Just In
- 2 hrs ago Happy Birthday Sachin Tendulkar Wishes: अपने फेवरेट सचिन के 51वें जन्मदिन के मौके पर शेयर करें ये संदेश
- 3 hrs ago Hashimoto : एक्ट्रेस स्मृति खन्ना को प्रेग्नेंसी में हुई ये खतरनाक बीमारी, सीधा गर्भाशय पर करती है हमला
- 5 hrs ago नींद में आंखे खोलकर बोलते हैं विक्की कौशल, कितना खतरनाक हो सकता है ये स्लीपिंग डिसऑर्डर!
- 6 hrs ago ये शख्स हैं चलता-फिरता शराबखाना, इस अनोखी बीमारी की वजह से पेट में बनती है शराब
Don't Miss
- News Kal ka Match Kaun jeeta 23 April: कल का मैच कौन जीता- चेन्नई vs लखनऊ
- Education UK Board Result 2024: उत्तराखंड बोर्ड 10वीं, 12वीं रिजल्ट कब आएगा? चेक करें डेट और टाइम
- Movies मलाइका अरोड़ा के इन 8 कटिंग ब्लाउज को करें ट्राई, 500 की साड़ी में भी लगेगी हजारों की डिजाइनर साड़ी
- Automobiles KIA की इस कार को ग्लोबल NCAP क्रैश टेस्ट में मिली 5-स्टार रेटिंग्स, भरपूर सुरक्षा सुविधाओं से है लैस
- Technology Realme C65 5G भारत में 10 हजार से कम कीमत में होगा लॉन्च, जानें फीचर्स
- Travel IRCTC का मानसखंड यात्रा टूर पैकेज, देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक मंदिरों में करें दर्शन
- Finance Aadhaar Card: कहीं आपके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल तो नहीं हुआ, ऐसे करें तुरंत चेक
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
रमज़ान 2018: शुरू हो गया अल्लाह की इबादत का महीना
हमारे भारत देश में अलग अलग धर्म और जाती के लोग रहते है। सबके रीति रिवाज़ अलग, सबकी भाषा अलग, यहां तक की त्योहार भी अलग अलग ही होते हैं लेकिन इन सब त्योहारों का संदेश एक ही होता है और वो है प्रेम और भाईचारे का। रमज़ान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है और इस्लाम में खुदा की इबादत के लिये इस पाक महीने का बड़ा ही महत्व है। बुधवार की शाम को हर किसी ने चाँद का दीदार किया और 17 मई गुरूवार से पहला रोज़ा शुरू हो गया।
इस बार रमज़ान के पूरे महीने में 5 जुमे पड़ेंगे। पहला जुमा रमज़ान शुरू होने के अगले दिन यानी 18 मई को पड़ेगा और 15 जून को आखिरी जुमा होगा, जिसे अलविदा जुमा कहा जाता है। आखिरी जुमे के ठीक अगले ही दिन ही ईद मनाई जाएगी।
रमज़ान या रमादान के महीने में इस्लाम में आस्था रखने वाले लोग नियमित रूप से नमाज़ अदा करते हैं और साथ साथ रोज़ा (उपवास जिसमें बारह घंटे तक पानी की एक बूंद तक नहीं पी जाती) भी रखते । यह उपवास लगातार तीस दिनों तक चलते हैं और महीने के अंत में चांद के दिदार के साथ ही लोग अपना व्रत खोलते हैं।
आइए जानते हैं इस त्यौहार से जुड़ी कुछ ख़ास बातें।
रमज़ान का महीना
रमज़ान का महीना मुस्लिमों के लिए बेहद ख़ास होता है। इस्लामी कैलेंडर में इस महीने को हिजरी कहा जाता है। वैसे तो अल्लाह हो या भगवान इनकी इबादत करने के लिए किसी ख़ास मौके या फिर समय को नहीं देखा जाता फिर भी त्योहार बनाये गए हैं ताकि हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से कुछ पल अलग से अपने ईश्वर को समर्पित कर सकें। ठीक उसी प्रकार ऐसी मान्यता है कि हिजरी के इस पूरे महीने में कुरान पढ़ने से ज़्यादा सबाब मिलता है। इतना ही नहीं रोज़े को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना गया है।
