक्र 3 से 12 महीनों में सामान्य हो जाता है।
इस मामले में सभी का अनुभव अलग-अलग होता है। कुछ महिलाओं को स्तनपान बंद करवाने के कई हफ्तों बाद भी माहवारी सामान्य रूप से नहीं आती है।
हर महिला को ये बात पता होनी चाहिए कि शिशु के जन्म और प्रसव के बाद हफ्तों तक रक्तस्राव होना सामान्य बात है और उसे मानसिक और शारीरिक रूप से इस चीज़ के लिए पहले से ही खुद को तैयार रखना चाहिए।