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छोटे बच्चों में ड्राई स्कैल्प होने पर नजर आते हैं यह लक्षण, कुछ इस तरह करें इसका उपचार

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एक नवजात शिशु को बहुत ही केयर ही जरूरत होती है। खासतौर से, नवजात शिशु के लिए ठंड का मौसम बेहद ही मुश्किल भरा माना गया है। इस दौरान अगर बच्चे की देखभाल करने में जरा सी भी कोताही बरती जाए तो इसका विपरीत प्रभाव साफतौर पर नजर आता है। शायद यही कारण है कि माताएं बच्चे की पहली सर्दी में उसका बेहद ख्याल रखती हैं। वैसे ठंड का मौसम सिर्फ बच्चे की सेहत पर ही विपरीत असर नहीं डालता, बल्कि इससे उनकी त्वचा भी प्रभावित हो सकती है।

सर्दियों में छोटे बच्चों खासतौर से नवजात शिशुओं में लाल चकत्ते, सूखापन, ड्राई स्कैल्प और फटे होंठ की समस्या होती है। अगर छोटे शिशुओं में ड्राई स्कैल्प की बात की जाए तो यह एक अत्यधिक सफेद और पीले रंग की स्कैल्प की परत होती है और सेबोरहाइक डर्मटाइटिस कहा जाता है। हालांकि ऐसा होने पर आपको घबराने की जरूरत नहीं है। शिशुओं में ड्राई स्कैल्प की समस्या सामान्य है और इसका आसानी से घर पर इलाज किया जा सकता है। बस जरूरी है कि आप शिशुओं में होने वाली इस ड्राई स्कैल्प की समस्या के कारणों व उसके उपचार के बारे में विस्तारपूर्वक जानें। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको शिशुओं में ड्राई स्कैल्प की समस्या के बारे में बता रहे हैं-

ड्राई स्कैल्प के कारण

ड्राई स्कैल्प के कारण

ठंड के मौसम में शिशुओं में ड्राई स्कैल्प का कोई एक सुनिश्चित कारण नहीं है। हालांकि, कुछ कारक हैं जो इसका कारण बन सकते हैं। जैसे, नवजात शिशुओं में ड्राई स्कैल्प का जो सबसे आम कारण है वह है क्रैडल कैप। इसके अलावा शिशु के हेयर को ओवर वॉश करना भी ड्राई स्कैल्प की वजह बन सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि एक शिशु को स्नान करने के समय के साथ-साथ उसे कितनी बार स्नान करवाया जाए, इस पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए। इतना ही नहीं, आपको यह भी ध्यान रखना है कि शिशु के सिर से शैम्पू को अच्छी तरह से धोना चाहिए क्योंकि बचा हुआ शैम्पू भी रूसी पैदा कर सकता है। तेल ग्रंथियों में बहुत अधिक त्वचा का तेल भी बच्चे की ड्राई स्कैल्प की समस्या को बढ़ा सकता है। कुछ एलर्जी भी नवजात शिशु की खोपड़ी को शुष्क बनाने का एक कारण बन सकती है।

आते हैं यह लक्षण नजर

आते हैं यह लक्षण नजर

जब शिशु को ड्राई स्कैल्प की समस्या होती है तो यह जरूरी नहीं है कि उसे इचिंग ही हो। इसके अलावा भी शिशुओं में कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। जन्म के दो सप्ताह बाद से लेकर 12 महीने तक की उम्र में शिशुओं में यह समस्या अधिक हो सकती है। यह समस्या होने पर शिशु में यह लक्षण नजर आते हैं-

• ड्राई स्किन फ्लेक्स

• हल्की रेडनेस

• सफेद या पीली मोटी परत

• पपड़ी या खुरदरी त्वचा

यूं करें इलाज

यूं करें इलाज

शिशुओं में ड्राई स्कैल्प की समस्या आमतौर पर कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर अपने आप साफ हो जाती है। हालांकि, अगर आप चाहें तो कुछ घरेलू उपायों के जरिए भी इस समस्या को दूर कर सकती हैं। बस आपको इस बात का ध्यान रखना है कि किसी भी उपचार से बच्चे को एलर्जिक रिएक्शन ना हो। इसलिए किसी भी उपचार को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। तो चलिए जानते हैं ेड्राई स्कैल्प के इलाज का तरीका-

जैतून या नारियल के तेल की मदद से शिशु के सिर की हल्के हाथों से मालिश करें। नियमित रूप से अगर आप बच्चे को नहलाने के बाद इन तेलों को बच्चे के सिर में लगाएंगी तो कुछ ही दिनों में परतदार त्वचा गायब होने लगेगी।

ड्राई स्कैल्प का एक कारण डैंड्रफ भी होता है। इसलिए आप डॉक्टर की सलाह पर खासतौर से बच्चे के लिए एंटी डैंड्रफ शैंपू का उपयोग कर सकती हैं।

आप यह देखने के लिए शैम्पू की टाइमिंग बदलने की कोशिश कर सकते हैं कि क्या बेबी ड्राई स्कैल्प के स्टेज में कोई बदलाव है या नहीं। इसके अलावा आप बेबी को शैम्पू करने की संख्या को भी कम करके देखें। हो सकता है कि इससे बच्चे की स्थिति में सुधार देखने को मिले।

English summary

Dry Scalp in Babies Causes, Symptoms and Treatment in Hindi

Know The Symptoms, Causes And Treatment Of Dry Scalp In Babies In Hindi.
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