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गर्भपात को रोकने के लिए आयुर्वेदिक उपाय

गर्भपात की वजह से कई तरह की भावनात्‍मक दर्द से गुजरना पड़ता है लेकिन आयुवेर्दिक तरीको से गर्भपात को टाला जा सकता है।

By Radhika Thakur
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अपने बच्चे के जन्म की उत्सुकता से प्रतीक्षा करने वाले माता पिता को गर्भपात के बाद बहुत अधिक भावनात्मक दर्द होता है।
गर्भपात कई कारणों से हो सकता है। हालाँकि इनमें से कुछ कारणों को रोका नहीं जा सकता परन्तु जीवनशैली में परिवर्तन करके कुछ कारणों को टाला जा सकता है।

स्वस्थ गर्भावस्था की सफलता की दर आपके द्वारा भ्रूण के लिए बनाये गए वातावरण पर भी निर्भर करती है। अत: गर्भपात को रोकने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाने चाहिए।


 सलाह #1

सलाह #1

टॉक्सिस सबसे बड़ी समस्या हैं। यदि गर्भधारण के पहले पति पत्नी डिटॉक्सिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरते हैं तो इससे स्वस्थ गर्भावस्था में सहायता मिलती है। स्वच्छ शरीर और दिमाग भ्रूण के लिए एक आदर्श वातावरण बनाता है।

सलाह #2

सलाह #2

त्रिफला चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जो महिलाओं में दोषों को दूर करती है और असंतुलन को ठीक करती है। गर्भधारण के पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।

सलाह #3

सलाह #3

सात्विक आहार लें। ऐसा आहार लें जो आसानी से पच जाए। ऐसा आहार स्वस्थ आहार होता है। इस दौरान मसालेदार और बासा खाना तथा तैलीय खाद्य पदार्थ आदि न खाएं

सलाह #4

सलाह #4

तनाव के कारण शरीर पर बोझ आ सकता है। तनाव रहित जीवन जीना बहुत महत्वपूर्ण है। ऑफिस में बहुत अधिक काम न करें और रात में पार्टी में न जाएंं।

 सलाह #5

सलाह #5

श्वसन संबंधी व्यायाम, समय से सोना और मेडिटेशन (ध्यान करना) बहुत महत्वपूर्ण है। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है और गर्भावस्था में सहायता मिलती है।

सलाह #6

सलाह #6

हल्की फुल्की कसरत करना भी लाभदायक होता है। गर्भावस्था के दौरान शरीर को लचीला बनाये रखने के लिए वॉक और योग करना भी फायदेमंद होता है।

English summary

Ayurvedic Tips To Prevent Miscarriage

Miscarriages cause lots of emotional pain for any couple that is eagerly waiting to welcome a new soul into this world. Here are some ayurvedic tips to pregnancy
Story first published: Tuesday, May 30, 2017, 16:45 [IST]
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