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माँ दुर्गा की उत्पत्ति की कहानी और जानिए, महाभारत से है क्या है नवरात्र का नाता?
माँ
दुर्गा
को
अदि
शक्ति,
शक्ति,
भवानी,
और
जगदम्बा
जैसे
कई
नामों
से
पूजते
हैं।
पौराणिक
कथाओं
के
अनुसार
माँ
दुर्गा
का
जन्म
राक्षसों
का
नाश
करने
के
लिए
हुआ
था।
यही
कारण
हैं
कि
हम
नवरात्र
में
माँ
दुर्गा
की
पूजा
करते
हैं।
इन
दिनों
में
माता
की
पूजा
और
भक्ति
का
फल
जल्दी
मिलता
है।
इसका
कारण
यह
माना
जाता
है
कि
मां
नवरात्र
के
नौ
दिनों
में
पृथ्वी
पर
आकर
भक्तों
के
बीच
रहती
हैं।
इसलिए
मां
को
खुश
करने
के
लिए
भक्त
विधि-विधान
पूर्वक
आरती,
पूजा
एवं
दुर्गा
सप्तशती
का
पाठ
करते
हैं।
कथा के अनुसार महिषासुर का जन्म पुरुष और महिषी (भैंस) के संयोग से हुआ था। इसलिए उसे महिषासुर कहा जाता था। वह अपनी इच्छा के अनुसार भैंसे व इंसान का रूप धारण कर सकता था। उसने अमर होने की इच्छा से ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए बड़ी कठिन तपस्या की। ब्रह्माजी उसके तप से प्रसन्न हुए। उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया और इच्छानुसार वर मांगने को कहा।
महिषासुर ने उनसे अमर होने का वर मांगा। ब्रह्माजी ने कहा जन्मे हुए जीव का मरना तय होता है। महिषासुर ने बहुत सोचा और फिर कहा- आप मुझे ये आशीर्वाद दें कि देवता, असुर और मानव कोई भी मुझे न मार पाए। किसी स्त्री के हाथ से मेरी मृत्यु हो। ब्रह्माजी 'एवमस्तु’ यानी ऐसा ही हो कहकर अपने लोक चले गए। वरदान पाकर महिषासुर ने तीनो लोकों पर आतंक मचा दिया। फिर उसने देवताओं के इन्द्रलोक पर आक्रमण किया। जिससे सारे देवता परेशान हो गए। इसके चलते सभी देवता ने देवी का आवाहन किया और तब देवी की उत्पत्ति हुई। कहा जाता है कि देवी का युद्ध महिषासुर से नौ दिनों तक चला था। और नवे दिन माँ ने महिषासुर वध किया था।
महाभारत से ताल्लुक
ऐसी ही एक और कहानी है महाभारत से भी आती है। महाभारत के युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने अर्जुन को माँ वैष्णो की गुफा में पूजा करने को कहा था। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्र के आखरी दिन पांडवों ने अपनी पहचान बता दी थी। यह उनके वनवास का आखिरी समय था। इसी दिन उन्होंने शमी के पेड़ से अपने सारे हथियार निकाल लिए जो उन्हों ने राजा विराट के महल में प्रवेश शमी के पेड़ के नीचे छुपाये थे। इसीलिए विजया दश्मी के दिन शमी की पत्तियों का भेट की जाती हैं जिससे जीत और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।