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इस तारीख को है ईद मिलाद उन-नबी, पैगंबर मोहम्मद साहब के जीवन से लें सीख
ईद मिलाद उन-नबी को ईद-ए-मिलाद या बारावफात के नाम से भी जाना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12 रबी अल अव्वल की तारीख को पड़ने वाला यह त्योहार मुस्लिम समुदाय के लिए काफी महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ था और इसी तारीख को उनका देहांत हुआ था। पैगंबर हजरत मोहम्मद को इस्लाम धर्म का संस्थापक माना जाता है। इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद के संदेशों को याद किया जाता है और विशेष नमाजें अदा की जाती हैं।
ईद मिलाद उन-नबी 2020
साल 2020 में बारावफात या मीलाद उन नबी का पर्व 29 अक्टूबर, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।
पैगंबर हजरत मोहम्मद कौन थे?
आपको बता दें कि पैगंबर मोहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था। उन्हें इस्लाम का सबसे महान नबी बताया गया है। वे आखिरी पैगंबर थे। माना जाता है कि मक्का शहर में जन्मे हजरत मोहम्मद को वहां हीरा नाम की गुफा में ज्ञान प्राप्त हुआ था। आगे चलकर इन्होंने पवित्र किताब कुरआन की शिक्षाओं का उपदेश दिया। इनके पिता का नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब और वालिदा का नाम बीबी अमिना था। 25 साल की उम्र में उन्होंने खदीजा नाम की विधवा से शादी की।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाने की वजह
इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग मिलाद उन-नबी के दिन हजरत मोहम्मद के जन्म की खुशी मनाते हैं। देर रात तक लोग अकीदत में डूबे रहते हैं। प्रार्थना करते हैं और कई जगह जुलूस भी निकाले जाते हैं। शिया और सुन्नी मुसलमान अपने अपने तरीकों से हजरत मोहम्मद की याद में इस दिन को व्यतीत करते हैं।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन क्या करें
यह दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन अपने घरों को सजाते हैं। इस दिन मस्जिदों की भी सजावट की जाती है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान दिया जाता है। इस दिन मस्जिद में नमाज अदा की जाती है और कुरआन पढ़ा जाता है। जो लोग मस्जिद नहीं जा पाते हैं वो घर पर ही नमाज अता कर लेते हैं। इस दिन लोग अपना ज्यादा से ज्यादा समय इबादत में बिताकर अल्लाह की रहमत पाते हैं।