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नरसिम्हा जयंती पर इन मंत्रों का जाप करके पाएं खुशहाली
नरसिम्हा जयंती पर जाने कि कौनसे मंत्रों का जाप करना चाहिए।
जिस दिन इस धरती पर भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिम्हा का जन्म हुआ था, उस दिन नरसिम्हा जयंती मनाई जाती है। भगवान नरसिम्हा का अवतार, असुर राजा हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए हुआ था।
हिरण्यकश्यप, भक्त, प्रह्लाद के पिता थे, जो कि भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप उसकी इस बात से कभी प्रसन्न नहीं रहता था, वह चाहता है कि उसका पुत्र भी सिर्फ उसी की पूजा करें जैसा कि पूरी जनता करती है। लेकिन प्रहलाद ने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो हिरण्यकश्यप ने उसे कई तरीकों से मारने का प्रबंध किया और वह हर बार असफल हुआ।
इसके बाद, उसने अपनी बहन होलिका को विशेष वस्त्र पहनकर आग में बैठने का आदेश दिया लेकिन तब भी प्रहलाद होलिका की गोद से बच गया। उसके बाद, इसके अत्याचार बढ़ते गए और फिर भगवान नरसिम्हा ने जन्म लिया और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया।
कहा जाता है कि भगवान नरसिम्हा का अवतरण एक खम्भे से हुआ था और जब उन्होंने उसे मिले वरदान को ध्यान में रखते अपनी गोद पर लिटाकर, शाम के समय अपने नाखूनों से चीरकर मार डाला।
इसी दिन को नरसिम्हा जयंती मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह जयंती, वैसाख महीने के शुक्ल पक्ष में 14वें दिन मनाई जाती है। सामान्य कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष यह 9 मई को मनाई जाएगी।
इस दिन सभी भक्तों को नरसिम्हा की पूजा करने और उपासना करने के लिए कहा जाता है ताकि भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहें और वो हमेशा भयमुक्त और आंतरिक द्वेष से बचें। साथ ही कभी उनमें
घमंड न आएं।
भगवान नरसिम्हा की पूजा व आराधना करने के लिए आप इन मंत्रों व प्रार्थना का उच्चालण व पाठ कर सकते हैं इसके आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है:
भगवान नरसिम्हा को प्रसन्न करने के मंत्र -
नरसिम्हा महामंत्र
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥
अर्थ: हे भगवान विष्णुं, आप बहुत तेजवान और बहादुर हैं। आप सर्वशक्तिमान हैं। आपने मृत्यु को पराजित करने वालों में से एक हैं और मैं स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ।
इस मंत्र का जाप नियमित करें और सच्चे मन से करें। इससे आप पर भगवान की कृपा बनी रहेगी। साथ ही आपके सभी कष्टों का निवारण होगा।
नरसिम्हा प्रणाम प्रार्थना -
नमस्ते नृसिंहाय प्रहलादाहलाद-दायिने। हिरन्यकशिपोर्बक्षः शिलाटंक नखालये ॥
इतो नृसिंहो परतोनृसिंहो, यतो-यतो यामिततो नृसिंह। बर्हिनृसिंहो ह्र्दये नृसिंहो, नृसिंह मादि शरणं प्रपधे॥
मैं भगवान नरसिम्हा को प्रणाम करता हूँ। हे ईश्वर आपके नख बहुत पैने हैं जिन्होंने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया और उसकी छाती को फाड़ दिया। आप हम सभी के ह्दय में बसे हुए हैं। मैं स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ।
दसावतार स्त्रोत -
तव करकमलवरे नखम् अद् भुत श्रृग्ङं। दलित हिरण्यकशिपुतनुभृग्ङंम्। केशव धृत नरहरिरुप, जय जगदीश हरे ॥
अर्थ: हे भगवान केशव, आपके सामने नतमस्तक हूँ, आप अर्द्धमानव-अर्द्धशेर रूप में अवतरित हुए। आपने अपनी उंगलियों के दम पर हिरण्यकश्यप को पराजित किया और नाखूनों से उसका वध किया।
कामासीकष्टेकम -
''तव रक्षती रक्षकाय किमानयह,तव कारासकी रक्षकाय किमानयह, इत्ती निसिटा दिह स्रायमी नित्येम, नहरे वेगावती तत्यसश्रम तवम्।।
अर्थ: हे भगवान कामाशाख्ता, आपके पास सभी शक्तियां हैं। आप जब किसी को बचाने की ठान लेते हैं तो उसका कोई बाल बांका नहीं कर पाता है। लेकिन जब आप किसी को छोड़ते हैं तो कोई भी उसे
बचा नहीं पाता। मैं आपके समक्ष नतमस्तक हूँ और आपके चरणों में पड़ता हूँ। कृपया मुझे संसार की इस कुदृष्टि से बचाएं।
दिव्या प्रबंधम -
''अदि अदि अगम कारानिदु इसाईपउिप पडिक कन्नीूर मालगी इनुगुम्न डी नादी नरसिंगस इद्रु, वादी पदुद्म इव्व,न नुथाले।।
अर्थ: मैं तब तक नृत्य करूंगा, जब तक मेरा ह्दय आपको देखकर अभिभूत नहीं हो जाता है। मैं आपको आंखों में भरकर गीत गाऊंगा। मैं स्वप्न में भी आपके दर्शन करना चाहूँगा।
नरसिम्हा गायत्री मंत्र -
उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि, तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात ! वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्णदंष्ट्राय धीमहि ! तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात !
अर्थ- ओउम्, भगवान आपके नखों को प्रणाम। आपमें सिंह की शक्ति आपको भयमुक्त बनाती है और अच्छे कर्म करने की ओर अग्रसर करती है। हमें भी इन नखों और नुकीले दांतों से प्रेरणा लेनी चाहिए
कि मन को साफ बनाकर बुराईयों को ऐसे ही मारना होगा। ईश्वर मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
श्री नरसिम्हास महा मंत्र -
उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥
अर्थ: हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, तुम्हारी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंहदेव, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं तुम्हारे समक्षा आत्मसमर्पण करता हूँ।
नरसिम्हाप प्राप्ती -
माता नरसिम्हा, पिता नरसिम्हा , भ्रात नरसिम्हा, सखा नरसिम्हा।, विद्या नरसिम्हा्, द्रविणम नरसिम्हा, स्वामी नरसिम्हा, सखा नरसिम्हा, इथू नरसिम्हा, पारथो नरसिम्हा, यथो नरसिम्हा। यथो यथो यथि,
तथो नरसिम्हा नरसिम्हा देवाथ पारो न कासिचिट तास्मान नरसिम्हान श्रारनम प्रपाद्ये।
अर्थ - हे प्रभु, आप ही मेरे माता, पिता, भाई, दोस्त कुछ हैं। आप दुनिया भर के ज्ञान और धन से सम्पन्न हैं। आप मेरे गुरू हैं और आप ही सब कुछ है। मैं जहां भी रहूँ, आप सदैव मौजूद रहेंगे। आपकी
सर्वशक्तिमान शक्ति किसी और के पास नहीं है। मैं आपको स्वयं को पूर्ण समर्पित करता हूँ। हे मेरे ईश्वर, मुझे स्वीकार करें और दुनिया के दुखों व भय से मुक्त करें।