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लीची नहीं शरीर में ग्लूकोज की कमी से होता है 'चमकी बुखार', जाने किन बातों का रखें ध्यान
बिहार में चमकी फीवर यानी 'एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम' का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोजाना इसे लेकर कोई ना कोई नई बात सामने आ रही है। चमकी फीवर एक तरह का दिमागी बुखार है जिसके गिरफ्त में आने के बाद उचित इलाज नहीं मिलने से बच्चों की सांसे थम जाती है। अभी तक ऐसी बातें भी सामने आ रही थी कि चमकी फीवर की पीछे मुख्य वजह लीची खाना है।
लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो चमकी बुखार यानी 'एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम', हाइपोग्लाइकेमिक (लो ब्लड शुगर) से संबंधित है। ये फीवर शरीर में ग्लूकोज की कमी से होता है और इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण ये मासूमों को अपनी चपेट में ले लता है। इसलिए आइए जानते है कि ग्लूकोज आखिर क्या है और ये कैसे काम करता है।
क्या है ग्लूकोज?
ग्लूकोज को हम सामान्य तौर पर ब्लड शुगर के नाम से भी जानते है। ग्लूकोज शरीर की कार्यप्रणाली को दुरस्त रखने के लिए बेहद जरुरी है। जब हमारे ग्लूकोज का लेवल अधिक होता है, तो अक्सर यह किसी का ध्यान नहीं जाता है। लेकिन जब ये कम हो जाता है तो शरीर तुरंत हमें संकेत देने लग जाता है।
हमारी बॉडी में ग्लूकोज कैसे काम करता है
हमारा शरीर दिन में कई बार ग्लूकोज को बनाने का काम करता है। जब हम खाते हैं, तो हमारा शरीर तुरंत ग्लूकोज को बनाने का प्रोसेस शुरु कर देता है। जब हम खाते हैं, तो हमारा शरीर अग्न्याशय को संकेत देता है कि उसे बढ़ते ब्लड शुगर के लेवल से निपटने के लिए इंसुलिन रिलीज करने की आवश्यकता है। अग्न्याशय, जो इंसुलिन सहित हार्मोन का उत्पादन करता है। यदि शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, तो इसके परिणामस्वरूप शरीर में संग्रहित फैट से फैटी एसिड रिलीज होने लगता है। इससे केटोएसिडोसिस नामक स्थिति हो सकती है।
ग्लूकोज की जांच कैसे करते हैं?
जो लोग मधुमेह की समस्या से जूझ रहे हैं उन लोगों के लिए ग्लूकोज की जांच करना काफी जरूरी होता है। इसके लिए डॉक्टर या ब्लडशुगर मशीन के जरिए भी आप नियमित तौर पर ग्लूकोज की जांच कर सकते है। ग्लूकोज की जांच भूखे पेट की जाती है।
ग्लूकोज के नॉर्मल लेवल क्या है?
सामान्य ग्लूकोज का स्तर बने रहने से आपको शरीर प्रभावी और सेहतमंद तरीके से काम करता है। ग्लूकोज पर विशेष ध्यान डायबिटीक लोगों को देना चाहिए।
खाने से पहले, एक हेल्दी लेवल 90-130 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम / डीएल) होती है। एक या दो घंटे के बाद, यह 180 मिलीग्राम / डीएल से कम होना चाहिए।
क्या है एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम?
चमकी बुखार यानि 'एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम' एक तरह का मस्तिष्क बुखार है, जिससे बच्चे की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। इस बुखार के लक्षण सामान्य बुखार की तरह होता है। जैसे-जैसे ये बुखार बढ़ता जाता है तो आपके शरीर में ऐंठन आने लगती है और फिर धीरे-धीरे ये दिमाग पर भी चढ़ने लगता है।
दूसरी भाषा में समझे तो हमारे दिमाग में लाखों सेल्स होते हैं और खतरनाक टॉक्सिन के संपर्क में आने से इनमें सूजन आने लगती है इस वजह से ये सही से काम करना बंद कर देते हैं और फिर जो आपकी बॉडी में रिएक्शन होता है, उसे ही चमकी बुखार कहा जाता है।
हाइपोग्लाइकेमिक और 'AES' में कनेक्शन
'एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम' या AES में खतरनाक टॉक्सिन्स, शरीर में बीटा ऑक्सीडेशन प्रोसेस को रोक देते हैं, इससे आपके ब्लड में ग्लूकोज की कमी होने लगती है और वो पूरी तरह से आपके दिमाग तक नहीं पहुंच पाता और फिर फैटी एसिड्स की मात्रा बढ़ने लगती है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया भी कहते हैं। छोटे बच्चों का शरीर कमजोर होता है, जिस कारण उनके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा भी कम होती है और इस कारण सही मात्रा ग्लूकोज उनके दिमाग तक नहीं पहुंच पाता और ये बुखार उनके दिमाग तक पहुंच जाता है।
चमकी बुखार के लक्षण :
चमकी नाम की बीमारी में शुरुआत में तेज बुखार आता है। इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। इसके बाद तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। इस बीमारी में ब्लड शुगर लो हो जाता है। बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते हैं और उन्हें दौरे भी पड़ने लगते हैं। जबड़े और दांत कड़े हो जाते हैं। बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है। अगर बुखार के पीड़ित को सही वक्त पर इलाज नहीं मिलता है तो उसकी मौत होने की सम्भावाना बढ़ जाती है।
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इलाज :
सबसे पहले तो आप बच्चे की साफ-सफाई और खान पान का ख्याल रखें, क्योंकि ये इन्हीं चीजों से फैलता है, यदि सफाई होगी तो ऐसी कई बीमारियों का खतरा भी कम हो जाएगा।
नॉर्मल बुखार या फिर कोई शिकायत भी है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
बुखार आने पर बच्चे के शरीर का तापमान बढ़ जाएगा, इसलिए उसके शरीर को गीले कपड़े से पोंछते रहें और कूलर के सामने ले जाएं।
ग्लूकोज की कमी होने पर ORS और ग्लूकोज पिलाते रहें।
सीधे न सुलाएं नहीं तो उसे झटके आएंगे, इसलिए करवट करके सुलाएं।
मच्छर दानी लगाकर ही सुलाएं।
बच्चे को पतले कपड़े पहनाएं, ताकि हवा पास हो सके।
सावधानी
गर्मी के मौसम में खाना, फल, सब्जी काफी जल्दी खराब हो जाते हैं इसलिए आपको सबसे पहले खाने-पीने की चीजों का ख्याल रखने की जरुरत होती है।
आपको बच्चों को दूषित फल नहीं खिलाना चाहिए या फिर सड़क पर बिकने वाले कटे हुए फलों का सेवन करने से भी उन्हें रोकें।
बेसिक हाइजीन जैसे- खेलने के बाद हाथ धोना, खाने से पहले हाथ धोना, साफ कपड़े पहनना आदि का खास ख्याल रखें।
खाने की चीजों को रखने के लिए ठंडी जगह का इस्तेमाल करें ताकि खाना गर्मी से खराब न हो।