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विश्व स्तनपान दिवस: पांच में से तीन बच्चों को नहीं मिल पाता है मां का पहला, डब्लूएचओ की रिपोर्ट
बच्चे को दिया गया मां का पहला दूध किसी अमृत से कम नहीं है। मां का पहला गाढ़ा दूध पीले रंग का होता है, जिसे 'कोलोस्ट्रम' भी कहा जाता है। इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। यदि इसे शिशु को पिलाया जाता है तो इससे शिशु की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। साथ ही यह बच्चे को रोगो से मुक्त रखने में भी मदद करता है।
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में हर साल लगभग 7.8 करोड़ शिशु यानी प्रत्येक 5 में से 3 शिशुओं को जन्म के बाद शुरुआती पहले घंटे में स्तनपान नहीं कराया जाता है।
इस बात का खुलासा बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की शाखा यूनिसेफ ने विश्व स्तनपान दिवस के मौके पर अपने एक रिपोर्ट में किया है। आइए जानते है इस रिपोर्ट में स्तनपान से लेकर क्या बातें सामने आई हैं।
क्या है रिपोर्ट में
यूनिसेफ और डब्लूएच की तरफ से जारी एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में हर 5 में से 3 नवजात बच्चे ऐसे हैं जिन्हें जन्म के पहले 1 घंटे के भीतर मां का दूध नहीं मिल पाता है। ऐसे बच्चों की संख्या दुनियाभर में 7 करोड़ 80 लाख के करीब है। ऐसे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के साथ ही गंभीर बीमारी होने के साथ ही मौत का खतरा मंडराता रहता है। जन्म के 1 घंटे के अंदर मां का दूध न पीने वाले बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास पर काफी असर पड़ता है।
भारत
में
स्तनपान
को
लेकर
अवेयरनेस
WHO की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने ब्रेस्टफीडिंग के मामले में साल 2005 से 2015 के बीच काफी सुधार किया है। यहां 1 घंटे के अंदर नवजात को स्तनपान कराने के आंकड़े 10 सालों में दोगुने हो गए हैं। जहां 2005 में ये आंकड़ा 23.1 प्रतिशत था वहीं 2015 में यह आंकड़ा 41.5 प्रतिशत हो गया। भारत की नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 की रिपोर्ट के हिसाब से 55 प्रतिशत बच्चों को जन्म के 6 महीने तक पर्याप्त रूप से स्तनपान कराया जाता है।
फर्स्ट
वैक्सीन
होता
है
मां
का
पहला
दूध
साइंस के अनुसार जन्म के तुरंत बाद या ज्यादा से ज्यादा घंटेभर के भीतर नवजात को स्तनपान कराने से शिशु मृत्युदर काफी कम हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा युक्त मां का के स्तन का पहला दूध (कोलेस्ट्रम) संपूर्ण आहार होता है, ये शिशु में फर्स्ट वैक्सीन की तरह काम करता है, जो शिशुओं में रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए जन्म के तुरंत 1 घंटे के भीतर ही शिुशु को स्तनपान करा देना चाहिए। जो महिलाएं प्रसव के बाद शिशु को स्तनपान नहीं करवा पाती है तो मां के स्तन से दूध निकालकर चम्मच की मदद से बच्चे को पिलाना चाहिए, लेकिन मां का पहला गाढ़ा दूध शिशु के सम्पूर्ण विकास के लिए बेहद जरुरी है।
स्तनपान में देरी से स्वास्थ्य पर बुरा असर
रिपोर्ट के अनुसार, स्तनपान में देरी बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। स्तनपान में जितनी देरी होती है शिशु के जीवन पर उतना ही खतरा बढ़ता जाता है। स्तनपान प्रैक्टिस में सुधार के बाद 1 साल के अंदर 5 वर्ष तक की आयु के लगभग 8 लाख बच्चों की जानें बचाई जा सकती हैं। वैसी माएं जो बच्चे के जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान कराती हैं उनकी तुलना में पहले 2 से 23 घंटों के भीतर स्तनपान कराने वाले बच्चों में 28 दिनों के भीतर मौत का खतरा 30 फीसदी तक बढ़ जाता है।
स्तनपान
कराने
के
फायदे
-
बच्चे
को
डायरिया
जैसे
रोग
की
संभावना
कम
हो
जाती
है।
-
मां
के
दूध
में
मौजूद
तत्व
बच्चे
की
रोग
प्रतिरोधक
क्षमता
बढ़ाते
हैं।
-
स्तनपान
कराने
से
मां
व
बच्चे
के
मध्य
भावनात्मक
लगाव
बढ़ता
है।
-
मां
का
दूध
न
मिलने
पर
बच्चे
में
कुपोषण
की
संभावना
बढ़
जाती
है।
-
स्तनपान
कराने
से
मां
को
स्तन
कैंसर
की
संभावना
कम
हो
जाती
है।
-
यह
बच्चे
के
मस्तिष्क
के
विकास
में
महत्वपूर्ण
भूमिका
का
निभाता
है।
-
स्तनपान
से
प्रसव
पूर्व
खून
बहने
और
एनीमिया
की
संभावना
को
कम
करता
है।
-
स्तनपान
कराने
से
महिलाओं
का
काफी
हद
तक
वजन
कम
होता
है,
नियमित
स्तनपान
कराने
वाली
माएं
मोटापे
की
समस्या
से
कम
ग्रसित
होती
है।