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क्लाइमेट चेंज बीमारियों के विकास को करता है प्रभावित? शोधकर्ताओं से जानें कैसे
क्लाइमेट चेंज यानि जलवायु परिवर्तन ने बाढ़ और सूखे जैसी अपदाओं की घटनाओं को जन्म दिया है। ये घटनाएं समय के साथ लगातार और ज्यादा बढ़ती जा रही है। क्लाइमेट चेंज से जुड़ी प्राकृतिक आपदाओं का लोगों के लाइफस्टाइल पर गलत प्रभाव डाल रहा है। इससे लोगों का घर, सड़क और अन्य प्रमुख बुनियादी ढांचे को पूरी तरह नष्ट कर देता है। इतना ही नहीं इससे लोगों को लाइफ टाइम के लिए एक बड़े सदमें में भी डाल देता है। कई लोग अपनी जान गवा देते हैं। तो कई अपनों को खो देते हैं। बड़ी बीमारियों और संक्रामक रोगों को बढ़ाने में भी क्लाइमेट चेंज का बड़ा असर होता है।
स्वास्थ्य और जलवायु शोधकर्ताओं ने द कन्वर्सेशन अफ्रीका के लिए जरूरी आर्टिकल लिखे हैं, जो लोगों में जलवायु परिवर्तन और बीमारियों के बीच संबंधों पर रोशनी डाल रहा है। कई शोधकर्ताओं ने इसके लिए समाधान भी प्रस्तावित किए हैं। जलवायू किस तरह हमारी लाइफ पर अपना प्रभाव छोड़ रहा है, जानने के लिए आखिर तक ये आर्टिकल जरूर पढ़ें।
संक्रामक रोग पर प्रभाव
यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि सूखा कब और कहा पड़ेगा। लेकिन रिसर्च के मुताबिक अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में ज्यादा तेजी से और लंबे समय तक सूखा पड़ने की संभावना है। ऐसे में वहां हैजा जैसे संक्रामक फैलने की संभावना भी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ये खतरा झोपड़ी और शिविरों में रहने वाले लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है।
इसे लेकर शोधकर्ता जीना चार्नले के अनुसार सूखे और हैजा के प्रकोप से बचने का सबसे अच्छा और प्रभावी तरीका है कि समय रहते जनसंख्या बढ़ोतरी में कमी की जाएं। क्योकिन जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन से महामारी और बीमारी का खतरा बढ़ता जाता है, यह उस स्थान के सरकार पर निर्भर करता है कि वो अपने नागरिकों को इस तरह की बीमारी से कैसे बचाएं। इन संक्रामक रोगों को रोकने और इलाज करने के लिए वो क्या कदम उठा रहे हैं। खासकर अपने गरीब समुदाएं के लिए जरूरी कदम उठाएं।
डेली लाइफ पर क्लाइमेट चेंज का प्रभाव
ज्याादतर लोगों को बाढ़ जैसी अपदाओं का अनुभव नहीं होता। लेकिन इससे पड़ने वाले प्रभाव से वो भी जुझते हैं। तापमान में रिकॉर्ड क्लाइमेट का दैनिक जीवन पर सूक्ष्म तरीके से प्रभाव पड़ता है। क्लाइमेट चेंज से होने वाली असमानताएं इन प्रभावों को बढ़ाती हैं। जिससे लोग कई तरह की बीमारी का शिकार हो जाते हैं, खासकर गरीब लोग जिनका स्वास्थ्य पहले से ही खराब हैं, वो कुपोषण का शिकार भी हो जाते हैं।
चिकित्सा मानवविज्ञानी लेनोर मैंडरसन ने बताया कि कैसे मौसम के मिजाज में बदलाव हमारे स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव डालता है। जैसे जल आपूर्ति में परिवर्तन वाणिज्यिक भोजन और निर्वाह उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। जिससे खाद्य सुरक्षा और खाने की कीमत प्रभावित होती है। इतना ही नहीं ये आहार स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए पूरे समाज को समाधान की जरूरत होती है। पानी की अपर्याप्त उपलब्धता से कई बीमारियां जुड़ी हैं। जिससे बचने के लिए बुनियादी सेवा वितरण में सुधार के लिए शोधकर्ताओं और मेनेजमेंट को साथ मिलकर उस समस्या के लिए काम करना पड़ेगा।
मैंडरसन के मुताबिक, सामाजिक, जैविक और भौतिक विज्ञान के साथ-साथ मानविकी और कला के विशेषज्ञों को भी ग्लोबल वार्मिंग के संदर्भ में रोग संचरण को रोकने के तरीकों पर काम करने की जरुरत है।