Just In
- 36 min ago गर्मी में पेट को शांत रखता है यूपी-बिहार का सन्नाटा रायता, ये हैं फायदे और बनाने का तरीका
- 1 hr ago Mangal Gochar 2024: ग्रहों के सेनापति मंगल ने किया मीन राशि में प्रवेश, इन 3 राशियों के लिए शुरू हुआ बुरा समय
- 1 hr ago मूंछों की वजह से 10वीं टॉपर का बना मजाक, इस बीमारी से लड़कियों के फेस उगते है बाल
- 2 hrs ago Hanuman Puja: हनुमान जी के इस पैर पर सिंदूर लगाने से बनते हैं सभी बिगड़े काम
Don't Miss
- News टूरिस्ट्स के लिए टॉप पर अयोध्या, 2 अन्य शहरों नाम 300 प्रतिशत से अधिक किए गए सर्च, रिपोर्ट में बड़ा दावा
- Movies इस एक्ट्रेस ने अपना को-एक्टर चुनने के लिए एक साथ दस मर्दों को किया था किस, कहा- 'उस वक्त वो नॉर्मल बात थी'
- Technology Nothing Phone 3 स्मार्टफोन के लॉन्च टाइमलाइन का खुलासा, यहां जानें सबकुछ
- Finance VI FPO के बाद शेयरों के दाम में आया तगड़ा उछाल, निवशकों से मिला है जबरदस्त रिस्पॉन्स
- Automobiles नई Bajaj Pulsar 400 का टीज़र जारी, बेहतरीन फीचर्स और पावरफुल इंजन के साथ इस दिन होगी लॉन्च
- Education UPSC CDS 2 Final Result 2023 OUT: यूपीएससी सीडीएस 2 रिजल्ट घोषित, कुल 197 अभ्यर्थियों का चयन, सीधा लिंक
- Travel पर्यटकों के लिए खुलने वाला है मुंबई का 128 साल पुराना BMC मुख्यालय, क्यों है Must Visit!
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
रक्त परिसंचरण कैसे सुधारें
परिसंचरण तन्त्र सबसे महत्वपूर्ण अंग तन्त्रों में से एक है। परिसंचरण तन्त्र में किसी प्रकार की खराबी से विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं। परिसंचरण तन्त्र की अव्यवस्था से हृदयरोग और आघात जैसे विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ हो जाता हैं। जब हमें सिरदर्द, हाथों और पैरों का अचानक ठंडा होना, थकावट महसूस होना, जकड़न महसूस होना, थकावट महसूस होना, कानों में सनसनाहट, घावों का न भरना, समृति क्षय जैसे हल्के-फुल्के लक्षण दिखने लगें तो हमें भाँप लेना चाहिये।
यदि लक्षणों पर ध्यान न दिया गया तो प्रभाव और भी घातक और खतरनाक हो सकते हैं जिनमें उच्चरक्तचाप, आघात, वृक्कों की विफलता, मधुमेह की जटिलता, नपुंसकता, हृदयाघात और मृत्यु भी हो सकती है। शरीर में रक्त परिसंचरण बराबर बनाये रखने के लिये स्वस्थ जीवनशैली आवश्यक है। वसा और कोलेस्ट्राल का कम प्रयोग, रेशेदार भोजन का उपयोग, नियमित व्यायाम, कम तनाव और प्राकृतिक सम्पूरक द्वारा रक्त परिसंचरण को सुधारा जा सकता है।
गर्म और ठंडे पानी से नहाएं
गर्म और ठंडे पानी से नहाने से रक्त परिसंचरण को सुधारा जा सकता है। जब गर्म पानी के फव्वारे के नीचे प्रभावित अंग आता है तो रक्त त्वचा की तरफ प्रवाहित होकर उसे पोषित करता है। अचानक ठंडे पानी से नहाने से रक्त अन्तरिक अंगों की तरफ प्रवाहित होता है। शरीर में कंपकपी होने से त्वचा की तरफ रक्त प्रवाहित होकर उसे ऑक्सीजन युक्त करता है। बेहतर परिणाम के लिये गर्म और ठंडे उपचार को नियमित लेना चाहिये। ध्यान रहे कि पानी उबलता हुआ न हो अन्यथा त्वाचा जल जायेगी
लालमिर्च जड़ी-बूटी
लालमिर्च हृदय को उत्तेजित करता है, रक्त परिसंचरण को नियन्त्रित करता है और धमनी और केशिकाओं को मजबूती प्रदान करता है। इस जड़ी-बूटी के उपयोग से न केवल रक्त परिसंचरण में सुधार, हृदय को मजबूती और धमनियाँ साफ हो जाती हैं बल्कि वजन को कम करने में भी सहायक है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि लालमिर्च का टिंक्चर किसी व्यक्ति की उपापचय दर को 25 प्रतिशत तक बढ़ा देता है।
श्वसन
हममें से ज्यादातर लोगों में श्वसन की खराब आदतें पड़ जाती हैं जिनमें फेफड़े के न्यूनतम हिस्से का प्रयोग होता है। रक्त परिसंचरण में सुधार के लिये यह आवश्यक हो जाता है कि हम गहरी साँस वाली तकनीक का प्रयोग करें जिसमें फेफड़ों का अधिकतम उपयोग हो सके। इससे न केवल रक्त में और ऑक्सीजन आयेगी बल्कि अपशिष्ट पदार्थों को हटाने में और रक्त परिसंचरण को सुधारने में सहायक होगा।
तनाव कम करें
तनाव खराब रक्त परिसंचरण का एक प्रमुख कारण है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि तनावयुक्त होने पर परिसंचरण बाहरी अंगों को छोड़कर प्रमुख अंगों तक सीमित रह जाता है। हाँथ और पैर सबसे प्रभावित क्षेत्र होते हैं। इसलिये बेहतर परिसंचरण को जारी रखने के लिये आवश्यक है कि हम तनावमुक्त रहें। गहरी साँसें लेने और योग द्वारा रक्त परिसंचरण को सुधारा जा सकता है।
पैरों को उठाना
पलंग पर लेटकर थोड़े समय के लिये अपने पैरों को उठाकर उसके नीचे तकिया रखने से रक्त परिसंचरण को सुधारा जा सकता है। इससे पैरों में रक्त चलायमान हो जाता है। इस प्रक्रिया के लिये आप को जमीन पर लेटकर
पैरों को कुर्सी या सोफा पर रखना होगा। इससे रक्त पैरों से मुख्य शरीर की तरफ प्रवाहित होगा।
व्यायाम करना
शारीरिक श्रम द्वारा रक्त परिसंचरण को सुधारा जा सकता है। आजकल ज्यादातर लोगों की जीवनशैली बिना किसी शारीरिक श्रम के स्थिर हो गई है। नियमित व्यायाम, टहलने, तैरने और दौड़ने से आपके सारे शरीर में रक्त का बेहतर संचार होगा। हलाँकि इस बात का ध्यान रखें कि धीरे-धीरे टहलना प्रारम्भ करके समय के साथ रफ्तार बढ़ायें।
उचित पोषण
रक्त परिसंचरण के सुधार में पोषण की निर्णायक भूमिका है। जब स्वस्थ पोषण युक्त एवं कम वसा युक्त भोजन ग्रहण किया जायेगा और रक्त परिसंचरण सुधरेगा। कम वसा से रक्त कम गाढ़ा होता है इससे रक्त पतली से पतली वाहिकाओं में प्रवेश कर जाता है। रेशेयुक्त भोजन से शरीर में वसा कम हो जाता है इससे परिसंचरण में सुधार होता है।