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अस्थमा मरीज को होता है कोरोना वायरस का ज्यादा खतरा, जानें किन बातों का रखें ध्यान
अस्थमा मरीजों के लिए कोरोना वायरस खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए ऐसे लोगों को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचे रहने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। दरअसल कई स्वास्थ्य संस्थाओं ने अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है, क्योंकि अस्थमा रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ी हुई बीमारी है जबकि कोरोना वायरस का संक्रमण भी रेस्पिरेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। यदि कोई अस्थमा मरीज कोरोनावायरस से संक्रमित हो जाए, ऐसे मरीजों के लिए काफी गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकता है। इसलिए ऐसे लोगों को इस दौरान बहुत सचेत रहने की जरुरत है। और लॉकडाउन में सारे नियमों की कड़ाई से पालना करनी चाहिए। अगर जरूरत पड़ने पर बाहर निकल भी रहे हैं तो, संक्रमण से बचे रहने के लिए पूरे दिशा-निर्देशों का गंभीरतापूर्वक पालन करें।
समय से करें दवाईयों का इस्तेमाल
अस्थमा के इलाज में कॉर्टिजोन स्प्रे या फिर कॉर्टिजोन टैबलेट का इस्तेमाल आम बात है। इससे एंटी-इंफ्लेमेट्री प्रभाव पड़ता है, जो मरीज के फेफड़ों की पतली नलियों में होने वाली परेशानी को कम करता है। इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने में मदद मिलती है। जर्मनी में फेफड़ों के विशेषज्ञों ने बयान जारी कर कहा कि अगर अस्थमा के मरीज नियमित तौर पर अपनी दवाइयां लेते रहें तो उनके लिए कोरोना का खतरा ज्यादा नहीं बढ़ेगा। विशेषज्ञों की सलाह है कि उन्हें बिना अपने चिकित्सक की सलाह के दवाएं बंद नहीं करनी चाहिए। अगर हालत गंभीर होने लगे तो डॉक्टर ऐसे मरीजों की कॉर्टिजोन डोज नियंत्रित कर सकते हैं।
किन बातों का रखें ध्यान
जिन्हें पहले से सांस की समस्या हो, उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेफड़ों की म्यूकोसा पहले से कमजोर होने के कारण यह खतरा बढ़ा देती है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि अस्थमा के मरीजों के लिए पहले से ही इंफ्लुएंजा और न्यूमोकॉक्कल वैक्सीन लगवाना अच्छा होता है। अस्थमा के मरीजों को इस दौर में फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के साथ हाइजीन का बहुत ख्याल रखने की जरूरत है।
बैलेंस्ड और हेल्दी डाइट लें
अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए आप विटामिन-सी युक्त फलों एवं सब्जियों का अधिक सेवन करें। इससे फेफड़े में होने वाली सभी परेशानियों से निजात मिलती है। इसके साथ ही इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।
खुद को हाइड्रेटेड रखें
इसके लिए आपको अधिक से अधिक पानी पीने की आदत डाल देनी चाहिए। इससे शरीर में मौजूद टोक्सिन बाहर निकल जाता है और फेफड़े का तापमान भी संतुलित रहता है। अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में अधिक तकलीफ होती है। ऐसा देखा गया है कि ऐसे मरीज कभी-कभी राहत पाने के लिए मुंह से सांस लेने लगते हैं। ऐसा बिल्कुल न करें, बल्कि नाक से ही सांस लें। अगर आप मुंह से सांस लेते हैं तो फेफड़ों की सूजन बढ़ सकती है।