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विटामिन डी का क्या महत्व है
विटामिन डी एक पोषक तत्व के साथ शरीर में बनने वाला हार्मोन भी है। दुनिया भर में लगभग 10 करोड़ लोगों के रक्त में विटामिन डी का स्तर कम पाया गया है और यह कमी सभी जाति और आयु वर्ग के लोगों पाई गई है। यहाँ पर विटामिन डी का महत्व के बारे में बताया जा रहा है- पिछले दशक में हुये शोधों के अनुसार शरीर में विटामिन डी का रोगों से लड़ने की क्षमता हमारी सोच से कहीं ज्यादा है। विटामिन डी की कमी होने पर आपमें कई गम्भीर बीमारियाँ और संक्रमण हो सकते हैं। जानी मानी डायटीशिन और स्वास्थ्य ब्लॉगर आकांक्षा झलानी विटामिन डी का महत्व बताती हैं।
विटामिन
डी
क्या
है
विटामिन
डी
वसा
में
घुलनशील
विटामिन
के
समूह
में
आता
है
और
शरीर
में
कैल्शियम
तथा
फॉस्फेट
के
अवशोषण
को
बढ़ाता
है।
मानव
में
इस
समूह
में
सबसे
महत्वपूर्ण
यौगिकों
में
विटामिन
डी-3
और
विटामिन
डी-2
शामिल
हैं।
शरीर
त्वचा
में
कोलेस्ट्राल
से
सूर्य
के
प्रकाश
की
उपस्थिति
में
विटामिन
डी
का
निर्माण
भी
करता
है।
इसलिये
इसे
अक्सर
सनशाइन
विटामिन
कहते
हैं।
अनुशंसित
दैनिक
मात्रा
भारतीय
डायटिक
ऐसोसिएशन
ने
2010
के
पुनरीक्षित
आँकड़ों
के
अनुसार
पर्याप्त
धूप
के
साथ
प्रतिदिन
400
आईयू
(10
ग्राम)
की
सलाह
दी
है।
विटामिन डी के फायदे
1. शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा से कैंसर, रिकेट्स, ऑस्टियोपोरेसिस, हृदय रोग, वृक्क रोग, तपेदिक, सर्दी-जुकाम, मोटापा, बालोंका झड़ना और अवसाद जैसे रोगों के खतरे कम होते हैं।
2. विटामिन डी प्रतिरक्षण तन्त्र को मजबूत करके सर्दी, फ्लू और निमोनिया से सुरक्षा प्रदान करता है।
3. विटामिन डी अच्छे प्रतिरक्षण तन्त्र के साथ स्वस्थ शिशु के विकास में सहायक है। यह समय पूर्व के जन्म से भी बचाता है।
4. विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा से गिरने, फ्रैक्चर, उच्च रक्तचाप और टाइप-1 मधुमेह से होने वाली चोटों के खतरों को कम करता है।
5. विटामिन डी घाव भरने में भी सहायक है
विटामिन
डी
की
कमी
के
लक्षण
विटामिन
डी
की
कमी
के
लक्षणों
में
अवसाद,
पीठदर्द,
मोटापा,
ऑस्टियोपोरेसिस,
मल्टिपल
स्केलेरॉसिस,
मसूढ़ों
के
रोग,
प्रीमेन्स्ट्रुअल
सिंड्रोम,
दमा,
ब्रान्काइटिस,
तनाव
और
मधुमेह
शामिल
हैं।