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क्या होती है वाटर बर्थ डिलीवरी, जानें डिलीवरी के फायदे और नुकसान
बच्चे को जन्म देना किसी भी महिला के लिए बहुत ही खास पल होता है। महिला बच्चे को दो तरीकें से जन्म देती है। पहला नॉर्मल डिलीवरी और दूसरा सिजेरियन डिलीवरी। नॉर्मल डिलीवरी के समय बेबी मां के पेट के नीचे की ओर पुश करने लगता है धीरे धीरे मां के यूट्रस का मुंहा खुलता है जिसके बाद डॉक्टर बच्चे को नेचुरल बाहर निकालते है। वहीं सिजेरियन डिलीवरी में ऑप्रेशन के जरिए बच्चे को निकाला जाता है। वहीं इन दिनों बच्चे को जन्म देने के लिए वाटर बर्थ काफी पॉपुलर है। बॉलीवुड एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन और मॉडल ब्रूना अब्दुल्लाह समेत कई सेलिब्रिटीज ने वाटर बर्थ से बच्चे की डिलिवरी की है। वहीं अब महिलाएं डिलीवरी के लिए वाटर बर्थ का ऑप्शन चुन रही है। चलिए जनाते हैं वाटर बर्थ डिलीवरी के बारे में।
क्या है वाटर बर्थ डिलीवरी
वाटर बर्थ डिलीवरी भी नॉर्मल डिलीवरी होती है। इस डिलीवरी में प्रसव दर्द होता है। वाटर बर्थ डिलीवरी में दर्द कम होता है। कहा जाता है कि इस डिलीवरी में 50 फीसदी दर्द कम होता है, इसके डिलीवरी में संक्रमण होने का खतरा भी कम रहता है। वाटर बर्थ को काफी सेफ माना जाता है।
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कैसे होती है वाटर बर्थ डिलीवरी
वाटर बर्थ डिलीवरी के दौरान प्रेग्नेंट महिला को गुनगुने पानी वाले टब में बैठाया जाता है। इस टब में 500 लीटर पानी होना चाहिए साथ ही टब की गहराई कम से कम ढाई से तीन फिट तक होनी। टब में पानी महिला के शरीर के आकार पर निर्भर करता है कि टब में कितना पानी होना चाहिए। वाटर बर्थ नया तरीका नहीं बल्कि प्राचीन तरीका है। वाटर बर्थ का इस्तेमाल मिस्त्र, यूनान के लोग सदियों से करते आए है। वाटर बर्थ में प्रसव दर्द शुरु होने के कितने घंटे बाद प्रेग्नेंट महिला को टब में बैठना है उसका फैसला डॉक्टर करते है।
वाटर बर्थ डिलीवरी के फायदे
वाटर बर्थ में डिलीवरी के दौरान दर्द में आराम मिलता है। दर्द कम होने से बच्चे के लिए ऑक्सीजन अधिक बनता है। लेबर के दौरान स्ट्रेस की वजह से महिला का बीबी बढ़ जाता है वहीं वाटर बर्थ के दौरान ऐसी परेशानी नहीं होती है। वाटर बर्थ में योनि में होने वाला खिचाव और टियरिंग भी कम होती है। गर्म पानी में टिश्यू सॉफ्ट हो जाते है। प्रेग्नेंट महिला जब गर्म पानी में होती है तो शरीर में एंड्रोफिन हार्मोन ज्यादा बनते है जिससे दर्द कम होता है।
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क्या खतरनाक है वाटर बर्थ
अमेरिकन प्रेग्नेंसी एसोसिएशन के अनुसार महिलाओं को वाटर बर्थ की बहुत कम जानकारी है लेकिन 30 सालो में कई महिलाओं ने वाटर बर्थ के जरिए बच्चे को जन्म दिया है। लेकिन वाटर बर्थ के दौरान बच्चे का गर्भनाल मुड जाए तो हवा के लिए बच्चा हांफने भी लगता है, क्योंकि बच्चे मां के साथ गर्भनाल से जुड़े होते है बच्चे गर्भनाल से ही सांस लेते है गर्भनाल मुड़ने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। वाटर बर्थ का यह एक खतरा है बच्चे के जन्म के तुंरत बाद बच्चे का गर्भनाल टूट सकता है। इससे बचने के लिए जरुरी है कि बच्चे को आराम और ध्यान से मां की छाती की तरफ ले जाएं।