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शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के प्राकृतिक उपाय
शुक्राणुओं की संख्या कम होना नपुंसकता के कारणों में से एक है। शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिये आप अपने आहार में क्या सम्मिलित करें और किन आदतों को शामिल करें, ये विभिन्न उपाय यहाँ दिये जा रहे हैं। शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के कई प्राकृतिक उपाय हैं जिनसे नपुंसकता को कम किया जा सकता है।
शुक्राणुओं की कम संख्या के कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं-
- -जिंक की कमी
- -अत्यधिक धूम्रपान और मद्यपान
- -ज्यादा चुस्त कपड़े पहनना
- -मोटापा
- -थकावट
- -तनाव
- -शुक्राणुओं की समस्या
आपके शुक्राणुओं की संख्या, शुक्राणुओं की गुणवत्ता और चाल पर प्रभाव डालती है। यदि शुक्राणु स्खलन अक्सर नहीं होता तो उनकी चाल पर बुरा असर पड़ता है। शुक्राणुओं की समस्या उनके आकार को भी प्रभावित करता है। स्खलन और नपुंसकता के सम्बन्ध में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, स्खलन का बाधित होना या समय से पूर्व स्खलन होना सेक्स के दौरान और गर्भधारण दोनों में समस्या उत्पन्न करते हैं।
सामान्य शुक्राणु संख्या
- सामान्य मात्रा 1.5 मिली से 5 मिली प्रति स्खलन।
- शुक्राणुओं की संख्या 20 मिलियन से 150 मिलियन प्रति मिली।
- कम से कम 60 प्रतिशत शुक्राणुओं का आकार सामान्य और आगे की तरफ की सामान्य गति वाले होने चाहिये (चाल)।
ऐसे विटामिन जो शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाते हैं-
1-विटामिन
बी
विटामिन
बी
के
स्रोत-
पनीर,
अण्डे,
दूध,
दही,
सख्त
अनाज,
पालक,
फलियाँ,
साबूत
अनाज
और
गिरीदार
फल।
2-जिंक
जिंक
के
स्रोत-
ऑइस्टर,
शीशम
और
सूरजमुखी
के
बीज,
अदरक,
सफेद
जर्म,
लाल
माँस,
गहरे
रंग
की
चॉकलेट,
तरबूज
तथा
कद्दू
के
बीज।
3-
सिलेनियम
सिलेनियम
के
स्रोत-
शेलफिश,
जिगर,
मछली,
सूरजमुखी
के
बीज,
केकड़े,
झींगे,
समुद्री
झींगे
और
चावल,
गेहूँ
और
जई
के
भोज्य
पदार्थ।
शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के उपाय
- सेक्स अथवा हस्तमैथुन अक्सर न करें।
- प्रसंस्कृत और अस्वस्थ भोज्य पदार्थों से बचें।
- तनाव कम करने और स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिये योग अभ्यास करें।
- चुस्त अंगवस्त्र न पहनें, इससे अण्डग्रन्थियाँ बहुत गर्म हो जाती हैं।
- पर्याप्त मात्रा में सोयें।
- हार्मोन को सन्तुलित करने के लिये मोटापा कम करें।
- लम्बे समय तक बैठने से बचें।
- परिसंचरण बेहतर करने के लिये शरीर की मालिश करायें।
नपुंसकता कम करने वाले योग के व्यायाम
- अग्निसार क्रिया
- हलासन
- सेतुबन्धासन
- धनुरासन
- अश्विनी मुद्रा
- भास्त्रिका प्रणायाम