कहते हैं रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने से ताक्वा प्राप्त होता है अर्थात खुदा की पसंद के कामों को करना। रमज़ान के दौरान कठोर नियमों का पालन कर लोग अल्लाह से अपने किये हुए गुनाहो की माफ़ी भी मांगते हैं। इस महीने में दुकानों, बाज़ारों या फिर मुस्लिम इलाकों में रौनक देखने लायक होती है। लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और उन्हें बधाइयां देते हैं इतना ही नहीं इस पाक मौके पर दुश्मन भी सारे गिले शिकवे भूलकर दोस्त बन जाते हैं और एक दूसरे से गले मिलते हैं।
रमज़ान को शब-ऐ-कदर भी कहा जाता है। कहते हैं इसी महीने में पहली बार खुदा ने कुरान को दुनिया में उतारा था इसलिए उनके बंदे उनका शुक्रिया अदा करने के लिए रोज़ा रखते हैं। मुस्लिम परिवार के बच्चे हो या फिर बुजुर्ग हर कोई रोज़ा रख खुदा की इबादत करता है।
रमज़ान के तीन दौर
रमज़ान के महीने को तीन भागों में बांटा गया है। 10 दिन के पहले भाग को 'रहमतों का दौर' बताया गया है, 10 दिन के दूसरे भाग को 'माफी का दौर' कहा जाता है और 10 दिन के आखिरी हिस्से को 'जहन्नुम से बचाने का दौर' कहते हैं।
रोज़ा
हर दूसरे उपवास की तरह रोज़ा रखने के भी कुछ ख़ास नियम होते हैं।
सेहरी: रोज़ा सेहरी से ही शुरू होता है जब तक रोज़ा चलता है। प्रत्येक दिन सुबह सूरज निकलने से कम से कम डेढ़ घंटे पहले उठकर कुछ खा लिया जाता है उसके बाद दिन भर अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता।
इफ्तार: शाम को सूरज ढलने के कुछ समय बाद लोग अपना रोज़ा खोलते हैं इसे इफ्तार कहते हैं और इसका एक निश्चित समय होता है।
तरावीह: रात को लगभग 9 बजे तरावीह की नमाज़ अदा की जाती है और मस्जिदों में कुरान पढ़ी जाती है। यह सिलसिला पूरे रमज़ान के महीने चलता है और चाँद के अनुसार 29 या 30 दिन के बाद बड़े ही धूमधाम से ईद मनायी जाती है।
रमज़ान के महीने में करना पड़ता है इन नियमों का पालन
1. रमज़ान के पाक महीने में किसी भी तरह की गलत आदत से दूर रहने की हिदायत दी जाती है जैसे शराब, झूठ, बुराई ना ही सुने और ना ही करें।
2. लड़ाई झगड़े से भी दूर रहना चाहिए, ना ही गलत शब्द का प्रयोग करें।
3. भूलकर भी महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। यहां तक की अपनी पत्नी से भी शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करने की इस दौरान मनाही होती है।
4. रमज़ान के महीने में दान का भी बहुत महत्व होता है। सबको अपने सामर्थ्य के अनुसार ये नेक काम करना चाहिए।
5. इस दौरान लोगों को अपने गुनाह मानने की सलाह दी जाती है ताकि वे ख़ुदा से अपनी गलतियों की माफ़ी मांग सके और अपने दिल का बोझ हल्का कर सके।
6. रमज़ान के महीने में लोग ख़ुदा से जन्नत बख़्शने की दुआ करते हैं जिसे जन्नतुल फिरदौस की दुआ कहते हैं। यह जन्नत का सबसे ऊँचा स्थान होता है।
7. पांच साल से कम उम्र के बच्चे और बहुत ज़्यादा बुजुर्ग व्यक्ति रोज़ा नहीं रख सकते।
8. रोज़ा के दौरान अगर आपकी तबियत बिगड़ गयी तो आप उसे बीच में ही तोड़ सकते हैं।
9. गर्भवती महिलाओं को भी रोज़ा रखने की मनाही होती है।