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श्राद्ध के दौरान पितृ दोष से बचने के लिए जरूर करना चाहिए इन मंत्रों का जाप
हिंदू धर्म में हमारे पूर्वजों अर्थात पितरों को बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस वजह से पितृपक्ष को भी खास माना जाता है। हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन माह के कृष्णपक्ष अमावस्या तक पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। 15 दिन का ये समय पितृपक्ष कहलाता है।
लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस पंद्रह दिन के दौरान हमारे पूर्वज दूसरे लोक से धरती पर आते हैं। इस अवधि में ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे पूर्वजों को दुःख पहुंचे। श्राद्ध के समय में व्यक्ति को अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए हरसंभव कोशिश करनी चाहिए। पितृपक्ष के समय में पितृ दोष से बचने के लिए निवारण मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। इस लेख के माध्यम से जानते हैं खास मंत्रों के बारे में जिनकी मदद से श्राद्ध कर्म की पूर्णता हो सकती है।
पहला मंत्र
ॐ कुलदेवतायै नम: - इस मंत्र का जाप 21 बार करें।
दूसरा मंत्र
ॐ कुलदैव्यै नम: - इस मंत्र का जाप 21 बार करें।
तीसरा मंत्र
ॐ नागदेवतायै नम: - 21 बार इस मंत्र का उच्चारण करें।
चौथा मंत्र
ॐ पितृ देवतायै नम: - जातक को 108 बार इस मंत्र का जप करना चाहिए।
पांचवा मंत्र
ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्। - इसका 1 लाख बार जाप करना चाहिए।