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आपको भी किसी समय लग जाता है प्रेशर, कही आपको ये सिंड्रोम तो नहीं!

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आपको अचानक से कभी भी पेट में प्रेशर बनने लगता है और आपको पूरे द‍िन में चार-पांच बार फ्रेश होने के ल‍िए वॉशरुम जाने पड़ता हैं। फिर तो आप IBS यानी Irritable Bowel Syndrome से पीड़‍ित हो सकते हैं, ये एक ऐसा समस्‍या है जिसमे बड़ी आंत प्रभावित होती है।

इस रोग में मरीजों की आंत की बनावट में कोई बदलाव नही होता है, इसलिय कई बार इसे सिर्फ रोगी का वहम ही मान लिया जाता है। लेकिन आँतों की बनावट में कोई चेंज ना आने के बावजूद भी रोगी को कब्ज या बार-बार दस्त लगना, पेट में दर्द, गैस जैसी समस्याएं होती हैं। ये बीमारी अनुवांशिक नहीं है। ये अधिकतर उन्हें होती है जो अधिक स्ट्रेस या तनाव में जीते है, जिन्हें सही तरह से रात को नींद नहीं आती या किसी भी प्रकार के मानसिक बीमारी से पीड़ित है।

इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम के लक्षण

इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम के लक्षण

कब्ज या बार बार दस्त लगना - कई बार कुछ खाते ही शौच के लिए जाना पड़ता है। बहुत से रोगियों को दिन में 7 या 8 बार या ज्यादा बार भी शौच के लिय जाना पड़ता है। जबकि कई बार अपने आप ही कब्ज यानी हो जाता है।

  • पेट में दर्द या ऐंठन।
  • बहुत ज्यादा गैस बनना।
  • पेट फूलना या अफारा होना।
  • मल के साथ चिकना कफ जैसा पदार्थ आना।
  • एक बार में पेट साफ ना हो पाना जिससे बार-बार शौचालय जाने की जरूरत महसूस होना।
  • कारण

    कारण

    IBS का कोई एक कारण नही माना गया है। बल्कि कई कारण मिलकर इस रोग के होने का कारण बनते है -

    - इन चीजों के खान-पान से र‍हें दूर

    बहुत से लोगों को चोकलेट, एल्कोहल, गोभी, डेयरी उत्पाद, दूध, तले भुने मसालेदार पदार्थों एवं गेहूं से लक्षण बढ़ जाते हैं।

    - तनाव

    IBS के होने में तनाव पूर्ण माहोल यानी stress का भी अहम रोल हौता है। जिससे IBS या ग्रहणी रोग के लक्षण बढ़ जाते हैं।

    - आनुवंशिकता

    जिन लोगों के परिवार में माता-पिता आदि को यह तकलीफ होती है उनके बच्चों को यह समस्या होने की ज्यादा सम्भावना हो जाती है।

    IBS से बचने के उपाय

    IBS से बचने के उपाय

    फाइबर लें

    खान-पान में धीरे-धीरे रेशे की मात्रा बढाने से लक्षणों में बहुत आराम मिलता है। फाइबर चोकर युक्त आटा, हरी सब्जियों एवं फलों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

    खान-पान का रखें ध्‍यान

    खान-पान का रखें ध्‍यान

    नियमित समय पर खाना खाने की आदत डालें। एक बार में ज्यादा न खाकर थोड़ा थोड़ा कई बार में लें। खान पान में दही, छाछ आदि ज्यादा शामिल करें।

     एक्‍सरसाइज में दे ध्‍यान

    एक्‍सरसाइज में दे ध्‍यान

    नियमित रूप से भ्रमण, योगा, व्यायाम करें, इससे तनाव का स्तर घटता है और खाने का सही से पाचन होता है।

     आयुर्वेदिक उपचार

    आयुर्वेदिक उपचार

    आयुर्वेद में आईबीएस को ग्रहणी या संग्रहणी रोग के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में ग्रहणी के वातज, पितज, कफज, सन्निपातज जैसे प्रकार बताये गए हैं तथा ग्रहणी रोग के कारणों, लक्षणों और चिकित्सा के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है।

English summary

How to Heal Irritable Bowel Syndrome Naturally

Irritable bowel syndrome (IBS) is a common disorder that affects the large intestine.
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