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त्वचा की देखभाल से जुडें 8 भ्रम और सच

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कई बार पढ़ा और सुना है कि सुनी सुनाई बातों पर विश्वास न करें! लेकिन हम में से बहुत कम है जो इस पर गौर करते है और बात अगर स्किन केयर की हो तो बामुश्किल ही मुठ्ठी भर ऐसे लोग है, जो स्किन एक्सपर्ट्स की सलाह पर अपनी त्वचा की देखभाल करते है।

असल में हम में से बहुत से ऐसे है, जो अपनी स्किन केयर के मामलें में किसी की भी राय झट से मान कर उसे अपना लेते है। यह जानें कि बिना कि यह सही होगा या गलत, इससे क्या नुकसान हो सकते है? जरूरी नहीं है कि किसी भी दोस्त दी गई त्वचा संबंधी केयर टिप्स आपके लिए भी सही काम करें।

क्योंकि हर त्वचा अलग होती है, उसकी जरूरतें अलग होती है, इसलिए उनकी देखरेख भी अलग तरह से होनी चाहिए। ऐसे में हमारी सलहा तो यही है कि इन तमाम भ्रमों में विश्वास न करें। आज हम आपसे स्किन केयर से जुड़े 8 सामान्य भ्रमों और उनके सच को साझा कर रहें है, जिन्हें सुनते हुए हमनें एक उम्र निकाल दी।

भ्रम – फेयरनेस क्रीम्स, त्वचा को गोरा बनाती है?

भ्रम – फेयरनेस क्रीम्स, त्वचा को गोरा बनाती है?

सच - त्वचा को गोरा बनाने का विश्वास दिलाने वाली तमाम फेयरनेस क्रिमों का दावा गलत है।

यह सभी ऐसे दावें सिर्फ अपनी मार्केटिंग के लिए यूज करते हे। जबकि यह सभी क्रीम्स सिर्फ त्वचा से पिगमेटेशन हटाती है। ऐसे में हमारी सलाह यहीं है कि अपनी त्वचा की रंगत की चिंता न करें, खुद में विश्वास बनाएं रखें, हर बार गोरी त्वचा अच्छी नहीं होती।

भ्रम – SPF जितना ज्यादा, सनस्क्रीन उतना बेहतर?

भ्रम – SPF जितना ज्यादा, सनस्क्रीन उतना बेहतर?

सच - देखा जाए तो UVA, UVB और UVC तीन तरह की अल्ट्रा वॉइलेट किरणें यानी कि पराबैंगनी किरणें होती है। UVA इनमें सबसे ज्यादा हानिकारक होती है, यहीं किरणें त्वचा को टैन करती है। जबकि UVB किरणों से सनबर्न होता है और UVC किरणों को तो हमारा वातावरण ही सोख लेता है यह किरणें हम तक नहीं पहुंचती। सनस्क्रीन में SPF का अर्थ उससे मिलने वालें प्रोटेक्शन से है। साथ ही यह तमाम सनस्क्रीन क्रीम्स UVB किरणों से तो बचाते है लेकिन UVA किरणों से नहीं। विस्तार में देखा जाए तो सनस्क्रीन का मतलब यही है कि इससे UVA और UVB दोनों ही तरह की किरणों से सुरक्षा मिलनी चाहिए। इसलिए हमारी सलाह यही है कि कम से कम 15 SPF वाला ही सनस्क्रीन लगाएं, जिसमे मैक्सोरिल (mexoryl) ऑक्सीबेनजोन (oxybenzone) और एवोबेनजोन (avobenzone ) नामक केमिकल हो।

भ्रम – क्लाउडी डे, यानी कि जिस दिन बादल ज्यादा हो, उस दिन हमें सनस्क्रीन की जरूरत नहीं होती?

भ्रम – क्लाउडी डे, यानी कि जिस दिन बादल ज्यादा हो, उस दिन हमें सनस्क्रीन की जरूरत नहीं होती?

सच - जिस दिन आसमान में बादल ज्यादा होते है, उस दिन भी सूरज की किरणें हम तक आराम से पहुंचती है। इसलिए खुद की बेहतरी के लिए हमेशा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना न भूलें।

भ्रम – पानी पीने से त्वचा हाइड्रेट होती है?

