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1999 युद्ध की याद बन चुके इस शहर को, नया कारगिल बनाने में जुटे हैं ये यंगस्टर्स
जब कभी हम कारगिल के बारे में बात करते हैं तो हमारे दिमाग में 1999 कारगिल युद्ध से जुड़ी तस्वीरें उभरकर आ जाती है। जहां हमारे देश के बहादुर सिपाहियों ने देश की खातिर अपनी जान गंवा दी।
युद्ध
के
दो
दशक
बाद,
आज
भी
कारगिल
को
जंग
और
उसकी
विनाश
की
स्मृतियों
से
जोड़कर
देखा
जाता
है,
इसका
सबसे
ज्यादा
नकारात्मक
प्रभाव
यहां
के
स्थानीय
बाशिंदों
पर
पड़ा
है।
इस
शहर
को
युद्ध
स्मृतियों
से
बाहर
निकालकर
कारगिल
की
नई
तस्वीर
देश
के
सामने
लाने
के
लिए
यहां
के
युवाओं
का
एक
समूह
इस
दिशा
में
काम
कर
रहा
है
ताकि
ये
शहर
सिर्फ
युद्ध
स्मृति
के
तौर
पर
ही
नहीं
रह
जाएं।
इस शहर को सामान्य जीवन से जोड़ने का काम कर रहा है 'वीर फॉर कारगिल' नामक एक एनजीओं, जिसकी अगुवाई कर रहे 25 वर्षीय नजुम उल हुदा और उनके दोस्त इस दिशा में जागरुकता लाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं। हुदा का कहना है कि हम चाहते है कि कारगिल को भी लोग बाकी शहरों की तरह उसकी सांस्कृतिक विरासत के तौर पर याद करें ना कि सिर्फ युद्ध से जुड़ी बुरी स्मृतियों के लिए।
स्थानीय
समुदाय
से
जुड़कर
दिखा
रहें
राह
युद्ध में पूरी तरह बिखर चुके इस शहर को फिर से जोड़ने के लिए इन नौजवानों का समूह अपनी तरफ से हर का प्रयास कर रहा है। ये एनजीओं फिलहाल यहां के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर उनकी जीवनशैली में सुधार लाने के साथ शहर की दूसरी खुबियों को सामने लाने का भी काम कर रहा है।
ज्यादात्तर युवा हैं इस संगठन से
'वी फॉर कारगिल' से जुड़े ज्यादात्तर सदस्य और स्वयंसेवक यहां तक की खुद नजूम भी स्टूडेंट है, जो इस एनजीओं को खुद की पॉकेट मनी के जरिए संचालित करते है। नजूम ने बताया कि इस एनजीओं की नींव रखने से पहले वो एक अन्य एनजीओ के साथ मिलकर काम करते थे। जहां ग्रामीण लोगों को सामाजिक और आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने पर जोर दिया जाता था। यहीं से मेरे दिमाग में आया कि क्यों न हम ऐसा कुछ कारगिल के स्थानीय लोगों के लिए करते हैं ताकि वो आगे बढ़े और इस शहर के नाम से जुड़े ' युद्ध क्षेत्र' के टैग (जैसे कि लोग इस जगह के बारे में सोचते है ) से बाहर निकलकर एक बदलाव लाएं।
नजुम ने एक इंटव्यू में बताया, स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर पर्यटन और पर्यावरण के क्षेत्रों तक में , 'वी फॉर कारगिल' एनजीओ ने कारगिल के स्थानीय बाशिंदों के कल्याण और विकास की दिशा में छोटे-छोटे कदम उठा रहें है, जो वहां के स्थानीय लोगों में बदलाव की उम्मीदों को कायम करने में लगे हुए हैं।
महिलाओं को रोजगार से जोड़ा
इस एनजीओं की एक पहल ये थी कि उन्होंने यहां की स्थानीय महिलाओं को वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराया। सर्दियों के दौरान इस जगह कड़ाके की ठंड पड़ती है, ये वो समय होता है जब महिलाओं के पास काफी समय होता है, इस दौरान महिलाओं को ऊनी कपड़े बनाने के लिए दिए जाते है जिसमें अधिकतर स्थानीय महिलाएं दक्ष होती है। नजूम बताते हैं कि हमारा काम बस महिलाओं को प्रशिक्षण देकर संबंधित लोगों से जोड़ने का होता था, जो बाजार में दूसरी जगहों पर उनके प्रॉडक्ट बेचने में मदद करते हैं।
इसके अलावा इस एनजीओं ने यहां के स्टूडेंट्स को कम्प्यूटर फ्रैंडली बनाने के लिए अपनी निजी बजत से पैसे निकालकर यहां के एक के स्थानीय स्कूलों को कम्प्यूटर दान किया। ये एनजीओं महिलाओं के रोजगार और स्कूली बच्चों की बेहतर शिक्षा को अपनी प्राथमिक मुद्दा मानकर इस पर काम करता है।
नजूम बताते है कि लोग यहां की संस्कृति से भी वाकिफ हो सकें इसलिए वो कारगिल की समृद्ध विरासत के साथ यहां भाषा के संरक्षण के लिए पूरे देशभर में इसका प्रचार प्रसार करते है।
पर्यटक स्थल के तौर पर कर रहे हैं प्रमोट
2014 में इस एनजीओं पहल के चलते पर्यटन मंत्रालय और हैंडलूम और हेंडीक्राफ्ट विभाग ने साथ मिलकर यहां के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'विजिट कारगिल और प्रमोट कारगिल' नाम से कारगिल को पर्यटक स्थल के रुप में हरी झंडी दे दी। जिसका ये नतीजा है कि अब लोग कारगिल खासतौर पर घूमने और रुकना पसंद कर रहे हैं। अभी तक कारगिल सिर्फ एक स्टॉप हुआ करता था जहां लोग कुछ देर के लिए रुकते थे लेकिन अब लोग नजूम के इस मकसद को जानने के बाद देशभर से लोग 'वी फॉर कारगिल' एनजीओं के साथ स्वयंसेवक बनकर जुड़ रहे हैं। नजूम का कहना है कि किसी शहर को किसी विनाश के प्रतीक से याद करने से बेहतर है कि हम उस शहर को बीते कल से निकालकर आने वाले कल से साथ जोड़कर चलें।