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जानिये भगवान हनुमान के जन्म का रहस्य
भगवान हनुमान के जन्म की कथा, माता अंजना से जुड़ी हुई है। भगवान हनुमान माता अंजना और केसरी नन्दन के पुत्र थे, जो अंजनागिरि पर्वत के थे। पहले अंजना, भगवान ब्रह्मा के कोर्ट में एक अप्सरा थी, उसे एक ऋषि ने शाप देकर बंदरिया बना दिया।
अपने बचपन में अंजना ने एक बंदर को पैरों पर खड़े होकर ध्यान लगाते देखा, तो उसने उस बंदर को फल फेंक कर मार दिया। वह बंदर एक ऋषि में बदल गया और उसकी तपस्या भंग होने पर वह क्रोधित हो गया। उसने अंजना को शाप दिया कि जिस दिन उसे किसी से प्रेम हो जाएगा, उसी क्षण वह बंदरिया बन जाएगी।
क्या हनुमान जी के एक पुत्र था? आइये जानें...
अंजना ने बहुत माफी मांगी और ऋषि से उसे क्षमा करने को कहा। पर ऋषि ने एक नहीं सुनी और अंजना को शाप देकर कहा कि वह प्रेम में पड़ने के बाद बंदरिया बन जाएगी लेकिन उसका पुत्र भगवान शिव का रूप होगा।
कुछ
समय
बाद,
अंजना
जंगलों
में
रहने
लगी।
वहां
उसकी
भेंट
केसरी
से
हुई,
जिससे
प्रेम
होने
पर
वह
बंदरिया
बन
गई
और
केसरी
ने
अपना
परिचय
देते
हुए
अंजना
को
बताया
कि
वह
बंदरों
का
राजा
है।
अंजना
ने
गौर
से
देखा
तो
पाया
कि
केसरी
के
पास
ऐसा
मुख
था
जिसे
वह
मानव
से
बंदर
या
बंदर
से
मानव
कर
सकता
था।
केसरी
की
ओर
से
प्रस्ताव
रखने
पर
अंजना
मान
गई
और
दोनों
का
विवाह
हो
गया।
अंजना
ने
घोर
तपस्या
की
और
भगवान
शिव
से
उनके
समान
एक
पुत्र
मांगा।
भगवान
ने
तथास्तु
कहा।
वहीं
दूसरी
ओर,
अयोध्या
के
राजा
दशरथ
ने
पुत्र
की
प्राप्ति
के
लिए
पुत्रकामेस्थी
यज्ञ
आयोजित
किया।
अग्नि
देव
को
प्रसन्न
करने
के
बाद
उन्होने
दैवीय
गुणों
वाले
पुत्रों
की
कामना
की।
अग्निदेवता
ने
प्रसन्न
होकर
दशरथ
को
एक
पवित्र
हलवा
दिया,
जिसे
तीनों
पत्नियों
में
बांटने
को
कहा।
राजा
ने
बड़ी
रानी
तक
हलवे
को
पंतग
से
पहुंचाया,
वहीं
बीच
में
कहीं
माता
अंजना
प्रार्थना
कर
रही
थी,
हवन
की
कटोरी
में
वह
हलुवा
जा
गिरा,
माता
अंजना
ने
उस
हलवे
को
ग्रहण
कर
लिया।
उसे
खाने
के
बाद
उन्हे
लगा
जैसे
गर्भ
में
भगवान
शिव
का
वास
हो
गया
हो।
इसके पश्चात उन्होने हनुमान जी को जन्म दिया। भगवान हनुमान को वायुपुत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि हवा चलने के कारण ही वह हलुवा, माता अंजनी की कटोरी में आकर गिरा था। भगवान हनुमान के जन्म लेते ही माता अंजना अपने शाप से मुक्त होकर वापस स्वर्ग चली गई। भगवान हनुमान सात चिरंजीवियों में से एक हैं और भगवान श्रीराम के भक्त थे। रामायण की गाथा में उनका स्थान हम सभी को पता है।