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क्या साथ रहने से लड़कियों को एक साथ होने लगते हैं पीरियड्स, जानें सच!
कभी आपका ध्यान भी इस तरफ गया है कि आपको और आपकी रूममेट या बेस्ट फ्रेंड की पीरियड डेट एक साथ आने लगी है जबकि दोनों का साइकल अलग था? ज्यादातर लड़कियों, महिलाओं ने यह बात फील की होगी कि हम जिन महिलाओं या लड़कियों के साथ ज्यादा उठते-बैठते हैं उनके साथ हमारा पीरियड सिंक-अप होने लगता है मतलब दोनों की पीरियड डेट एकदम आसपास आने लगती हैं। लेकिन ये सिर्फ एक इत्तेफाक होता है या इसके पीछे कोई लॉजिक भी है? आइए जानते हैं इससे जुड़े तर्क।
कई महिलाएं भी इस बात को व्यक्तिगत रुप से मानती है कि जो लड़कियां साथ में ज्यादा वक्त बिताती हैं उनके पीरियड की डेट भी सेम हो जाती है। पीरियड सिंकिंग को मेडिकल भाषा में मेंस्ट्रुअल सिंक्रॉनी, मॅकक्लिंटॉक इफेक्ट (McClintock effect) भी कहते हैं।
फेरोमोन्स भी हैं वजह
माना जाता है कि जब एक महिला दूसरी ऐसी महिला के संपर्क में आती है, जिनको पीरियड हो रहा हो तो दोनों को मेन्स्ट्रुअल साइकल मैच करने लगती है। ऐसा इसलिए होता है कि शरीर से निकलने वाले फेरोमोन्स (एक तरह के बॉडी केमिकल) की वजह से होता है। हालांकि मेडिकल साइंस के पास इस बात को साबित करने के लिए ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है।
क्या है मॅकक्लिंटॉक इफेक्ट
पीरियड डेट मैच करने वाली बात सदियों से महिलाओं के बीच है लेकिन मेडिकल साइंस ने एक रिसर्च के बाद इस पर बात करनी शुरू की। मार्था मॅकक्लिंटॉफ नाम की रीसर्चर ने 135 कॉलेज जाने वाली लड़कियों पर शोध किया। उनको साथ रखा गया इसके बाद उनकी साइकल्स सिंक हो गई।
ये आया नतीजा
स्टडी में बाकी फैक्टर्स नहीं देखे गए बस यह देखा गया कि उनकी मंथली ब्लीडिंग कब शुरू हुई। पता लगा कि महिलाओं की पीरियड डेट वाकई एक सी हो गई। इसके बाद से ही इसे मॅकक्लिंटॉक इफेक्ट कहा जाने लगा।
स्टडी में भी हुआ खुलासा
इसके बाद कई और स्टडीज में यह बात सामने आई कि साथ रहने से महिलाओं की पीरियड डेट सिंक हो जाती है। वहीं 2017 में हुई एक स्टडी में पता लगा कि 44 फीसदी पार्टिसिपेंट्स के पीरियड्स में सिंक्रॉनी पाई गई। यहां तक कि पीरियड सिंपटम्स जैसे मेंस्ट्रुअल माइग्रेन पर भी साथ रहने का असर पड़ा। जिससे ये बात साबित होती है कि साथ रहने से महिलाओं में पीरियड सिंकअप होते हैं।