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Lathmar Holi: बरसाना में क्यों मनाई जाती है लट्ठमार होली, जानते है क्यों प्रसिद्ध है यहां की होली
होली रंगों का त्योहार है और भारत के अधिकतर हिस्सों में कई तरह से रंगों की होली खेली जाती है, लेकिन मथुरा के पास बरसाना की होली सबसे निराली होती है। जो पूरे दुनिया में बहुत अपनी भव्यता की वजह से फेमस हैं। बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाती है जो जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। यहां जानिए बरसाना की लट्ठमार होली से जुड़ी खास बातें...
क्यों फेमस है बरसाने की होली
मथुरा के पास ही बरसाना है, जिसे राधाजी का जन्म स्थान माना जाता है। होली पर नंदगांव के लोग होली खेलने के लिए बरसाना आते हैं। ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले होली भगवान श्रीकृष्ण ने राधाजी के साथ होली खेली थी। इसलिए इस पूरे क्षेत्र में होली बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है।
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नंदगांव में रहते थे कृष्ण
यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार नंदगांव भगवान श्रीकृष्ण के पिता नंदराय ने बसाया था। इसी कारण इस गांव का नाम नंदगांव पड़ा है। गोकुल को छोड़कर नंदबाबा श्रीकृष्ण और सभी गांव वालों को लेकर नंदगांव आ गए थे।
लट्ठमार होली क्यों मनाते हैं?
राधा की जन्म भूमि बरसाना में यहां फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर नंदगांव के लोग होली खेलने के लिए आते है। बरसाने की महिलाएं इनसे लट्ठमार होली खेलती हैं और दशमी पर रंगों से होली खेली जाती है। इस परंपरा के बारे में कहा जाता है कि श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाना होली खेलने आते थे। होली की मस्ती में राधा अपनी सखियों के श्रीकृष्ण और उनके साथियों पर डंडे बरसाती थीं। तभी से बरसाना में लट्ठमार होली की परंपरा चली आ रही है।
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कहां-कहां खेली जाती है लट्ठमार होली
बरसाना के अलावा ही ये होली मथुरा, वृंदावन, नंदगांव में लठमार होली खेली जाती है। होली की मस्ती में महिलाएं हाथ में लाठियां लेकर पुरुषों को पीटना शुरू कर देती हैं जिसे लठ्ठमार होली कहते हैं। और पुरुष खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागते हैं। ये सब मारना-पीटना हंसना मजाक और होली का हिस्सा होता है।