भ्रम – पानी पीने से त्वचा हाइड्रेट होती है?

सच - अधिकतर पढ़ने और सुनने में आता है कि जितना पानी पिएंगे तो स्किन उतनी ज्यादा हाइड्रेट होगीं, जबकि यह तथ्य गलत है। पानी पीना शरीर के लिए अच्छा है, लेकिन त्वचा से इसका कोई लेना देना नहीं है। हमारी स्किन प्राकृतिक रूप से बनने वाले तेल, मॉइश्चराइजर और स्किन लोशन से ही हाइड्रेट होती है।

भ्रम – तैलीय त्वचा को मॉइश्चराइज करने की जरूरत नहीं है?

भ्रम – तैलीय त्वचा को मॉइश्चराइज करने की जरूरत नहीं है?

सच - ऑइली त्वचा के संदर्भ में सच बात तो यह है कि इसे भी दिन में एक बार मॉइश्चराइजर की जरूरत होती है। ऐसा न होने पर, त्वचा ड्राई हो सकती है। जिसकी वजह से स्किन बहुत खराब हो जाती है।

भ्रम – किसी भी तरह के केमिकल के मुकाबले, प्राकृतिक चीजों के इस्तेमाल से त्वचा कम संवेदनशील होती है?

भ्रम – किसी भी तरह के केमिकल के मुकाबले, प्राकृतिक चीजों के इस्तेमाल से त्वचा कम संवेदनशील होती है?

सच - हां प्राकृतिक चीजों को इस्तेमाल करने के बहुत से फायदे हैं, लेकिन जिनकी त्वचा सेंसेटिव है, वह किसी भी तरह के प्राकृति उत्पादों को भी सोच समझकर इस्तेमाल करें। जबकि वहीं केमिकल्स विशेषज्ञों की देखरेख में बनाएं जाते है। जिनके लिए कभी कभार जरूरत पड़ने पर त्वचा की जरूरत के अनुसार पौधों से सीधे उनके सत्व भी लिए जाते है।

भ्रम – दूध पीने से स्किन गोरी होती है?

भ्रम – दूध पीने से स्किन गोरी होती है?

सच - हम सभी बचपन से एक बात सुनते आए है कि दूध पीओंगे तो त्वचा गोरी होगी और चाय पीने से काली। जबकि तथ्य इसके ठीक उलट है, माना कि शरीर के लिए दूध पीने के फायदे बहुत है, यहां तक कि त्वचा भी इससे मुलाय होती है, लेकिन त्वचा की रंगत से इसका कोई लेना देना नहीं है। इतना ही नहीं, स्किन एक्सर्पट्स की मानें तो, इंसानों को जन्म के दो साल बाद किसी भी जानवार का दूध नहीं पीना चाहिए।

भ्रम – स्क्रबिंग से ब्लैकहैड से मिलता है छुटकारा?

भ्रम – स्क्रबिंग से ब्लैकहैड से मिलता है छुटकारा?

सच - ब्युटी टिप्स के केस में अधिकतर हम किसी की भी सुनी हुई बातों को झट से अपनी ब्युटी केयर टिप्स में शामिल कर लेते है। बिना यह जानें कि यह कितना सच है और कितना झूठ। ऐसे में जहां तक बात है ब्लैकहैड्स की तो ब्लैकहैड्स हमारी त्वचा के रोमछिद्रों की तह में होते है, जिन्हें अकेले स्क्रीबिंग के सहारें हटाना नामुमकिन है। किसी भी तरह के स्क्रबर से सिर्फ ब्लैकहैड्स की ऊपरी त्वचा ही हटती है, वो भी कुछ समय बाद फिर से आ जाती है। इसलिए अगली बार से ब्लैकहैड्स से छुटकारा पाना हो तो, स्किन एक्सर्पट्स से जरूर बात करें।

English summary

8 Common Skincare Myths You Probably Thought Were True

We suggest you stop believing in the myths you hear around and focus on the truth with these 8 common skincare tips.
Story first published: Tuesday, November 14, 2017, 14:06 [IST]
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