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नाग पंचमी कब और कैसे मनाएं
नाग पंचमी, भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है जो सांपों को समर्पित त्यौहार है, इस पर्व को नागा पंचमी या नागर पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। सावन मास के शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है।
वर्ष 2015 में यह पर्व 19 अगस्त को पड़ रहा है। हिंदू धर्म में इस पर्व को प्रकृति और वनस्पतियों व जीवों को समर्पित करके मनाया जाता है। प्रकृति की देन, सांपों को इस दिन विशेष रूप से पूजा जाता है। लोग अक्सर सांपों से डरते है, ऐसे में उनकी पूजा की जाती है ताकि लोग भयमुक्त होकर उन्हे भी प्रकृति का हिस्सा मानें।
अगर हिंदू धर्म में देखा जाएं तो भगवान शिव के गले और भुजाओं में सर्प वासुकी हमेशा लिपटा रहता है, वहीं भगवान विष्णु के सिर पर कई मुखों वाला सर्प रहता है। कृष्ण लीला में भी पढ़ने में आता है कि यमुना नदी में कालिया नाग रहता था, जिसने यमुना को जहरीला बना दिया था।
वहीं तक्षक के बारे में भी हम जानते हैं जिसे राजा परिक्षित के कारण मृत्यु का भाजन बनना पड़ा।
READ: जानिये नाग पंचमी की पूजा का महत्व
इस दिन लोग, घरों में सांप बनाकर और असली सांपों को पूजते हैं और उनकी रक्षा की कामना करते हुए आर्शीवाद पाते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव का आर्शीवाद भी सांपों की पूजा करने से प्राप्त होता है।
मुख्य रूप से नौ प्रकार के सांपों को पूजा जाता है: अनंत, वासुकी, शेष, कालिया, शंखपाला, तक्षक, कम्बाला, ध्रुथराष्ट्रा और पदम्नाभा। घरों में नाग पंचमी की पूजा के दौरान व्रत भी रखा जाता है। इस पूजा की प्रक्रिया निम्न प्रकार होती है:
ब्रह्मामुर्हुत से पहले उठ जाएं।
- दैनिक कार्यों और साफ-सफाई के बाद, पूजा स्थल को धुल लें और वहां गंगाजल छिड़क दें।
- चौकी पर भगवान शिव की मूर्ति रखें या नाग देवता की फोटो रखें।
- आटा, मिट्टी या गोबर का सर्प बनाकर पूजा स्थल के द्वार पर रख दें।
- बनाएं गए नाग देवता की पूजा फूलों से करें और कुश घास भी चढ़ाएं। साथ ही कुछ मिठाई और दूध का भोग लगाएं।
- इसके बाद, नाग मंत्र और स्तुति का जाप करें।
- आप चाहें तो इसके बाद मंदिर जाकर भी पूजा कर सकते हैं।
- शाम के समय, खीर बनाएं और नाग देवता को भोग लगाएं।
पूजा करने की प्रक्रिया:
नागपंचमी के दिन, घर के सभी सदस्यों को प्रात: नहाकर नए कपड़े पहनने चाहिए और सर्प को बनाकर उस पर भोग चढ़ाना चाहिए। भोग में मालपुआ और लड्डु को चढ़ाएं। भगवान की मूर्ति पर चंदन का तिलक करें।
माना जाता है कि इस पूजा को करने से काल सर्प दोष दूर हो जाता है। इस दिन जमीन को खोदना सख्त मना होता है। कई घरों में इस दिन बासा भोजन ही खाया जाता है, प्रसाद भी एक दिन पहले की बनाकर खा लिया जाता है।
कई स्थानों पर नागपंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि मां सरस्वती, ज्ञान और बुद्धि की देवी है और इस दिन पूजा करने से वह प्रसन्न होती हैं। सांपों की रानी मानासा भी पूजा भी इसी दिन की जाती है। घर की सारीी स्त्रियां, परिवार की समृद्धि और खुशहाली के लिए इस दिन पूजा करती हैं। कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से आपका परिवार, सर्पदंश से मुक्त रहता है।