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क्या है डिस्लेक्सिया?, आइंस्टीन को भी थी ये बीमारी!
आमिर खान की फिल्म 'तारे जमीन पर' तो याद ही होगा। जिसमें दर्शील सफारी 'डिस्लेक्सिया' नामक बीमारी से पीड़ित था। यही बीमारी महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, टेलीफोन के जनक एलेक्जेंडर ग्राहम बेल और अभिनेता टॉम क्रूज और बोमन ईरानी जैसी कुछ हस्तियों को भी थी।
डिस्लेक्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चें पढ़ना, लिखना और शब्दों का बोल पाना मुश्किल होता है। इससे ग्रस्त बच्चे अक्सर बोलने वाले और लिखित शब्दों को याद नहीं रख पाते हैं। इसके अलावा वह कई चीजों को समझ भी नहीं पाते।
आज हम आपको इस बीमारी के कुछ लक्षण और उपचार बताएंगे, जिससे आप बच्चों को इस बीमारी से बचा सकते हैं।
क्या है डिस्लेक्सिया?
डिस्लेक्सिया
रोग
तीन
तरह
का
होता
है।
पहला
यानि
प्राइमरी
डिस्लेक्सिया
में
बच्चें
अक्षर
और
संख्या
की
पहचान
करना,
पढ़ना,
मापना,
समय
देखना
और
अन्य
गतिविधियां
नहीं
कर
पाते।
दूसरे
यानि
सेकेंड्री
डिस्लेक्सिया
की
समस्या
भ्रूण
में
बच्चों
का
दिमागी
विकास
न
होने
के
कारण
होती
है।
इससे
शब्दों
की
पहचान
और
उनकी
बोलने
में
समस्या
आती
है।
तीसरे,
ट्रॉमा
डिस्लेक्सिया
की
समस्या
बच्चों
में
दिमागी
चोट
लगने
के
कारण
देखने
को
मिलती
है।
इसमें
बच्चे
शब्दों
की
ध्वनि
नहीं
सुन
पाते
हैं
इसलिए
उन्हें
शब्द
बोलने
और
पढ़ना
सीखने
में
कठिनाई
होती
है।
डिस्लेक्सिया के लक्षण
यह
विकार
3-15
साल
उम्र
के
लगभग
3
प्रतिशत
बच्चों
में
पाया
जाता
है,
यानी
जब
बच्चा
स्कूल
जाना
शुरू
कर
देता
है।
बच्चों
में
यह
लक्षण
स्कूल
जाने
के
बाद
ही
दिखाई
देते
हैं।
क्योंकि
पहले
इन्हें
पहचानना
मुश्किल
होता
है।
मगर
इसके
कुछ
शुरुआती
लक्षण
को
पहचान
कर
आप
बच्चों
की
इस
समस्या
को
दूर
कर
सकते
हैं।
इस
बीमारी
में
बच्चों
को
शब्द
की
पहचान
करने
में
दिक्कत
होती
है
और
समें
वह
स्पैलिंग
भी
ठीक
से
समझ
नहीं
पाते।
उन्हें
पढ़ने,
समझने
और
याद
करने
में
भी
परेशानी
का
सामना
करना
पड़ता
है।
वह
दाएं
और
बाएं
में
ठीक
से
अंतर
समझ
नहीं
पाते
और
कन्फूयज
हो
जाते
हैं।
डिस्लेक्सिया
से
ग्रस्त
व्यक्ति
शब्दों
या
अक्षरों
को
उल्टा
या
गलत
पढ़ता
है।
वह
b
को
d
समझ
लेते
हैं
या
6
को
9
समझता
है।
7
वर्ष
की
आयु
से
पहले
तक
अक्षरों
को
उल्टा
लिखते
हैं,
लेकिन
बच्चे
में
इस
तरह
के
लक्षण
ज्यादा
दिखाई
देते
हैं
तो
यह
रोग
होने
की
संभावना
हो
सकती
है।
3-15
वर्ष
के
बच्चों
में
अधिक
यह विकार 3-15 साल उम्र के लगभग 3 प्रतिशत बच्चों में पाया जाता है, यानी जब बच्चा स्कूल जाना शुरू कर देता है। डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादातर बच्चों की प्रॉब्लम स्कूल जाने पर सामने आती हैं। उन्हें लिखने में दिक्कत आने लगती हैं। इन्हीं लक्षणों को देखकर डिस्लेक्सिया का पता लगा सकते हैं।
ऐसे
पढ़ाए
बच्चों
को
अगर बच्चे को यह प्रॉब्लम है तो उनके पढ़ने का तरीका बदलें। उन्हें आसान तरीकें से और खेल-खेल में सीखाने की आदत डालें। इससे उन्हें आपकी बात जल्दी समझ आएगी। आप उन्हें पढ़ाने या कुछ भी समझाने के लिए पेंटिंग या कहानियों का सहारा ले सकते हैं। बच्चे को जिस चीज अक्षर को पहचानने या लिखने में दिक्कत होती हैं वह उन्हें बार-बार लिखवाएं। इसके अलावा उन्हें खिलौने के माध्यम से भी आप सिखा सकते हैं। ऑफ उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग भी करवा सकते हैं।