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घर में अगर शंख है, तो ऐसे करनी चाहिये उसकी पूजा
भारतीय धर्म शास्त्रों में शंख का स्थान महत्वपूर्ण है। शंख का अर्थ है संकल्प, इसलिए पूजा अर्चना तथा अन्य मांगलिक कार्यों पर शंख ध्वनि की विशेष महत्व है।
वैज्ञानिक दृष्टि कोण से कहें तो शंख सागर का एक जलचर है जो कि ज्यादातर वामावर्त या दक्षिणावर्त आकार में बना होता है। शास्त्रों में विभिन्न स्थानों पर शंख को समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में एक माना जाता है।
महत्व
व
उपयोग
शंख
को
निधि
का
प्रतीक
माना
जाता
है।
इसे
घर
में
पूजा
स्थल
पर
रखने
से
अनिष्टों
का
शमन
व
सौभाग्य
में
वृद्धि
होती
है।
पूजा,
अनुष्ठान,
आरती,
यज्ञ
तथा
तांत्रिक
क्रियाओं
में
इसका
विशेष
उपयोग
किया
जाता
है।
शंख
साधक
के
उसकी
इच्छित
मनोकामना
पूर्ण
करने
तथा
अभीष्ट
प्राप्ति
में
सहायक
होते
हैं।
शंख
को
लक्ष्मी
जी
का
सहोदर
भाई
माना
जाता
है।
जो
शंख
दाहिने
हाथ
से
पकड़ा
जाता
है,
वह
दक्षिणावर्ती
तथा
जो
बाएं
हाथ
से
पकड़ा
जाता
है
वह
वामावर्ती
शंख
कहलाता
है।
अपनी
दुर्लभता
एवं
चमत्कारिक
गुणों
के
कारण
ये
दोनां
शंख
अन्य
शंखों
की
तुलना
में
अधिक
मूल्यवान
होते
हैं।
शंख
को
यश,
मान,
कीर्ति,
विजय
और
लक्ष्मी
का
प्रतीक
माना
जाता
है।
शंख
के
पूजा
विधि
परिवार
के
सदस्यों
में
से
किसी
एक
सदस्य
को
शंख
की
विधिवत
पूजा
करनी
चाहिए।
इसे
दिन
में
दो
बार
पूजा
के
समय
(सुबह
और
शाम)
बजाना
चाहिए।
इसके
साथ
आज
हम
वास्तु
शास्त्र
के
अनुसार
शंख
की
पूजा
कैसे
की
जाती
है
इसे
भी
जानने
की
कोशिश
करेंगे।
1. अगर आपको शंख खरीद के घर लाना है तो दो शंख लाएं और इन दोनों को अलग अलग रखें।
2. बजने वाले शंख को पानी से धोना चाहिए लेकिन इसे किसी मंत्र से अभीमंत्रित नहीं करना चाहिए। शंख को पूजा स्थल में पीले कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए।
3. और पूजा करने वाले शंख को गंगाजल से धोना चाहिए साथी सफ़ेद कपड़े में लपेट कर रखना चाहिए।
4 पूजा में इस्तेमाल होने वाले शंख को किसी ऊंची जगह पर रखना चाहिए। वहीँ बाजाने वाले शंख को उससे नीची जगह पर रखना चाहिए।
5. एक ही मंदिर में दो तरह के शंख नहीं रखने चाहिए। अगर दो रखने भी हैं तो एक बजाने के लिए रखें और एक पूजा करने के लिए।
6. शंख कभी भी शिवलिंग के आस पास नहीं रखना चाहिए, और यदि रखना है भी तो उसे छूना नहीं चाहिए।
7. शंख को कभी भी भगवान शिव या भगवान सूर्य को पानी चढ़ाने के लिए नहीं इस्तेमाल करना चाहिए।