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Navagraha Stotram in Hindi: कुंडली के सभी ग्रहों को शांत करता है नवग्रह स्त्रोत, अर्थ के साथ जानें इसके लाभ

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एक जातक की कुंडली में किसी न किसी ग्रह की स्थिति खराब चलती ही रहती है। यदि ग्रहों के कारण प्रतिकूल प्रभाव मिल रहा हो तो उसे शांत करने के लिए उस विशेष ग्रह से प्रार्थना तथा उपाय किये जाते हैं। लोगों की इसी समस्या को देखते हुए प्राचीनकाल में महर्षि वेड व्यास जी ने नवग्रह स्त्रोत की रचना की। इस एक स्त्रोत का जाप करने से ब्रह्माण्ड में मौजूद सभी नौ ग्रहों को शांत रखने में मदद मिलती है। इस लेख के माध्यम से पढ़ें नवग्रह स्त्रोत और जानें इसका अर्थ तथा मिलने वाले लाभ।

नवग्रह स्त्रोत के पाठ से लाभ

नवग्रह स्त्रोत के पाठ से लाभ

नवग्रहों को सबसे शक्तिशाली और प्रभावकारी माना गया है जो लोगों के जीवन को हर क्षेत्र में प्रभावित करते हैं। शास्त्रों के अनुसार ये नवग्रह हैं सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु। इन नौ ग्रहों की आराधना करने से जीवन में इनका आशीर्वाद बना रहता है और अनुकूल परिणाम मिलते हैं। रोजाना नवग्रह स्त्रोत का पाठ करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर परिवार में कलह नहीं होती है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

रविः

रविः

जपाकुसुम सङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम् |

तमोऽरिं सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम् ‖

अर्थ: जपा के फूल की तरह जिनकी कान्ति है, कश्यप से जो उत्पन्न हुए हैं,

अन्धकार जिनका शत्रु है, जो सब पापों को नष्ट कर देते हैं, उन सूर्य भगवान् को मैं प्रणाम करता हूँ।

चन्द्रः

चन्द्रः

दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम् ।

नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् ॥

अर्थ: दही, शंख अथवा हिम के समान जिनकी दीप्ति है, जिनकी उत्पत्ति क्षीर-समुद्र से है, जो शिवजी के मुकुट पर अलंकार की तरह विराजमान रहते हैं, मैं उन चन्द्रदेव को प्रणाम करता हूँ।

मंगल

मंगल

धरणी गर्भ सम्भूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम् |

कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गळं प्रणमाम्यहम् ‖

अर्थ: पृथ्वी के उदर से जिनकी उत्पत्ति हुई है, विद्युत्पुंज के समान जिनकी प्रभा है, जो हाथों में शक्ति धारण किये रहते हैं, उन मंगल देव को मैं प्रणाम करता हूँ।

बुधः

बुधः

प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् ।

सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥

अर्थ: प्रियंगु की कली की तरह जिनका श्याम वर्ण है, जिनके रूप की कोई उपमा नहीं है, उन सौम्य और गुणों से युक्त बुध को मैं प्रणाम करता हूँ।

गुरुः

गुरुः

देवानां च ऋषीणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम् |

बुद्धिमन्तं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् ‖

अर्थ: जो देवताओं और ऋषियों के गुरु हैं, कंचन के समान जिनकी प्रभा है, जो बुद्धि के अखण्ड भण्डार और तीनों लोकों के प्रभु हैं, उन बृहस्पति को मैं प्रणाम करता हूँ।

शुक्रः

शुक्रः

हिमकुन्द मृणाळाभं दैत्यानं परमं गुरुम् |

सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ‖

अर्थ: तुषार, कुन्द अथवा मृणाल के समान जिनकी आभा है, जो दैत्यों के परम गुरु हैं, उन सब शास्त्रों के अद्वितीय वक्ता शुक्राचार्यजी को मैं प्रणाम करता हूँ।

शनिः

शनिः

नीलाञ्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् |

छाया मार्ताण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ‖

अर्थ: नील अंजन के समान जिनकी दीप्ति है, जो सूर्य भगवान् के पुत्र तथा यमराज के बड़े भ्राता हैं, सूर्य की छाया से जिनकी उत्पत्ति हुई है, उन शनैश्चर देवता को मैं प्रणाम करता हूँ।

राहुः

राहुः

अर्धकायं महावीरं चन्द्रादित्य विमर्धनम् |

सिंहिका गर्भ सम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ‖

अर्थ: जिनका केवल आधा शरीर है, जिनमें महान् पराक्रम है, जो चन्द्र और सूर्य को भी परास्त कर देते हैं, सिंहिका के गर्भ से जिनकी उत्पत्ति हुई है, उन राहु देवता को मैं प्रणाम करता हूँ।

केतुः

केतुः

फलाश पुष्प सङ्काशं तारकाग्रहमस्तकम् |

रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् ‖

अर्थ: पलाश के फूल की तरह जिनकी लाल दीप्ति है, जो समस्त तारकाओं में श्रेष्ठ हैं, जो स्वयं रौद्र रूप और रौद्रात्मक हैं, ऐसे घोर रूपधारी केतु को मैं प्रणाम करता हूँ।

फलश्रुतिः

फलश्रुतिः

इति व्यास मुखोद्गीतं यः पठेत्सु समाहितः |

दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्नशान्ति-र्भविष्यति ‖

नरनारी-नृपाणां च भवे-द्दुःस्वप्न-नाशनम् |

ऐश्वर्यमतुलं तेषामारोग्यं पुष्टि वर्धनम् ‖

ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्नि समुद्भवाः |

तास्सर्वाः प्रशमं यान्ति व्यासो ब्रूते न संशयः ‖

इति व्यास विरचितं नवग्रह स्तोत्रं सम्पूर्णम् |

अर्थ: व्यास के मुख से निकले हुए इस स्तोत्र का जो दिन या रात्रि के समय पाठ करता है, उसकी सारी विघ्नबाधायें शान्त हो जाती हैं।

संसार के साधारण स्त्री पुरुष और राजाओं के भी दुःस्वप्न जन्य दोष दूर हो जाते हैं।

किसी भी ग्रह, नक्षत्र, चोर तथा अग्नि से जायमान पीड़ायें शान्त हो जाती हैं।

नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। बोल्डस्काई लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

English summary

Navagraha Stotram in Hindi: Know Lyrics, Meaning, and Benefits of Chanting

Navagraha Stotram in Hindi: Navagraha stotram is to praise the Navagrahas as per the Hindu theology. Know Lyrics, Meaning, and Benefits of Chanting.
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